जब आतंकी ने कर्नल आशुतोष के मोबाइल पर आई कॉल के जवाब में कहा अस्सलामवालेकुम, हंदवाड़ा एनकाउंटर की Inside Story
श्रीनगर। कश्मीर घाटी में इस समय तीन अलग-अलग जगहों पर आतंकियों के साथ मुठभेड़ चल रही है। शनिवार को कुपवाड़ा जिले में आने वाले हंदवाड़ा में हुए एनकाउंटर के बाद मंगलवार रात से ही घाटी में एंटी-टेरर ऑपरेशंस को लॉन्च किया गया है। हंदवाड़ा में हुए एनकाउंटर में 21 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश और जम्मू कश्मीर पुलिस के सब-इंसपेक्टर शकील काजी शहीद हो गए। इस एनकाउंटर में शुरुआत में जीत आतंकियों के हाथ में जाती नजर आ रही थी मगर सिर्फ एक शब्द ने पूरी कहानी को बदल कर दिया था।
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13 घंटे तक चला था एनकाउंटर
कर्नल आशुतोष के फोन पर की गई एक कॉल जिसका जवाब एक आतंकी ने दिया था, उसने पूरे एनकाउंटर का रुख सुरक्षाबलों की तरफ मोड़ दिया था। इस फोन कॉल के जरिए हंदवाड़ा के छांजीमुल्ला इलाके के एक घर के बाहर मौजूद पुलिस जवानों और सेना की टीम को इशारा किया कि टीम खतरे में है। हंदवाड़ा एनकाउंटर 13 घंटे तक चला था। इस एनकाउंटर को तब लॉन्च किया गया जब आतंकियों ने कुछ नागरिकों को बंधक बना लिया था। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स ने जम्मू कश्मीर पुलिस के सूत्रों के हवाले से यह बताया है। शाम 3:30 बजे सीओ कर्नल आशुतोष अपनी टीम के साथ हंदवाड़ा में उस जगह के लिए रवाना हुए थे जहां पर आतंकियों ने नागरिकों को बंधक बनाया था।
कर्नल का फोन था आतंकियों के पास
करीब 5:30 बजे कर्नल शर्मा और उनकी टीम ने उस परिवार को तो घर से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की जिन्हें आतंकियों ने बंधक बनाया था। लेकिन आतंकियों ने उन्हें घेर लिया। टीम की तरफ से कोई सिग्नल ही नहीं आ रहा था। जम्मू कश्मीर पुलिस सूत्रों की मानें तो शाम छह बजे से रात 10 बजे तक कर्नल शर्मा और उनकी टीम से संपर्क करने की कई कोशिशें की गई थीं और सारे प्रयास विफल हो गए थे।
जवाब के बाद फिर शुरू हुई फायरिंग
चार घंटे बाद यानी 10 बजे फोन किसी ने उठाया और दूसरी तरफ से जवाब आया, 'अस्सलामवालेकुम।' इस जवाब के साथ ही ऑफिसर्स ने जो फायरिंग रुक गई थी उसे दोबारा शुरू किया। बाहर इंतजार कर रहे पुलिस और सेना के ऑफिसर्स को पता लग गया था कि कर्नल का फोन आतंकियों के कब्जे में है। रविवार तड़के तक फायरिंग होती रही। सुरक्षाबलों के पास कोई भी रास्ता या वजह नहीं थी कि इस फायरिंग को रोका जाए।
ढेर हुआ लश्कर का टॉप कमांडर
एनकाउंटर की शुरुआत में कर्नल शर्मा और उनकी टीम के हाथ पीछे बांध दिए गए थे। यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि घर में बंधक बनाए गए परिवार को किसी तरह का कोई नुकसान न पहुंचे। जैसे ही परिवार घर के बाहर आ गया, टीम की सुरक्षा, बाकी सुरक्षाबलों के लिए प्राथमिकता थी। इसके बाद रविवार को दिन निकलने पर फायरिंग बंदद हो गई। जब सुरक्षाबल घर के अंदर दाखिल हुए तो उन्हें आतंकियों की दो लाशें मिली थीं जिसमें से एक लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर हैदर था।