भारत में रूहानी: पाकिस्तान को चाबहार पोर्ट के जरिए घेरने पर बन सकेगी बात?
एक माह पहले भारत ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का स्वागत किया था। नेतन्याहू, भारत आने वाले पहले इजरायली पीएम बने। अब भारत, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी का स्वागत करने को तैयार है। रूहानी तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आज आ रहे हैं। रूहानी 15 फरवरी से 17 फरवरी तक भारत में होंगे।
नई दिल्ली। एक माह पहले भारत ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का स्वागत किया था। नेतन्याहू, भारत आने वाले पहले इजरायली पीएम बने। अब भारत, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी का स्वागत करने को तैयार है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आज आ रहे हैं। रूहानी 15 फरवरी से 17 फरवरी तक भारत में होंगे और उनका पहला पड़ाव हैदराबाद है। शनिवार को रूहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगें। साल 2013 में ईरान के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद रूहानी पहली बार भारत आ रहे हैं। रूहानी पिछले वर्ष फिर से ईरान के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। रूहानी यहां पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात भी करेंगे।
शुरू होगा संबंधों का नया दौर
इजरायली पीएम नेतन्याहू की भारत यात्रा के एक माह के अंदर ही रूहानी का भारत आना, भारत की उस नीति को दर्शाता है जिसमें पश्चिम एशिया क्षेत्र के साथ बेहतर रिश्तों का संतुलन कायम करने की कोशिशें की जा रही हैं। ईरान और इजरायल दोनों के रिश्ते जगजाहिर हैं लेकिन दोनों ही देश भारत के लिए एक रणनीतिक अहमियत रखते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो भारत को दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध चाहिए। बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रूहानी के भारत दौरे के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि रूहानी के इस दौरे के तहत दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों का एक नया आयाम छुएंगे जो आपसी भरोसे पर कायम होगा।
अफगानिस्तान और चाबहार पोर्ट
रूहानी के इस भारत दौरे के एजेंडे में चाबहार पोर्ट सबसे ऊपर होगा जो कि ईरान में है और इस वजह से भारत के लिए इसकी अहमियत दोगुनी हो जाती है। यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान में पहुंच बनाने में बड़ी मदद करता है। पिछले वर्ष दिसंबर में भारत की ओर से चाबहार में स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह के पहले चरण के उद्घाटन के लिए एक मंत्री को भेजा गया था। दोनों देशों के बीच बातचीत वहीं से शुरू होगी, जहां से चाबहार पर खत्म हुई थी। भारत और ईरान दोनों चाबहार बंदरगाह के जरिए तीन देशों के बीच परिवहन और व्यापार के आपसी सहयोग के बारे में चर्चा करेंगे।
रूहानी की भारत यात्रा से कहीं ट्रंप खफा न हो जाएं
सूत्रों की ओर से कहा गया है कि भारत के संबंध ईरान के साथ कनेक्टिविटी पर सबसे ज्यादा निर्भर करते हैं और ऊर्जा पर दोनों देशों की निर्भरता काफी कम है। चाबहार में दो टर्मिनल भारत की कंपनियों की ओर से तैयार किया जा रहा है। यह भी दोनों देशों के बीच चर्चा का एक मुद्दा होगा। भारत ने चाबहार पोर्ट पर निवेश का एक रणनीतिक प्लान तैयार किया है। चाबहार, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर पोर्ट से काफी करीब है और इसे चीनी कंपनियों की ओर से विकसित किया जा रहा है। भारत रूहानी के स्वागत के साथ ही चाबहार प्रोजेक्ट को भी आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा। रूहानी की भारत यात्रा अमेरिका के साथ भी संबंधों का टेस्ट होगा। आपको बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी हुई है।
2003 में एनएसए के तौर पर आए थे भारत
रूहानी सबसे पहले हैदराबाद जाएंगे और यहां पर वह मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मौलानाओं को संबोधित करेंगे। 16 फरवरी को वह हैदराबाद की एतिहासिक मक्का मस्जिद में जाकर प्रार्थना करेंगे। रूहानी दूसरी बार हैदराबाद आ रहे हैं। वह ईरान के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खत्माई के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर के तौर पर 24 जनवरी 2003 को भारत आए थे। खत्माई चार दिनों के लिए तब भारत में थे और उन्होंने तत्कालीन भारतीय पीएम अटल बिहारी वाजपेई से मुलाकात भी की थी। दोनों देशों ने नई दिल्ली घोषणा पत्र साइन किया था और इस घोषणा में भारत और ईरान के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का ऐलान किया गया था।