IRCTC ई-टिकट रैकेट का भंडाफोड़: हर महीने 15 करोड़ रू के टिकटों की करता था कालाबाजारी, पाकिस्तान से जुड़े तार
नई दिल्ली। ट्रेनों में टिकटों की मारामारी आम बात है। खास कर व्यस्त रूटों पर ट्रेन टिकटों की जबरदस्त मांग होती है। आसानी से टिकट मिलना मुश्किल होता है। इसकी एक वजह ट्रेन टिकटों की कालाबाजारी भी है। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने ट्रेन टिकट की कालाबाजारी करने वाले रैकेट का भंडाफोड किया है। रेलवे ने ई-टिकट रैकेट चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
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रेलवे पुलिस ने झारखंड के रहने वाले गुलाम मुस्तफा को ओडिशा से गिरफ्तार किया है। उसके साथ 27 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो इस रैकेट में शामिल थे। ये लोग रेल टिकटों की कालाबाजी कर हर महीने करोड़ों कमाते थे। इतना ही नहीं इस फंड का इस्तेमाल वो आतंकी फंडिंग में करता था।
रेलवे ने आईआरसीटीसी के जरिए ई-टिकट की कालाबाजारी करने वाले इस गिरोह के सरगना गुलाम मुस्तफा को गिरफ्तार कर बड़ी कामियाबी हासिल की है। गुलाम ने 15 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन किया। हालांकि ये शरुआती जांच में पता चला है। पुलिस का कहना है कि ये रकम कई गुना हो सकती है। मूल रूप झारखंड का रहना वाला गुलाम मुस्तफा बैंगलोर से अपना रैकेट चलाता था। उसने इसके लिए दफ्तर भी खोल रखी थी, जिसमें 200 से 300 लोग काम करते थे। हर कर्मचारी को 28000 से 30000 की सैलरी मिलती है।
बेंगलुरु में बैठक कर ई-टिकट फर्जीवाड़ा का गिरोह चलाने वाला मुस्तफा ने साल 2015 में टिकटों की कालाबाजारी शुरू की। सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग लेने के बाद उसने हाईटेक तरीके से ई टिकटों की कालाबाारी शुरू कर दी। हर महीने वो 15 करोड़ रुपए से अधिक के रेल टिकटों की बुकिंग कर उसकी ब्लैक मार्केटिंग करता था।
एक
मिनट
में
3
टिकट
की
बुकिंग
मुस्तफा
के
गिरोह
के
लोग
1
मिनट
में
3
टिकट
की
बुकिंग
करने
के
एक्सपर्ट
थे।
उसके
टिकट
बुकिंग
का
रैकेट
दुबई
तक
फैला
था।
इस
रैकेट
के
जरिए
होने
वाली
कमाई
का
बड़ा
हिस्सा
वो
आतंकी
फंडिंग
में
इस्तेमाल
करता
था।
उसके
संपर्क
पाकिस्तान
से
कई
आतंकी
संगठनों
से
हैं।
वहीं
वो
भारत
से
हवाला
के
ज़रिए
भी
विदेशों
तक
रकम
भेजता
है।
अब
तक
की
जांच
में
पता
चला
है
कि
मुस्तफा
ने
कई
बार
इसने
बिटकॉइन
जैसी
क्रिप्टोकरंसी
के
ज़रिए
भी
पैसे
विदेश
तक
भेजे
हैं।
कई
ऐसे
चौंकाने
वाले
खुलासे
हुए
हैं,
जिसे
लेकर
सुरक्षा
एजेंसियों
की
नींद
उड़
गई
है।