उत्तराखंड में एक IAS अधिकारी 'लापता' हैं ? मंत्री की शिकायत पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जांच के आदेश दिए
नई दिल्ली- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी एक सहयोगी मंत्री की शिकायत पर एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वी शनमुगम के बारे में जांच का आदेश दिए हैं। उत्तरखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या की शिकायत है कि आईएएस अधिकारी अपने दफ्तर से लापता हैं। रेखा आर्या ने संबंधित आईएएस का पता लगाने के लिए पिछले 22 सितंबर को देहरादून के डीआईजी को भी खत लिखा था। मंत्री ने चिंता जताई थी कि कहीं उन्हें 'अगवा' तो नहीं कर लिया गया है, क्योंकि वो उनसे पूरे दो दिनों से संपर्क नहीं कर पा रही थीं।
मंत्री की शिकायत से अलग दूसरे अधिकारियों का कहना है कि आईएएस शनमुगम होम क्वारंटीन हैं और उन्होंने छुट्टी के लिए औपचारिक तौर पर आवेदन दे रखा है। जबकि, रेखा आर्या ने अपनी चिट्ठी में यह भी आरोप लगाया था कि आईएएस अधिकारी, 'उनके विभाग में जारी भर्ती प्रक्रिया में अनियिमतताएं पाए जाने के बाद हो सकता है कि वो खुद को बचाने के लिए भी अंडरग्राउंड हो गए हों।' उनका दावा है कि अधिकारी से संपर्क नहीं किया जा सका। हालांकि बाद में यह पाया गया कि वह अपने आवास पर प्रोटोकॉल के तहत होम क्वारंटीन में हैं।
मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि 'गुरुवार की शाम इस पूरे मामले पर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से बात करने के बाद मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं।' एडिश्नल सेक्रेटरी मनीषा पंवार इस मामले की जांच करेंगी। पंवार ने बताया कि, 'निर्देश के अनुसान मैंने जांच शुरू कर दी है। हालांकि, मैं इसकी डिटेल मीडिया के सामने जाहिर नहीं करूंगी और जांच रिपोर्ट सिर्फ मुख्य सचिव को सौंपूंगी।'
कैबिनेट मंत्री और उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा है, 'मंत्री ने अपने विभाग में अनियमितता से जुड़े कुछ मुद्दे उठाए हैं, जिसका उन्हें पूरा अधिकार है। उसमें एक जांच होगी और कोई भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।' आईएएस अधिकारी वी शनमुगम महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग में डायरेक्टर हैं और जब उनके बारे में उस विभाग की सचिव सौजन्या (पहला नाम) से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'उन्होंने होम क्वारंटीन में जाने से पहले छुट्टी के लिए आवेदन दिया था।' संबंधित आईएएस अधिकारी से कई कोई कोशिशों के बावजूद संपर्क नहीं हो सका है। दरअसल, यह मामला उस विवाद से जुड़ा हो सकता है, जिसमें सत्ताधारी भाजपा के कई विधायकों और मंत्रियों की शिकायत है कि अधिकारी उनकी सुनते ही नहीं हैं।