बेशकीमती होते हैं एस्टेरॉयड और उल्का पिंड, इंसानों को कर सकते हैं मालामाल
नई दिल्ली: हर साल 30 जून को वर्ल्ड एस्टेरॉयड डे (International Asteroid Day) मनाया जाता है। इस दिन का मकसद लोगों को एस्टेरॉयड के बारे में जागरुक करना है। 30 जून 1908 को एक एस्टेरॉयड धरती से टकराया था। जिससे रूस की तुंगुस्का नदी के पास बड़ा विस्फोट हुआ था। जिसे एस्टेरॉयड से पृथ्वी पर अब तक का सबसे बड़ा नुकसान माना जाता है। इसके बाद 2017 से वर्ल्ड एस्टेरॉयड डे को मनाए जाने की शुरूआत हुई। आमतौर पर एस्टेरॉयड और उल्का पिंड को धरती के लिए खतरनाक माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। कई एस्टेरॉयड और उल्का पिंड के टुकड़े करोड़ों में बिकते हैं।
ये है सबसे कीमती एस्टेरॉयड
कुछ साल पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक एस्टेरॉयड की खोज की थी, जिसका नाम '16 साइकी' है। कहा जाता है कि ये एस्टेरॉयड आयरन और बेशकीमती धातुओं से भरा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक इसकी कीमत 10 हजार क्वॉड्रिल्यन डॉलर (10,000,000,000,000,000,000 डॉलर) होगी, जबकि पूरे धरती की अर्थव्यवस्था 73700 अरब डॉलर की है। इसके आने के बाद सोने-चांदी जैसे आभूषणों की कीमत न के बराबर हो जाएगी। इसकी जांच के लिए नासा 2023 में एक रोबोट भेजेगी, जो 2030 में वापस लौटेगा। नासा के मुताबिक फिलहाल एस्टेरॉयड पृथ्वी पर लाने की कोई योजना नहीं है।
4.48 करोड़ में बिका चांद का टुकड़ा
कई सालों पहले चांद से एक टुकड़ा अलग हुआ, जो हजारों मील का सफर तय करके पृथ्वी पर पहुंचा और वातावरण में आते ही उसके टुकड़े हो गए, जो उत्तर पश्चिम अफ्रीका के रेगिस्तान में गिरे। इसके बाद अमेरिका की एक कंपनी RR Auction ने चांद के टुकड़े को खोज निकाला और इसका नाम The Moon Puzzle रख दिया। फिर कंपनी ने इसे एक नीलामी में 4,48,99,618 रुपये में बेच दिया। इसको वियतनाम के एक शख्स ने खरीदा था।
क्यों पड़ा The Moon Puzzle नाम
विशेषज्ञों की मानें तो ये उल्कापिंड 6 टुकड़ों से बना है, जो किसी पहेली की तरह इससे जुड़े हैं। इस वजह से इसे The Moon Puzzle नाम दिया गया। इसका वजन 5.5 किलोग्राम है। रेगिस्तान से कंपनी ने इस टुकड़े को खोजा था इसलिए इसकी नीलामी हो सकी। अगर नासा का अंतरिक्ष यात्री कोई टुकड़ा दूसरे ग्रह से लेकर आता है तो वो अमेरिका की संपत्ति मानी जाती है। वहीं कई लोग उल्का पिंड और एस्टेरॉयड को एक मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। एस्टेरॉयड एक खगोलीय पिंड होते हैं, जो ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं। इनका आकार ग्रहों से छोटा और उल्का पिंडों से बड़ा होता है।
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