संशोधित नागरिकता बिल में 4 राज्यों को दी गई छूट, यहां नहीं लागू होगा नया कानून
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नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी। अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। नए नागरिता संशोधन विधेयक में अरुणाचल और मणिपुर समेत चार राज्यों को छूट दी है। ये बिल संविधान की अनुसूची 6 पर लागू नहीं होगा। जिसके चलते इन राज्यों को नागरिकता संशोधन विधेयक से राहत मिली है। इनर लाइन परमिट क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर को अलग रखा गया है।
सरकार की ओर से जारी एक बयान में बुधवार को बताया गया कि, वे राज्य जहां इनर लाइन परमिट (ILP) लागू है और नॉर्थ ईस्ट के 4 राज्यों में 6 अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों को नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) से छूट दी गई है। इस बिल के जरिए उत्तरपूर्व के उन इलाकों का संरक्षण भी होगा, जिन्हें छठी अनुसूची में रखा गया है। इस सेक्शन में से कुछ भी असम , मेघालय , मिजोरम और त्रिपुरा, साथ ही संविधान की छठी अनुसूची पर लागू नहीं होगा।
यह उन पर भी लागू नहीं होगा जो इलाके बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन, 1873 के तहत इनर लाइन के अंतर्गत चिन्हित किए गए हैं। जो इस नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रहे थे, उनके लिए छठी अनुसूची और इनर लाइन परमिट क्षेत्रों की पवित्रता को बचाए रखना बड़ा मुद्दा था। इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को अपनी अनुमति दे दी। जल्द ही ये बिल दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।
इस बिल में पड़ोसी मुल्कों से शरण के लिए आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। बिल का विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने इसे संविधान की भावना के विपरीत बताते हुए कहा है कि नागरिकों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेद नहीं किया जाना चाहिए। एक तरफ विपक्षी दल इस पर कड़ा विरोध कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार ने भी इस बिल पर आगे बढ़ने की मंशा जाहिर कर दी है। मंगलवार को हुई बीजेपी संसदीय दल की बैठक में डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि यह बिल सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है।