मोदी सरकार से क्यों नाराज है ये 8 साल की बच्ची, सम्मान भी ठुकराया
नई दिल्ली। जब कभी पर्यावरण संरक्षण का नाम आता है तो लोगों के जहन में अक्सर स्वीडन निवासी ग्रेटा थनबर्ग की तस्वीर उभरने लगती है। ना केवल संयुक्त राष्ट्र बल्कि भारत सहित दुनिया के कई देश ग्रेटा के काम के चलते उनकी तारीफ करने से पीछे नहीं हटते। लेकिन पर्यावरण के लिए काम करने वाले बच्चों में केवल ग्रेटा ही नहीं बल्कि और भी बहुत से बच्चों का नाम शामिल है। पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत की 8 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता लिकीप्रिया कंगुजाम भी अहम भूमिका निभा रही हैं। इसे लेकर वह कई जगह प्रदर्शन करती भी दिखी हैं।
लिकीप्रिया ने सम्मान पर नाखुशी जाहिर की
बीते साल वर्ल्ड चिल्ड्रन पीस सम्मान से नवाजी गईं लिकीप्रिया नरेंद्र मोदी सरकार से नाराज दिखाई दे रही हैं। उन्हें सरकार ने एक ऐसी शख्सियत के तौर पर दिखाया है, जो दुनिया को प्रेरणा देती है। लेकिन लिकीप्रिया ने इस सम्मान पर नाखुशी जाहिर करते हुए इसे ठुकरा दिया है। दरअसल लिकीप्रिया ने कहा है कि उन्हें सम्मान के बजाय सुना जाना चाहिए। सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर उन्हें 'शी इंस्पायर्स अस' अभियान के तहत दिखाया गया लेकिन उन्होंने इस पर जवाब देते हुए इस सम्मान को ठुकराने का फैसला लिया है।
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प्रधानमंत्री के लिए क्या बोलीं लिकीप्रिया
लिकीप्रिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'डियर पीएम, कृपया मेरे सम्मान पर जश्न ना मनाएं, यदि आप मेरी आवाज नहीं सुनने जा रहे। 'शी इंस्पायर्स अस' के तहत मुझे उन महिलाओं में से एक के रूप में चुनने के लिए शुक्रिया जो प्रेरित करती हैं। मैंने कई बार सोचा लेकिन फिर इस सम्मान को नहीं लेने का फैसला लिया है। जय हिंद।'
'शी इंस्पायर्स अस' पहल
जानकारी के लिए बता दें 'शी इंस्पायर्स अस' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किया गया 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एक अभियान है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात की घोषणा भी की थी कि वह इस महिला दिवस अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स उन महिलाओं को देंगे जिनकी कहानी प्रेरणा देती है। इसी को लेकर सरकार का ट्विटर हैंडल ऐसी महिलाओं की कहानी शेयर कर रहा है जिन्होंने अच्छे काम करते हुए कइयों को प्रेरणा दी है।
मणिपुर की रहने वाली हैं लिकीप्रिया
लिकीप्रिया के ट्विटर अकाउंट पर लिखा गया है कि इसे वो नहीं बल्कि उनके गार्जियन मैनेज करते हैं। मणिपुर की रहने वाली लिकीप्रिया को बीते साल डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। उनके ट्विटर हैंडल को अगर देखें तो उसमें वह पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कई बातें बताती हैं।
'भारत की ग्रेटा कहना बंद किया जाए'
उन्होंने एक ट्वीट में ये भी लिखा है कि उन्हें भारत की ग्रेटा कहना बंद किया जाए। वो अपना काम ग्रेटा जैसा दिखने के लिए नहीं कर रही हैं, लेकिन ग्रेटा उनकी प्रेरणा हैं। लिकीप्रिया कहती हैं कि उनका और ग्रेटा का उद्देश्य एक ही है, लेकिन उनकी पहचान ग्रेटा से अलग है। वो अपने अभियान की शुरुआत जुलाई 2018 में ही कर चुकी थीं, यानी ग्रेटा से भी पहले।
जलवायु परिवर्तन कानून बनाने की मांग
उन्होंने अपने सम्मान ठुकराए जाने वाले ट्वीट से एक दिन पहले ट्वीट कर प्रधानमंत्री के लिए कहा, 'डियर नरेंद्र मोदी जी, मेरे साथ हजारों बच्चों ने अपनी कक्षाओं को छोड़कर जलवायु पर धरना दिया। हम आपसे जल्द से जल्द जलवायु परिवर्तन कानून बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि हमारा ग्रह और भविष्य बच सके।'
'सरकार मेरी आवाज नहीं सुनती है'
एक अन्य ट्वीट में लिकिप्रिया लिखती हैं, 'सरकार मेरी आवाज नहीं सुनती है और आज उन्होंने मुझे देश की एक प्रेरणादायक महिला के तौर पर चुना है। क्या ये सही है? मुझे पता चला है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की शी इंस्पायर्स अस पहल के तहत 3.2 बिलियन लोगों में से कुछ प्रेरणादायक महिलाओं में मुझे चुना है।' पर्यावरण सम्मान की बात करें तो सरकार ने प्रेरणादायक कहानी के तौर पर 72 साल की तुलसी गौड़ा की कहानी भी शेयर की है। भारत सरकार ने उन्हें पद्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। तुसली गौड़ा कर्नाटक की रहने वाली एक पर्यावरणविद् हैं, जिन्हें 'जंगलों की एनसाइक्लोपीडिया' कहा जाता है।
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