तो इस तरह से भाजपा के ऑपरेशन लोटस को कांग्रेस ने किया फेल, सिद्धारमैया बने चाणक्य
नई दिल्ली। कर्नाटक में जिस तरह से जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार पर खतरा मंडरा रहा था वह आखिरकार टल गया। भाजपा के ऑपरेशन लोटस को विफल करने में कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अहम भूमिका निभाई। प्रदेश में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 104 विधायक हैं, बावजूद इसके वह सत्ता से दूर है। भाजपा प्रदेश में अबतक तीन बार सरकार बनाने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन हर बार आखिरी मौके पर उसे मात खानी पड़ी है।
विधायकों को मनाने की मुहिम
कांग्रेस
के
लिए
प्रदेश
में
सबसे
बड़ी
चुनौती
जेडीएस
के
विधायकों
को
साथ
बनाए
रखना
है।
दरअसल
प्रदेश
में
कैबिनेट
विस्तार
के
बाद
से
ही
विधायको
ने
बागी
तेवर
दिखाने
शुरू
कर
दिए
हैं।
इन्ही
में
से
पांच
बागी
विधायकों
ने
मुंबई
में
पार्टी
की
मुश्किल
को
बढ़ा
दिया
था।
माना
जा
रहा
था
कि
ये
विधायक
भाजपा
के
संपर्क
में
थे
और
सरकार
के
लिए
मुश्किल
खड़ी
कर
सकते
हैं।
लेकिन
इस
बार
सिद्धारमैया
सरकार
के
बचाव
में
सामने
आए
और
मुख्यमंत्री
कुमारस्वामी
के
साथ
मिलकर
उन्होंने
बागियों
को
मनाने
की
मुहिम
शुरू
की,
जोकि
माना
जा
रहा
था
कि
भाजपा
के
संपर्क
में
थे।
Recommended Video
कमेटी का गठन
प्रदेश में बागी विधायकों को मनाने के लिए कुमारस्वामी, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार, एम बी पाटिल , जमीर अहमद और केजे जॉर्ज की कमेटी बनाई गई। जिसकी कमान सिद्धारमैया के पास थी। सिद्धारमैया ने इन तमाम विधायकों को समझाया कि कैसे उनके बागी तेवर उनके लिए ही घातक साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि आप लोगों के पास संख्या नहीं है दूसरा कि भाजपा को सरकार बनाने के लिए 14 विधायकों का इस्तीफा देना जरूरी है।
सिद्धारमैया ने समझाया क्यों बेकार है बागी तेवर
सिद्धारमैया ने विधायकों को समझाया कि विधानसभा स्पीकर चाहें तो वह इस्तीफे को अपने अपने पास लंबित रख सकती हैं और उनके खिलाफ दल-बदल कानून भी लागू हो सकता है, ऐसे में अगर विधायक बागी तेवर दिखाते हैं तो उनका यह प्रयास विफल हो जाएगा, इसके बाद यह विधायक ना तो यहां के रहेंगे और ना वहां के रहेंगे क्योंकि भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए संख्या नहीं है। कमेटी के साथ बैठक के बाद सबसे पहले बागी विधायक भीमा नाइक सामने आए और अपने दोस्त के साथ गोवा चले गए। इसके बाद पी पाटिल, अमरगुड़ा और जेएन गणेश छिपते-छिपाते बाहर आए।
विधायकों को मिला आश्वासन
सूत्रों की मानें तो बागी विधायकों को इस बात की जानकारी दी गई थी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा। उन्हें कहा गया था कि वह शांत रहे और संयम बनाए रखे, बजाए इसके कि वह इस्तीफा दे दें। यही नहीं इन्हे इस बात का भी भरोसा दिया गया है कि तबादले में इनके सुझाव को स्वीकार किया जाएगा।
इसे भी पढ़ें- कर्नाटक में टला जेडीएस-कांग्रेस सरकार का संकट, भाजपा का ऑपरेशन लोटस फेल