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अफगानिस्तान में शांति के लिए कट्टरपंथी ताकतों को चुप रहने की जरूरत- भारत

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नई दिल्ली। भारत ने अफगानिस्तान में स्थिर सरकार और शांति को स्थापित करने के लिए आतंकी संगठन तालिबान से बात करने का समर्थन किया है। भारत ने कहा कि युद्धग्रस्त मुल्क में "कट्टरपंथियों" को चुप होने की जरूरत है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 28 फरवरी को दूसरे काबुल प्रोसेस कान्फ्रेंस में देश को बचाने के लिए 'पीस टॉक' में तालिबान को बुलाया था।

अफगानिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों को चुप रहने की जरूरत- भारत

गनी ने कहा कि सीजफायर पर सहमति बननी चाहिए और तालिबान को एक राजनीतिक ग्रुप के रूप में घोषित कर देना चाहिए। यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में अफगानिस्तान बहस के दौरान भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेस की बेरहमी के बावजूद भी अफगान सरकार शांति वार्ता को चुना है। अकबरुद्दीन ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेस की हिंसा को रोकने और राष्ट्रीय शांति स्थापित करने के लिए, जो महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, वे से पूर्णरूप से समर्थन के हकदार है।

अकबरुद्दीन ने आगे कहा, 'यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि जो भी इस हिंसा को जारी रख रहा है, उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसी भी हिंसा को एक मजबूत प्रतिक्रिया की जरूरत है, कट्टरपंथियों को चुप होने की जरूरत हैं।'

अकबरुद्दीन ने बताया कि अफगानिस्तान में विकास के लिए भारत ने 2002 से लेकर अब तक 2 बिलियन डॉलर खर्च कर चुका है। उन्होंने आगे बताया कि भारत ने अफगानिस्तान में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और सिंचाई, बिजली और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।

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English summary
Irreconcilable guns need to be silenced in Afghanistan: India tells UNSC
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