यह पढ़ेंः "आयरन लेडी" की दास्तान 14 वर्ष तक इंसाफ के लिए नहीं खाया अन्न का दाना
बेंगलोर।
मणिपुर
की
"अयरन
लेडी"
यानी
इरोम
शर्मिला
के
बारे
आज
भी
शायद
ही
देश
के
समाज
का
एक
बडा
तबका
जानता
हो।
गांधीवादी
विचारो
से
प्रभावित
इरोम
समाजिक
हितों
के
लिए
लड़ने
वाली
महिला
है।
सन
2000
से
अनशन
कर
रही
हैं।
आर्म
फोर्स
स्पेशल
पावर
एक्ट-1958
को
हटाने
की
मांग
को
लेकर
इरोम
पिछले
14
सालों
से
अनशन
कर
रही
हैं।
लेकिन
सामाजिक
रोष
न
फैल
जाए
इसलिए
राज्य
सरकार
की
ओर
से
इरोम
को
गत
वर्षों
से
गिरफ्तार
किया
हुआ
है।
उन्हें
जबरदस्ती
दवाइयों
के
जरिए
जिंदा
रखा
अभी
तक
जिंदा
रखा
गया।
इरोम
के
नाके
से
दवाइयों
के
जरिए
खाद्य
पदार्थ
शरीर
में
पहुंचाए
गए।
लेकिन
इरोम
ने
अपना
अनशन
कभी
नहीं
तोड़ा।
एक
कोर्ट
ने
आदेश
दिया
है
कि
इरोम
शर्मिला
को
गिरफ्त
से
रिहा
किया
जाए।
जिसके
बाद
इरोम
शर्मिला
आज
रिहा
हो
सकती
हैं।
और जानिए इरोम शर्मिला को
"दरअसल आर्म फ़ोर्स स्पेशल पावर एक्ट (आफ़सपीए) एक ऐसा कानून है जिसके तहत वहां की आर्मी को ऐसे कुछ विशेष अधिकार मिले हुएं हैं कि वे किसी को भी शक के बिना पर ही गिरफ़्तार कर उस पर कार्यवाई कर सकते हैं और यहां तक की हत्या शक होने पर ही हत्या करने का भी विशेष अधिकार मणिपुर की आर्मी के पास हैं"
इरोम ने आमरण अनशन करने का इतना कड़ फ़ैसला तब लिया जब इरोम ने देखा कि अब इस कानून की आड़ में ज्यद्तियां और समाज के अधिकारों का हनन हो रहा है। उस समय इंफाल हावाई अड्डे के पास महज शक के बिना पर करीब 11 लोगो पर आर्मी ने गोलियां दागकर मार दिया था। यह वर्ष 2000 की बात है।
दुर्भग्यवश है कि आज 14 साल हो गए और इरोम अभी भी समाज के अधिकारों की स्वतंत्रता दिलाने के लिए लगातार अनशन कर रही हैं। ऐसा कहा जाता रहा है कि पिछले लगभग पचास सालो से आर्मी ने अपना बर्बर राज किया हुआ है। जिसके चलते मणिपुर के लोग बालात्कार, हत्या जैसे गंभीर समस्याओं की आग में झुलस रहें हैं। मणिपुर में यह स्पेशल पावर एक्ट हटे और मानव अधिकारों का उलंघन खत्म हो जाए। बस इसलिए ही इरोम शर्मिला भूख हडताल कर रहीं हैं। पर सवाल है कि क्यों इतने साल अनशन करने पर भी समाज का पूरा समर्थन नही मिल पाया या यह कहिय कि आखिर क्यों इतने सालों तक भूख हडताल करते रहने पर मीडिया ने इतनी दिलचस्पी नही दिखाई। जितनी अन्ना के आन्दोलन में दिखाई?