पूर्व रॉ चीफ ने कारगिल के बारे में किया बड़ा खुलासा, बोले- आडवाणी को सब पता था
नई दिल्ली। गुप्तचर एजेंसी रॉ के पूर्व चीफ अमरजीत सिंह दुलत ने कारगिल युद्ध के बारे में बड़ा खुलासा किया है। चंडीगढ़ में आयोजित दुलत ने बताया कि करगिल युद्ध से पहले सीमा पर असामान्य गतिविधियों की जानकारी गृह मंत्रालय को समय से पहले ही दे दी गई थी। खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने सरकार को स्पष्ट बता दिया था कि गुप्त सूचनाओं को अधिक समय तक लटकाए नहीं रखा जा सकता, उन पर उचित एक्शन लिए जाने की जरूरत है। 1999 में जिस वक्त कारगिल युद्ध से हुआ था, तब अटली बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री पद पर थे और केंद्रीय गृह मंत्रालय का जिम्मा लालकृष्ण आडवाणी के पास था। दुलत का यह खुलासा इसलिए बेहद अहम है, क्योंकि उस वक्त ऐसा माना गया था कि करगिल युद्ध से पहले पाकिस्तान की गतिविधियों के बारे में भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास पर्याप्त जानकारी नहीं थी। दुलत कारगिल युद्ध के समय इंटेलिजेंस ब्यूरो में तैनात थे।
शनिवार को चंडीगढ़ में आयोजित सैन्य साहित्य महोत्सव में दुलत ने कारगिल युद्ध के बारे में यह बेहद महत्वपूर्ण खुलासा किया। उन्होंने कहा, 'हमें कुछ असामान्य गतिविधियों की सूचना मिली थी। यह जानकारी सेना की टिप्पणियों के साथ गृह मंत्रालय तक पहुंचा दी गई थी।'
दुलत से जब कार्यक्रम में पूछा गया कि क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तानी सेना के हाथों की कठपुतली हैं? इस पर उन्होंने कहा कि अभी हमें इमरान को और समय देना चाहिए। उन्होंने अपनी बात में इमरान खान के उस ताजा बयान का भी जिक्र किया, जिसमें पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री ने माना कि 2008 में हुआ मुंबई हमला आतंकवादी घटना थी।
कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल कमल डावर (रिटायर्ड), लेफ्टिनेंट जनरल संजीव लंगर (रिटायर्ड) और पूर्व रॉ प्रमुख केसी वर्मा और दुलत सभी ने इस बात पर एक राय जाहिर की कि खुफिया सूचनाओं को अधिक समय तक लटकाए नहीं रखा जा सकता, उन पर तुरंत सूझबूझ भरी कार्रवाई होनी चाहिए।
कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल लंगर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में प्रतिदिन होने वाले ऑपरेशन सिर्फ 30 प्रतिशत खुफिया जानकारी पर आधारित होते हैं। कोई भी पूरी खुफिया जानकारी आने तक इंतजार नहीं कर सकता। उनका कहना है कि बड़े स्तर पर खुफिया जानकारियां सरकार को नीतिगत विकल्प मुहैया कराती हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल डावर ने कार्यक्रम में एक अहम बात कही। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों सेनाओं की एकीकृत इंटेलिजेंस कमांड गठित नहीं हो जाती, तब तक खुफिया एजेंसियां आलोचना की शिकार होती रहेंगी। उन्होंने कहा कि हर असफलता के लिए खुफिया तंत्र को दोषी ठहराना बहुत आसान है, जबकि असल में यह सिस्टम का फेलियर है।