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भूपेश बघेल: 5 सालों तक रोजाना किया 150 किमी तक का सफर, तब जाकर मिली CM की कुर्सी

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नई दिल्ली। तीन राज्यों में कांग्रेस को सत्ता तो मिली ,लेकिन सत्ता की कमान किसके हाथों में सौंपी जाए ये तय करने में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को काफी माथापच्ची करनी पड़ी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत अप्रत्याशित थी, किसी को अंजादा नहीं था कि भाजपा को इस तरह से हार का सामना करना पड़ेगा। जीत के साथ ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल की मुख्यमंत्री पद के लिए जिम्मेदारी अहम हो गई। हालांकि उनके लिए मुख्यमंत्री पद की ये कुर्सी इतनी आसान नहीं थी। 5 सालों की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें सत्ता की कुर्सी मिली है। हर दिन 150 किमी के सफर में आखिरकार उन्हें मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचा ही दिया। आइए जानें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बारें में....

 5 सालों के संघर्ष की कहानी

5 सालों के संघर्ष की कहानी

छत्तीसगढ़ के सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के लिए भूपेश ने पिछले 5 साल के दौरान करीब पौने 3 लाख किलोमीटर का सफर और 1000 किलोमीटर की पद यात्रा की। अगर कहें कि कांग्रेस की जीत की कहानी बघेल की यात्राओं ने लिखी तो गलत नहीं होगा। प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही भूपेश लगातार संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ जनसंपर्क में लगे रहे। भूपेश को यात्राओं से जन्मा नेता कहा जा रहा है। जानकार कहते हैं कि कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की राजनीति में मुख्य भूमिका तक पहुंचाने के पीछे भूपेश की यात्राओं की बहुत ही अहम रोल रहा है। कभी किसानों के लिए यात्रा तो कभी आदिवासियों के लिए। बस्तर से लेकर सरगुजा तक भूपेश अपनी राजनीतिक यात्राओं में लगातार सक्रिय रहे। उन्होंने 5 सालों में पौने तीन लाख किमी की यात्रा की।

 मुश्किल घड़ी में संभाली पार्टी की कमान

मुश्किल घड़ी में संभाली पार्टी की कमान

15 सालों से राज्य में भाजपा की सरकार थी। सत्ताधारी भाजपा के सामने अपने आक्रामक तेवर के चलते उन्होंने ताबड़तोड़ हमले जारी रखे। सरकार की उपलब्धियों, उनकी घोषणाओं में भी बघेल ने कमियां निकाली और लोगों के सामने रखना शुरू कर दिया। उन्होंने पार्टी की कमान ऐसे दौर में संभाली जब राज्य में कांग्रेस के पहली पंक्ति के नेता झीरम घाटी नक्सली हमलों में मारे जा चुके थे, जिसमें कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ला, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा मारे गए थे। ऐसे में बघेल ने न केवल कांग्रेस की कमान संभाली बल्कि जीत का प्रण लिया। लगातार चुनाव हार चुके कांग्रेस कार्.कर्ताओं में जोश भरने से लेकर पार्टी को एकजुट करना बघेल के लिए बड़ी चुनौती थी। उन्हें अपनी ही पार्टी की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा था।

 जातिय समीकरण का खेल

जातिय समीकरण का खेल

भूपेश बघेल बेहद साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता साधारण किसान थे। बघेल राज्य में राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम कुर्मी जाति से आते हैं। उनकी इस जातिय समीकरण का कांग्रेस को जबरदस्त फायदा हुआ। कांग्रेस का प्रदर्शन भी छत्तीसगढ़ की ओबीसी बेल्ट में खासा अच्छा रहा।

 यात्राओं से खड़ा किया संगठन

यात्राओं से खड़ा किया संगठन

भूपेश बघेल ने ताबड़तोड़ पद यात्राएं की। 5 सालों में 1000 किमी की पद यात्रा कर कार्यकर्ताओं और कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की। उन्‍होंने सोशल मीडिया को भी जरिया बनाया और लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर बने रहे। उनकी छवि एक जुझारू, आक्रामक तेवर वाले नेता के रूप में सामने आ गई। उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया और पार्टी को भाजपा सरकार के खिलाफ तैयार किया। उनकी अध्यक्षता में कांग्रेस ने कई ऐसे आंदोलन किए, जिससे कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास लौटाया और पार्टी को एकजुट किया।

 सियासी पारी की शुरुआत

सियासी पारी की शुरुआत

मध्‍य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) के दुर्ग में 23 अगस्त, 1961 को जन्‍मे भूपेश बघेल ने 80 के दशक में कांग्रेस के साथ युवा नेता के तौर पर राजनीतिक पारी शुरू की । जल्द ही उन्हें दुर्ग जिले के यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 1990 से 94 तक जिला युवक कांग्रेस कमिटी, दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे। उन्होंने 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निदेशक का पद संभाला। फिर 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो वह पाटन सीट से विधानसभा पहुंचे। उन्हेंन कैबिनेट मंत्री का पदभार मिला। 2003 में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के बाद उन्हें विपक्ष का उपनेता बनाया गया। 2014 में उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और अब एक साधारण किसान का बेटा राज्य का मुख्यमंत्री बन चुका है।

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English summary
Bhupesh Baghel is Chhattisgarh's new chief minister, will take oath on Monday, Know Some interesting facts about him.
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