जानिए कौन हैं मोहम्मद शरीफ,जिन्हें अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन का मिला न्योता
जानिए कौन हैं मोहम्मद शरीफ,जिन्हें अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन का मिला न्योता
अयोध्या। भगवान राम की नगरी आयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए लगभग सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 5 अगस्त बुधवार को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तौर पर भाग लेंगे और मंदिर की आधारशिला रखेंगे। कोरोना महामारी के चलते भूमि पूजन कार्यक्रम में बहुत ही खास लोगों को आमंत्रित किया गया है। राममंदिर की आधारशिला रखने के लिए आयोजित इस समारोह में मोहम्मद शरीफ को भी आमंत्रित किया गया है। जानिए कौन हैं मोहम्म शरीफ ?
जानिए कौन हैं मोहम्मद शरीफ
मोहम्मद शरीफ वो ही शख्स है पिछले कई वर्षों से आयोध्या नगरी में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले मोहम्मद शरीफ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें आमंत्रण भेजे जाने पर वो बहुत प्रसन्न हैं। वो अयोध्या में आयोजित इस भव्य समारोह का हिस्सा बनने को बेहद उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि यदि मेरा स्वास्थ्य अनुमति देता है तो मैं जाऊंगा।
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वो इस काम में धर्म, संप्रदाय नहीं देखते हैं
बता दें वर्षों से रामनगरी अयोध्या के नागरिक मोहम्मद शरीफ लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं। मोहम्मद शरीफ का ये काम समाज के लिए एक मिसाल है। वर्षों से निस्वार्थ भाव से लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ की खासियत ये है कि वो इस काम में धर्म, संप्रदाय नहीं देखते हैं। सभी का अंतिम संस्कार एक समान भाव से करते हैं।
पद्मश्री से मोदी सरकार ने मोहम्मद शरीफ को किया था सम्मानित
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार मोहम्मद शरीफ को इसी वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था । अयोध्या में खिड़की अली बेग मोहल्ले के रहने वाले मोहम्मद शरीफ वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। पहले पीएम मोदी द्वारा उन्हें इतने बड़े सम्मान से सम्मानित किया गया और अब राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने पर शरीफ बहुत प्रसन्न हैं।
बेटे की हत्या के बाद शरीफ ने लिया ये फैसला
बता दें लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने का नाता शरीफ की जिंदगी से जुड़े एक हादसे से जुड़ा हुआ है। दरअसल, मोहम्मद शरीफ का एक बेटा मेडिकल सर्विस से जुड़ा था। एक बार वह सुल्तानपुर गया था, जहां उसकी हत्या करके शव को कहीं फेंक दिया गया था। शरीफ ने अपने बेटे का शव बहुत खोजा लेकिन लाश नहीं मिली। जिसके बाद से शरीफ ने लावारिस शवों को ढूंढ-ढूंढकर उसका अंतिम संस्कार करने का प्रण लिया। शरीफ के बेटे की '27 साल पहले सुलतानपुर में हत्या हो गई थी। जिसकी खबर शरीफ को लगभग एक माह बाद मिली। जिसके बाद उन्होंने लावारिस शवों के अंतिम संस्कार का काम अपने हाथ में ले लिया। में अब तक 300 हिंदू और 2500 मुसलमानों के शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं।
'शरीफ चचा' ने कहा पहले की सरकारों ने मेरे काम को नहीं दी तवज्जो
अयोध्या में लावारिश लोगों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ पूरी रामनगरी में 'शरीफ चाचा' के नाम से मशहूर हैं। शरीफ चचा कहते हैं 'जब तक उनमें जान है, वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि ये सेवा करने से उन्हें सुकून मिलता है। मैं 27 सालों से इस सेवा में जुटा हूं। उन्होंने कहा कि मेरे काम को सबसे बड़ा सम्मान मोदी सरकार ने दिया। उन्होंने कहा कि इसके पहले की सरकारों ने मेरे काम को कोई तवज्जो नहीं दी।'