International Peace Day: जानिए कबूतर क्यों है दुनिया में शांति का प्रतीक
International Peace Day:विश्व शांति दिवस: जानिए कबूतर क्यों है दुनिया में शांति का प्रतीक
नई दिल्ली: International Day Of Peace 2020: हर साल 21 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व शांति दिवस मनाया जाता है। विश्व शांति दिवस (International Peace Day) मनाने के पीछे की वजह थी कि दुनियाभर में सभी देशों और लोगों के बीच शांति बनी रहे। संयुक्त राष्ट्र ने 1981 में विश्व शांति दिवस मनाने की घोषणा की थी और पहली बार 1982 में विश्व शांति दिवस मनाया गया। 1982 से लेकर 2001 तक पहले सितंबर महीने के हर तीसरे मंगलवार को विश्व शांति दिवस मनाया जाता था। लेकिन साल 2002 में ऐलान किया गया कि अब विश्व शांति दिवस 21 सितंबर को मनाया जाएगा।
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विश्व शांति दिवस पर सफेद कबूतरों (Dove) को उड़ाकर शांति का संदेश दिया जाता है। इसलिए अलग-अलग देशों में विश्व शांति दिवस के दिन लोग सफेद कबूतर (pigeon) को उड़ाकर शांति का संदेश देते हैं। सफेद कबूतर को शांति का दूत माना जाता है। विश्व शांति दिवस के लोगो पर भी सफेद कबूतर बना हुआ है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि आखिर कबूतर को ही शांति का प्रतीक क्यों माना गया है? (Why Dove/pigeon Is A Symbol Of Peace)
अलग-अलग देशों और संस्कृतियों के पास शांति के अपने प्रतीक हैं, लेकिन उनमें से कुछ चीजें कॉमन हैं, जैसे कबूतर और ऑलिव लीफ। महान स्पैनिश कलाकार पाब्लो पिकासो (Legendary Spanish artist Pablo Picasso) की 'डव ऑफ पीस' (Dove of Peace) को पहली बार 1949 में पेरिस में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन के लिए प्रतीक के रूप में चुना गया था।
pablopicasso.org के मुताबिक "यह एक कबूतर की पारंपरिक और जीवंत तस्वीर थी, जिसे दिया गया था। पाबलो पिकासो को ये तस्वीर उनके महान दोस्त और प्रतिद्वंद्वी, फ्रांसीसी कलाकार हेनरी मैटिस ने दिया था। पिकासो ने बाद में इस छवि को एक सरल, ग्राफिक लाइन ड्राइंग में विकसित किया, जो दुनिया के शांति के सबसे पहचानने योग्य प्रतीकों में से एक है।
ग्रीक पौराणिक कथाओं (Greek mythology) में कबूतर का उपयोग प्रेम और जीवन को नये अंदाज में जीने के प्रतीक के रूप में किया गया था। यह कहा जाता है कि प्रारंभिक ईसाई भी बपतिस्मा (baptism) को चित्रित करने के लिए कबूतर का उपयोग करते थे।
जानें बाइबिल में कबूतर को लेकर क्या कहा गया है?
बाइबिल में कहा गया है कि नूह (Noah) ने कबूतर भेजा जब बाढ़ का पानी फिर से बढ़ गया था। पक्षी एक ऑलिव लीफ (जैतून की पत्ती) के साथ वापस आया, यह दिखाने के लिए कि बाढ़ खत्म हो गई थी और जीवन पृथ्वी पर लौट आया था।
कई पश्चिमी देश शांति के प्रतीक के रूप में जैतून की शाखा का भी उपयोग करते हैं। यूनानियों का मानना था कि एक जैतून शाखा बुराई को दूर भगाता है।