ईरानी के खिलाफ होगी सुनवाई, कांग्रेस, आप ने मांगा इस्तीफा
नई दिल्ली। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने बुधवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के इस्तीफे और उनकी गिरफ्तारी की मांग की। ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर कथित रूप से गलत जानकारी देने के मामले में यहां एक अदालत में दायर याचिका स्वीकार कर लिए जाने के बाद उनके इस्तीफे की यह मांग की गई।
ईरानी मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को शर्मिदगी झेलनी पड़ी, हालांकि पार्टी ने अपनी मंत्री का बचाव करते हुए अदालत के सम्मुख पेश किए गए ईरानी के हलफनामे में गड़बड़ी को मुद्रण की गलती बताया।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ईरानी सहित आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की कथित तौर पर मदद करने के आरोप में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया।
महानगर दंडाधिकारी आकाश जैन ने स्मृति के खिलाफ दायर निजी शिकायत स्वीकार करते हुए मामले में सम्मन जारी करने से पहले साक्ष्य पेश करने के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की है।
अदालत ने कहा, "शिकायतकर्ता (अहमर खान) की ओर से दिए गए तर्क उचित प्रतीत होते हैं।"
अदालत इस मामले की अगली सुनवाई (28 अगस्त) पर शिकायतकर्ता और अन्य लोगों के बयान गवाह के रूप में दर्ज करेगी।
अदालत ने एक जून को अहमर खान द्वारा दायर शिकायत पर संज्ञान लेने के संबंध में अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था। अहमर ने आरोप लगाया है कि स्मृति ईरानी ने लोकसभा और राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय निर्वाचन आयोग के समक्ष दाखिल तीन शपथ पत्रों में अपनी शैक्षिक योग्यता के संबंध में गलत जानकारी दी है।
अप्रैल माह में दायर अपनी शिकायत में अहमर ने कहा था कि अपनी शैक्षिक योग्यता के संबंध में कथित रूप से गलत शपथ पत्र देने के मामले में केंद्रीय मंत्री (स्मृति ईरानी) के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अहमर खान के वकील के. के. मनन ने अदालत में कहा कि ईरानी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में दायर हलफनामे में कहा था कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से 1996 में स्नातक (बी. ए.) किया था। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में दायर हलफनामे में उन्होंने बताया है कि उन्होंने 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बी. कॉम (प्रथम वर्ष) की पढ़ाई की है।
11 जुलाई, 2011 को राज्यसभा के लिए गुजरात से नामांकन दाखिल करते समय एक अन्य हलफनामे में स्मृति ने बताया था कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार माध्यम से बी. कॉम (प्रथम वर्ष) की पढ़ाई की है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, "ईरानी द्वारा दिए गए शपथपत्रों से यह साफ है कि उनकी कोई एक शैक्षिक योग्यता ही सही होगी।"
याचिकाकर्ता ने कहा कि ईरानी ने अपनी संपत्ति के बारे में भी गलत जानकारी दी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि ईरानी के खिलाफ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अपराध की बात स्पष्ट होती है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
अदालत द्वारा याचिका मंजूर किए जाने के तुरंत बाद कांग्रेस प्रवक्त आर. एस. सुरजेवाला ने ईरानी के इस्तीफे की मांग कर डाली।
सुरजेवाला ने कहा, "ईरानी के पास अपने पद पर एक दिन भी बने रहने का कोई नैतिक या संवैधानिक या कानूनी आधार नहीं है।"
सुरजेवाला ने नरेंद्र मोदी सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों ही शिक्षा मंत्रियों की डिग्री पर सवाल उठ रहे हैं।" सुरजेवाला ने मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री राम शंकर कठेरिया के संदर्भ में यह आरोप लगाया।
वहीं आप ने इस घटना की तुलना दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर के मामले से करते हुए स्मृति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की भी मांग की।
आप के प्रवक्ता आशुतोष ने मीडिया से कहा कि भाजपा नेता को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चहिए और प्रधानमंत्री को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लेना चाहिए।
उन्होंने कहा, "दिल्ली पुलिस ने तोमर के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी, उसी तरह उन्हें स्मृति ईरानी को भी गिरफ्तार करना चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।