बीजू जनता दल को तोड़ने की कोशिश कर रही है भाजपा?
उत्तर प्रदेश की चुनावी जीत के बाद ऐसा लग रहा है कि ओडिशा बीजेपी का अगला टारगेट है.
ओडिशा के राजनैतिक गलियारों में सोमवार की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया जब बीजू जनता दल के सांसद तथागत सतपथी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी बीजद को तोड़ने की कोशिश कर रही है.
ढेंकानाल के सांसद सतपथी ने अपने एक दूसरे ट्वीट में यह भी आरोप लगाया कि भाजपा बीजद का नाम और चुनाव चिह्न हथियाने और समय से पहले ओडिशा में विधान सभा चुनाव कराने की कोशिश में लगी हुई है.
हालांकि कुछ दिन पहले भाजपा के ओडिशा प्रभारी अरुण सिंह ने भी दावा किया था कि बीजद के कई नेता उनकी पार्टी के साथ संपर्क में हैं और समय आने पर भाजपा खेमे में आने का मन बना चुके हैं.
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लेकिन उसे यह कहकर इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया था कि यह राज्य में पंचायत चुनाव से पहले पहले होने वाली बयानबाज़ी का हिस्सा है.
बीजद के लिए मुख्य चुनौती भाजपा
लेकिन तथागत सत्पथी के सोमवार के बयान से इतना ज़रूर साबित हो गया है कि बीजद अब भाजपा की चुनौती को काफी गंभीरता से ले रही है.
हालांकि बीबीसी ने जब बीजद के प्रवक्ता कैप्टन दिव्यशंकर मिश्र से इस बारे में पूछा तो उन्होंने उसे यह कहकर टालने की कोशिश की कि यह तथागत की निजी राय है और इसे पार्टी का आधिकारिक विचार मानना गलत होगा.
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उन्होंने कहा, "भाजपा राज्य के 30 ज़िलों में से केवल सात में ही ज़िला परिषद् बना पाई है. लेकिन बातें ऐसी कर रही है मानो कोई भारी जीत हासिल हुई हो. 2014 के चुनाव से पहले भी उन लोगों ने ऐसा ही माहौल बनाया था. लेकिन नतीजा क्या हुआ, सभी को मालूम है. मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार भी वैसा ही होगा और नवीन पटनायक के नेतृत्व में हम भारी बहुमत से चुनाव जीतेंगे."
पंचायत चुनाव
राज्य में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में भाजपा के शानदार प्रदर्शन को लेकर बीजद काफी चिंतित है.
इस बात के संकेत खुद पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ये कहकर दिया कि पंचायत चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के कारणों की समीक्षा के बाद पार्टी और सरकार में फेरबदल किया जाएगा.
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भाजपा को लेकर बीजद में फ़ैल रहे डर के बारे में अटकलबाज़ी उस समय और तेज हो गई जब पटनायक ने पार्टी के राज्यसभा सदस्य विष्णु चरण दास को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कहा.
जोड़-तोड़ की राजनीति
यह माना जा रहा है कि दास के स्थान पर नवीन अपने किसी विश्वस्त आदमी को राज्यसभा भेजेंगे जो भाजपा के साथ संपर्क में रहने वाले पार्टी के सांसदों के बारे में उन्हें समय पर जानकारी दे सकें.
वैसे भाजपा ने इस बात का खंडन किया है कि पार्टी की ओर से बीजद को तोड़ने की कोशिश की जा रही है.
वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुरेश पुजारी ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा, "भाजपा जोड़-तोड़ की राजनीति में विश्वास नहीं करती. लेकिन बीजद के नेता जिस तरह एक दूसरे से लड़ रहे हैं, संभव है कि अगले चुनाव का समय आते-आते शायद बीजद पार्टी अपने आप टूट कर बिखर जाए. बीजद के नेता पार्टी छोड़ कर चले जाएं और नवीन पटनायक अकेले पड़ जाएं."
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पंचायत चुनाव में अपने प्रदर्शन के बाद से ही ओडिशा को लेकर भाजपा काफी उत्साहित है.
बीजद के खिलाफ
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अलग-अलग जनसभाओं में ओडिशा पंचायत चुनाव में पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन का ज़िक्र किया.
लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की भारी जीत के बाद पार्टी के हौसले और भी बुलंद हो गए हैं.
इस समय चल रहे विधानसभा के बजट सत्र में भी भाजपा ने बीजद के खिलाफ अपनी मुहिम को और तेज किया है और इस मामले में कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया है.
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लेकिन ओडिशा को लेकर भाजपा कितना उत्साहित है इसका एक और सबूत रविवार को मिला जब पार्टी की ओर से केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री और मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का चेहरा माने-जाने वाले धर्मेंद्र प्रधान ने यह घोषणा की कि अप्रैल 15 और 16 को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो-दिवसीय बैठक भुवनेश्वर में होगी.
ब्लूप्रिंट तैयार
इसमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, लालकृष्ण अडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के अलावा 12 भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी हिस्सा लेंगे, जिनमें उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं.
भाजपा सूत्रों के अनुसार इस कार्यकारिणी में ओडिशा में अगले विधान सभा के लिए रणनीति तय की जाएगी और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ओडिशा में पार्टी को बूथ स्तर से कैसे मजबूत किया जाए उसका ब्लूप्रिंट तैयार किया जाएगा.
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भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तीन दिन ओडिशा में रहेंगे और इनमें से एक दिन पार्टी के राज्य नेताओं के साथ विचार विमर्श करेंगे.
माना जा रहा है कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान बीजद और कांग्रेस के कुछ प्रमुख नेता भाजपा में शामिल होंगे.
अगर सचमुच ऐसा होता है तो यह साबित हो जाएगा कि असम चुनाव में पार्टी ने जिस फॉर्मूले को अख्तियार कर जीत हासिल की थी, वही फार्मूला ओडिशा में भी लागू करने जा रही है- यानी दूसरी पार्टियों के प्रमुख नेताओं को अपनी ओर खींचकर चुनाव में जीत हासिल करने की कोशिश करेगी.