नीति आयोग के सदस्य सारस्वत का विवादस्पद बयान, कहा- J&K में गंदी फिल्में देखने के लिए होता है इंटरनेट का यूज
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नई दिल्ली। कश्मीर में इंटरनेट पर लगी पाबंदी के लेकर नीति आयोग के सदस्य और पूर्व डीआरडीओ चीफ वीके सारस्वत ने एक विवादित बयान दिया है, उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर में इंटरनेट में नहीं है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वैसे भी उसका प्रयोग केवल गंदी फिल्मों के लिए तो ही होता है, उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर में इंटरनेट न हो तो क्या फर्क पड़ता है?, आप इंटरनेट पर क्या देखते हैं? वहां क्या ई-टेलिंग हो रही है? गंदी फिल्में देखने के अलावा आप उस पर (इंटरनेट) कुछ भी नहीं करते हैं वो लोग।
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घाटी में इंटरनेट सेवा बहाल
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2018 को जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के साथ ही केंद्र सरकार ने वहां इंटरनेट के साथ मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवाओं पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी, शनिवार को ही घाटी में सभी लोकल प्रीपेड मोबाइल सेवाओं की बहाली की गई है, वहां प्रीपेड कॉल, SMS और 2G इंटरनेट सेवाएं शुरू हो गई हैं।
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सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अभी भी प्रतिबंध
जम्मू कश्मीर प्रशासन की तरफ से होटलों और ट्रैवेल से जुड़े ऑफिसेज में ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा शुरू कर दी गई है। इस सुविधा के तहत सिर्फ ए कैटेगरी की वेबसाइट्स के ऑपरेशन को हर मंजूरी मिलेगी, सरकारी आदेश में कहा गया है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आदेश के बाद भी प्रतिबंध जारी रहेगा। प्रशासन की तरफ से तीन पेजों वाला आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि 400 इंटरनेट बूथ्स को कश्मीर क्षेत्र में लगाया जाएगा। साथ ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स, ब्रॉडबैंड की सुविधा उन सभी संस्थाओं जैसे हॉस्पिटल, बैंक और सरकारी ऑफिसेज को देंगे जहां पर इंटरनेट कामकाज के लिए जरूरी है।
सोशल मीडिया पर लोगों को किया जाता है गुमराह: सारस्वत
सारस्वत ने नेताओं के कश्मीर जाने पर भी सवाल खड़े किए हैं, सारस्वत ने कहा कि राजनेता कश्मीर क्यों जाना चाहते हैं, वे कश्मीर में भी दिल्ली की तरह सड़कों पर हो रहे विरोध प्रदर्शन को फिर से खड़ा करना चाहते हैं, उन्होंने कहा कि राजनेता विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, इससे केवल लोगों को भड़काया जाता है और गुमराह किया जाता है।
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मचा बवाल तो वीके सारस्वत ने दी ये सफाई
हालांकि जब वीके सारस्वत के बयान पर बवाल मचा तो उन्होंने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया है। अगर किसी को मेरी बात से दुख हुआ तो मैं माफी मांगता हूं। मैं नहीं चाहता हूं कि ऐसा लगे कि मैं कश्मीर के लोगों के इंटरनेट इस्तेमाल के अधिकार के खिलाफ हूं।
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