International Yoga Week 2020: तन के साथ मन को भी चंगा रखता है योग, डाक्टर्स भी लगा चुके हैं मुहर
देहरादून। उत्तराखंड के ऋषिकेश में रविवार से अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें 11 देशों और नौ राज्यों के योगाचार्य, शिक्षक और योग प्रेमी हिस्सा ले रहे हैं, योग के बारे में कहा जाता है कि ये केवल शरीर को ही सुंदर नहीं बनाता है बल्कि ये मन को भी खुश रखता है लेकिन अक्सर योग को लेकर एक बहस छिड़ी रहती है कि योग गंभीर बीमारियों पर असर नहीं करता है, ये केवल मन का फितूर है लेकिन अब खुश हो जाइए क्योंकि अब डॉक्टरों ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि योगासन और क्रियाएं बीमारियों का निदान कर सकती हैं।
योग करने से इंसान की लाइफ में एक अनुशासन आता है....
हाल ही में एम्स की ओर से कहा गया था कि कि कई बीमारियों पर लंबा शोध किया गया, जिसमें योग का असर साफ दिखता है, योग से अस्थमा, बांझपन, डायबीटीज, मोटापा, न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर और गैस संबधित बीमारियों में फायदा होता है। योग करने से इंसान की लाइफ में एक अनुशासन आता है, वो समय से हर काम करने के लिए प्रेरित होता है।
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इंसान का जीवन नियमबद्ध तरीके से चलेगा
अगर इंसान योग करेगा तो सुबह उठेगा, उसके बाद समय पर नाश्ता करेगा और उसकी रूटीन सेट हो जाएगी और अगर ऐसा होता है तो इंसान की आधी बीमारियों का समाधान तो तुरंत हो जाता है क्योंकि उसकी आधी बीमारियों की जड़ उसकी ऊंट-पटांग लाइफस्टाइल ही है, इसलिए हर इंसान को योग करना चाहिए, इसमें फायदा ही फायदा ही है।
योग क्या है?
ओशो ने कहा था कि योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, पहला है- जोड़ और दूसरा है समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुंचना कठिन होगा, योग दर्शन या धर्म नहीं, गणित से कुछ ज्यादा है। दो में दो मिलाओ चार ही आएँगे। चाहे विश्वास करो या मत करो, सिर्फ करके देख लो। आग में हाथ डालने से हाथ जलेंगे ही, यह विश्वास का मामला नहीं है।
प्रत्येक अंग का होता है व्यायाम
योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगसन मानव का चहुमुखी विकास करते हैं।
तन और मन दोनों ताजा
आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियायें करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियायें भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापिस मिल जाती है। शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्त्व है।
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