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क्या भाजपा का 'हिंदुत्व' देश के लिए एक और केरल के लिए अलग है ?

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नई दिल्ली- हाल ही भाजपा के एक बड़े नेता और कर्नाटक में कैबिनेट मंत्री केएस ईस्वरप्पा के एक बयान पर खूब बवाल मचा था। उनका वह विवादास्पद बयान अभी भी चर्चा में है। उन्होंने बेलगावी लोकसभा उपचुनाव के लिए टिकट देने की बात पर दो टूक कहा था कि 'पार्टी किसी भी समुदाय को टिकट दे सकती है। लिंगायत, कुरुबा, वोक्कालिंग या फिर ब्राह्मण बिरादरी को टिकट दिया जा सकता है, लेकिन किसी मुसलमान को टिकट देने का सवाल ही नहीं है।' चुनावों में मुसलमानों से परहेज करने वाली बीजेपी के नेता अक्सर अनौपचारिक तौर पर यही दलील देते हैं कि जब यह समुदाय उन्हें वोट ही नहीं देता तो फिर टिकट देकर क्या होगा। लेकिन, अभी केरल में जो स्थानीय चुनाव हो रहे हैं, उसमें भाजपा ने अपने हिंदुत्व प्रेम को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। वहां पार्टी ने 600 से ज्यादा मुसलमानों और क्रिश्चियनों को उम्मीदवार बनाया है।

देश में मुसलमानों को टिकट देने से परहेज करती रही है बीजेपी

देश में मुसलमानों को टिकट देने से परहेज करती रही है बीजेपी

बेलगावी में मुस्लिम उम्मीदवारी को खारिज करने वाले भाजपा नेता ईस्वरप्पा ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि पार्टी किसी मुसलनान को इसलिए टिकट नहीं देगी, क्योंकि वह पार्टी पर भरोसा नहीं करते। अल्पसंख्यकों को टिकट देने के मामले भारतीय जनता पार्टी का रिकॉर्ड देश के अन्य राज्यों में भी फिसड्डी रहा है। हाल में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भी भगवा पार्टी ने एक भी अल्पसंख्यक को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया था। इसका अंजाम ये हुआ है कि वहां मौजूदा नीतीश कुमार सरकार में एक भी अल्पसंख्यक मंत्री नहीं है। जदयू ने मुसलमानों को टिकट दिया भी था तो वह जीत ही नहीं सके। बीजेपी नेताओं की तो पूरे देश में एक तरह से धारणा बन चुकी है कि मुसलमानों को टिकट देने से मुसलमानों का वोट तो नहीं ही मिलेगा, अपने समर्थक भी इधर-उधर भटक जाएंगे।

केरल के लिए भाजपा ने अपनाया अलग हिंदुत्व?

केरल के लिए भाजपा ने अपनाया अलग हिंदुत्व?

केरल में 45 फीसदी मुस्लिम-क्रिश्चियन आबादी ने भारतीय जनता पार्टी को नया धार्मिक समीकरण बनाने को मजबूर कर दिया है। सिर्फ 55 फीसदी हिंदू जनसंख्या की बदौलत वह इस दक्षिण राज्य में कुछ चुनावों से एक ताकत बनकर तो जरूर उभर रही है, लेकिन उसे इतने वोट नहीं मिल पा रहे हैं जिससे सीट निकालना संभव हो जाए। इसलिए पार्टी ने 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 8, 10 और 14 दिसंबर को होने वाले ग्राम पंचायतों, ब्लॉक पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए 500 क्रिश्चियनों और 112 मुसलमानों को टिकट दिया है। मुसलमान उम्मीदवारों में कई महिलाएं भी हैं। जनसंघ के जमाने से शायद यह पहला मौका है, जब खुद को एकमात्र हिंदुत्व का झंडा उठाने का दावा करने वाली पार्टी ने इतने बड़े पैमाने पर अस्पसंख्यक प्रत्याशियों पर सियासी दांव लगाया है।

केरल में बहेगी भाजपा के हिंदुत्व की अलग धारा!

केरल में बहेगी भाजपा के हिंदुत्व की अलग धारा!

केरल में भाजपा के 'हिंदुत्व' की धार अलग दिशा में प्रवाहित होने की मजबूरी के बीच यह भी दिलचस्प है कि पार्टी के अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने संभवत: खुद गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी केरल आएंगे। वैसे केरल में आरएसएस ने हिंदुत्व का एक बहुत बड़ा आधार काफी संघर्ष की बदौलत पहले से तैयार कर रखा है। वह प्रदेश में चप्पे-चप्पे पर मौजूद है। लेकिन, इतने मजबूत संगठन के बावजूद जब बीजेपी वहां जीत पाने में नाकाम हो रही है, तब उसने सच्चाई को स्वीकार करके अपना स्डैंड बदल लेने में ही भलाई समझी है। गौरतलब है बीजेपी अपनी इस कमजोरी को पिछले लोकसभा चुनाव के समय से ही महसूस करने लगी थी।

एक साल में बदल गई केरल में भाजपा की रणनीति

एक साल में बदल गई केरल में भाजपा की रणनीति

पिछले साल मार्च में कांग्रेस के हाई-प्रोफाइल नेता टॉम वडक्कन और जून में सीपीएम बैकग्राउंड वाले दो बार के पूर्व सांसद एपी अब्दुल्लाकुट्टी की पार्टी में एंट्री, आज हो रहे बदलाव की तैयारी थी। अब्दुल्लाकुट्टी 2009 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के चलते सीपीएम से बाहर कर दिए गए थे और 2019 में उन्होंने फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए को दोबारा मिली जीत की तारीफ कर दी तो कांग्रेस ने बाहर कर दिया था। पिछले सितंबर में ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वडक्कन को पार्टी के प्रवक्ता और अब्दुल्लाकुट्टी को उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। यानि साफ है कि पहले स्थानीय चुनावों और फिर विधानसभा चुनावों के लिए अपना जनाधार बढ़ाने के लिए पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग का काम पहले से ही शुरू कर दिया था।

केरल में भाजपा वाला सॉफ्ट हिंदुत्व ?

केरल में भाजपा वाला सॉफ्ट हिंदुत्व ?

वैसे ऐसा भी नहीं है कि भाजपा केरल में अपने विस्तार के लिए हिंदुत्व एजेंडे को ताक पर रख रही है। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की प्रवेश की इजाजत मिलने के मामले में पार्टी ने लोगों की धार्मिक भावना का साथ दिया और इसके खिलाफ आंदोलन के समर्थन में खड़ी रही। प्रधानमंत्री मोदी वहां पारंपरिक परिधानों में वहां के देवालयों में पूजा-अर्चना करते रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में इसने नारायण धर्म परिपालना समर्थित भारत धर्म जन सेना के साथ गठबंधन भी किया था। लेकिन, केरल में पार्टी का हिंदुत्व देश के बाकी हिस्सों से बिल्कुल अलग इसलिए नजर आ रहा है, क्योंकि देश में यदि कुल 233 मुस्लिम विधायक हैं तो उसमें भाजपा के हिस्से में सिर्फ 1 है। पार्टी ने केंद्र में 1 और यूपी में एक मुसलमान नेता को मंत्री बनाया है। लेकिन, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश,असम और कर्नाटक जैसे राज्य में उसकी सरकार में एक भी मुस्लिम नहीं हैं।

इसे भी पढ़ें- बिहारः दो दिवसीय दौरे पर आएंगे RSS प्रमुख मोहन भागवत, कांग्रेस ने उठाया सवाल

English summary
BJP's Hindutva is different for the whole country and for Kerala, have more than 600 minority candidates fielded in local elections
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