नारायण मूर्ति का मौन प्रेम, बेटी अक्षता को लिखी चिट्ठी पढ़कर रो पड़ेंगे आप
नयी दिल्ली। मां और बच्चों का प्रेम अपरिभाषित हैं। मां के प्रेम की तुलना किसी से नहीं की जा सकती, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पिता के प्रेम को अनदेखा किया जाए। पिता अपने मौन प्रेम को व्यक्त करने से झिझकते हैं। वो अपनी फीलिंग को व्यक्त नहीं कर पाते, लेकिन बच्चों के जीवन में पिता के इस प्रेम की जगह और कोई नहीं ले सकता। नारायणूर्ति जी, हमने किए घोटालों के 'अविष्कार'
पिता के इसी प्रेम को इंफोसिस के फाउंडर और सीईओ नारायण मूर्ति ने अपनी बेटी अक्षता के लिए दिखाया है। जो बातें वो अपनी बेटी के सामने नहीं कर पाएं उसे उन्होंने चिट्ठी में लिखकर व्यक्त किया है। एन आर नारायण मूर्ति ने अपनी बेटी अक्षता के नाम एक खत लिखा है, जिसे सुधा मेनन ने अपनी किताब लेगेसी में प्रकाशित किया है। नारायण मूर्ति की ये चिट्ठी को पढ़ना जितना एक बेटी के लिए जरुरी है उतना ही एक पिता के लिए भी। आप भी पढ़िए नारायण मूर्ति की अपने पहली संतान और बेटी अक्षता के नाम खत...हर मां पढ़े चंदा कोचर का अपनी बेटी को लिखा ये खत, हमेशा सफल रहेंगी
अक्षता
तुम्हारे जन्म के बाद पिता बनने के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। तुम्हारे जन्म के बाद मैं एक ऐसा शख्स बन गया जो मैं पहले कभी नहीं था। तुम्हारा जन्म मेरे जीवन में खुशियों के साथ-साथ बड़ी जिम्मेदारी भी लेकर आया। अब मैं एक पति, बेटा और एक तेजी से बढ़ रही कंपनी के कर्मचारी के अलावा एक बेटी का पिता बन चुका था, जिसे जिंदगी में अपनी बेटी की हर उम्मीद पर खरा उतरना था।
तुम्हारा जन्म मेरी जिंदगी में बेंचमार्क साबित हुआ। तुम्हारे जन्म के वक्त मैं और तुम्हारी मां करियर को लेकर स्ट्रगल कर रहे थे। तुम्हारे जन्म के दो महीने बाद हम हुबली से मुंबई आ गए, लेकिन यहां आकतर लगा कि करियर के साथ तुम्हारी परवरिश करना कठिन होगा। तब हमनें तय किया कि ये शुरुआती साल तुम्हें अपने दादा-दादी के साथ हुबली में ही रहना चाहिए। तुमसे मिलने मैं हर वीकेंड पर बेलगाम के लिए फ्लाइट लेता और फिर वहां से कार लेकर तुम्हें मिलने पहुंच जाता। इसका खर्च उठाना कठिन था, लेकिन तुम्हें देखे बिना मैं रह भी नहीं सकता था।
बच्चों की परवरिश में सबसे बड़ी जिम्मेदारी तुम्हारी मां ने निभाई। उन्होंने तुम्हें और तुम्हारे भाई को मानवीय मूल्यों पर जीना सिखाया। तुम्हें याद होगा बैंगलोर में तुम्हारा सेलेक्शन स्कूल ड्रामा के लिए हुआ था, जिसके लिए तुम्हें एक स्पेशल ड्रेस चाहिए थी, लेकिन उस वक्त हम उसे खरीदने में असमर्थ थे, तब तुम्हारी मां ने तुम्हें ड्रामा में हिस्सा लेने से मना कर दिया। तुम्हें उस बात का बुरा लगा और तुमने मुझसे पूछा भी था। हमें उम्मीद है कि तुम हमारी उस तपस्या का मतलब समझोगी।
हमारी जीवनशैली साधारण है। तुम्हारी मां और मेरे बीच तुम दोनों भाई-बहनों को कार से स्कूल छोड़ने को लेकर कई बार बहस होती थी, लेकिन तुम्हारी मां तुम्हें तुम्हारे दोस्तों के साथ रिक्शे में ही भेजती रही, ताकि तुम दोस्त बनाओ। दुनिया में सादगी से बढ़कर खुशी किसी भी दूसरी चीज में नहीं और इसकी कोई कीमत भी नहीं।
तुम हमेशा पूछती थी कि हमारे घर में टेलीविजन क्यों नहीं है, लेकिन तुम्हारी मां ने बहुत पहले से ही तय कर लिया था कि हमारे घर टेलीविजन नहीं होगा ताकि तुम्हारा मन पढ़ाई में लग सके। हम अपना पूरा ध्यान डिस्कशन करने और दूसरे कामों को पूरा करने में लगाएंगे। तुमने अपना जीव नसाथी चुना तो मैं भी थोड़ा उदास हो गया था। तुम्हें विदा करने की बात से मैं दुखी था, लेकिन जब मैं ऋषि से मिला तो मैं समझ गया कि तुमने उसे क्यों चुना है। कुछ वक्त पहले ही तुमने मेरी तरक्की कर दी और मैं नाना बन गया।
जब पहली बार मैंने तुम्हारी बेटी कृष्णा को गोद में उठाया तो जो महसूस हुआ वो मैं शब्दों में नहीं बयां कर सकता। अक्षता,हमारे पास यही एक दुनिया है। इस दुनिया में कई तरह की दिक्कतें है, लेकिन ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम कृष्णा को एक ऐसी दुनिया दो जहां कोई तकलीफ नहीं हो। ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि हमसे तुम्हें जो कुछ भी मिला, तुम कृष्णा को उससे बेहतर दो
मेरी बच्ची
प्यार सहित, अप्पा