बीमा कंपनियों का आरोप-कोरोना मरीजों का महंगा इलाज कर रहे हैं अस्पताल
नई दिल्ली। गैर-जीवन बीमा कंपनियों के संघ जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने उन अस्पतालों पर आरोप लगाया है जहां कैशलेस बीमा उपलब्ध है, वे कोविड -19 उपचार के बिलों को काफी बढ़ा-चढ़ाकर रहे हैं। काउंसिल ने हेल्थकेयर फीस के नियमन का आह्वान किया है। काउंसिल कोविड के इलाज के क्लैम की कैशलेस सर्विसिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पक्षधर है।
टीओआई की खबर के मुताबिक, जीआई काउंसिल के प्रमुख एम एन शर्मा ने कहा, हमें हाल ही में मेडिकल महंगाई को देखने को मिली है। जहां अस्पताल कृत्रिम रूप से दरों को बढ़ा रहे हैं। बीमा कंपनियां सूट नहीं कर सकती हैं क्योंकि हम विनियमित हैं। हमारे द्वारा जारी की जाने वाली प्रत्येक नीति और दरों को इरडा द्वारा अनुमोदित किया जाता है। अगर अस्पताल ऐसा कर रहे हैं तो भी हम अपने उत्पादों की गलत कीमत नहीं दे सकते।
काउंसिल कोविड -19 उपचार लागत पर सरकार द्वारा निर्धारित कैप की मांग कर रही है। काउंसिल का कहना है कि निजी अस्पताल मनमाने तरीके से मरीजों से शुल्क वसूल रहे हैं। जीआई काउंसिल सुप्रीम कोर्ट में खुद एक याचिका दायर कर सकती है क्योंकि इसने बीमा कवर वाले रोगियों और बिना बीमा कवर वाले मरीजों के बिल में काफी अंतर देखने मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की जनहित याचिका मूल रूप से कोलकाता निवासी एक अस्पताल के पीड़ित अविषेक गोयनका द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आम आदमी को होने वाली परेशानियों के बारे में बताया गया था। जीआई काउंसिल ने खुद को गोयनका की याचिका में शामिल किया है।
पीआईएल में बीमा और बिना बीमा वाले उन रोगियों के बीच अस्पताल के द्वारा दिए गए बिलों की विसंगति का भी उल्लेख है। इन बिलों में एक जैसे इलाज की राशि अलग-अलग थी। बीमा वाले मरीज का बिल 5 लाख रुपए तक था, जबकि बिना बीमा के मरीजों के लिए बिल आधा या एक चौथाई था।
नीतीश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्याम रजक को JDU ने किया निष्कासित