नई दिल्ली। आध्यात्म के नाम पर घिनौना खेल खेलने वाला अय्याश बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। लेकिन उसके कुकर्मों की नए-नए खुलासे रोज सामने आ रहे हैं। आश्रम से निकाली गई एक महिला ने बताया कि लड़कियों को 2:30 बजे उठा दिया जाता था और नहलाकर टीवी के जरिए बाबा का उपदेश सुनाया जाता था। इतना ही नहीं आश्रम में आने के बाद बाबा रात के लिए 8-10 लड़कियों को चुनता और फिर उन्हें 'गुप्त प्रसाद' के नाम पर कमरे में ले जाया जाता था। महिला ने खुलासा किया है कि 'गुप्त प्रसाद' सेक्स का कोड वर्ड था। सबसे हैरान करने वाला खुलासा ये है कि आश्रम में एक रजिस्टर था जिसमें महिलाओं के मासिक धर्म चक्र (पीरियड) का पूरा रिकॉर्ड रहता था। विस्तार से जानिए पूरा मामला

दूसरों को देता था शारीरिक संबंध न बनाने की सलाह
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में वकील शलभ गुप्ता ने बताया कि वीरेंद्र के एजेंट अनुयायियों को पहले यह समझाते थे कि कि ब्रह्म कुमारी के संस्थापक लेखराज कृपलानी की आत्मा वीरेंद्र देव में वास करती है। वीरेंद्र देव दीक्षित के एक अनुयायी ने बताया कि अनुयायियों को उनके नियमों का पालन करना पड़ता था, मसलन- साथी से सेक्स न करें, सादा भोजन करें, समाजिक आयोजनों व लगों से दूर रहें। आपको बता दें कि शलभ गुप्ता एक एनजीओ(फाउंडेशन फॉर सोशल एंपावरमेंट) से जुड़े हैं और उन्होंने ही वीरेंद्र देव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। खुलासे के बाद से वीरेंद्र के कई भक्त अब शलभ को पत्र लिख अपनी आपबीती सांझा कर रहे हैं।

जिंदा रहने के लिए 'कुर्बानी' मांगता था बाबा
अखबार के मुताबिक वीरेंद्र देव बेहद आसानी से लोगों को अपने जाल में फंसा लेता था। अपने अनुयायियों से वह कहता कि वह ईश्वर है और 2020 में दुनिया खत्म हो जाएगी। वह लोगों से कहता कि अगर वे जिंदा रहना चाहते हैं तो उन्हें डोनेशन के रूप में कुछ 'कुर्बान' करना पड़ेगा। बांदा की रहने वाली एक महिला का आरोप है कि उनका रेप किया गया, आश्रम में वह एक सेवादार के रूप में रहती थीं। उन्होंने बताया कि आश्रम के लिए उन्होंने 10 बिघा जमीन बेची और 10 लाख रुपये दिए। इतना ही नहीं, उन्होंने साल 2007 में अपनी बेटी को भी आश्रम के लिए समर्पित कर दिया।

मां-बाप से रखनी होती थी दूरी
आध्यात्मिक शिक्षा के नाम पर वीरेंद्र देव नाबालिग लड़कियों को लाता था। शुरुआत में वह उन्हें अपने गृहराज्य से दूर करता था ताकि वे परिवार से कम से कम संपर्क में रहें। माता-पिता अपनी बच्चियों से शुरुआत में कभी-कभार मिल पाते, वह भी थोड़ी देर के लिए और बहुत सारी लड़कियों के बीच। धीरे-धीरे संपर्क खत्म-सा हो जाता और अचानक लड़की से फोन पर संपर्क भी मुश्किल।
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