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भारत-नेपाल तनाव: सीमा पर रहने वालों को अपनों से मिलना हुआ मुश्किल

दोनों ही देशों ने सुरक्षा की दृष्टि से सीमाओं पर सेना की तैनाती कर दी है. सीमा पर रहने वाले कई लोंगों के रिश्तेदार बॉर्डर के उस पार रहते हैं, अब उनका मिलना-जुलना मुश्किल हो गया है.

By नीरज प्रियदर्शी
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भारत-नेपाल तनाव: सीमा पर रहने वालों को अपनों से मिलना हुआ मुश्किल

भारत-नेपाल के बीच बढ़ते तनाव ने उन लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, जिनके संबंध बॉर्डर के दोनों तरफ़ रह रहे लोगों से हैं.

दोनों ही देशों ने सुरक्षा की दृष्टि से सीमाओं पर सेना की तैनाती कर दी है. सीमा पर रहने वाले कई लोंगों के रिश्तेदार बॉर्डर के उस पार रहते हैं, अब उनका मिलना-जुलना मुश्किल हो गया है.

इस दौरान कुछ हिंसक घटनाओं की भी ख़बरें आईं.

सीतामढ़ी की घटना

इसी महीने की 13 तारीख को सीतामढ़ी की एक अचला नाम की महिला से मारपीट की ख़बर आई. महिला कथित रूप से बॉर्डर पर अपने माता पिता से मिलने गई थी जो नेपाल में रहते हैं. मुलाक़ात के दौरान नेपाली पुलिस ने आपत्ति जताई. इसके बाद ग्रामीणों से बहस हो गई और फ़ायरिंग भी हुई.

गोलीबारी की घटना में जानकी नगर के बिकेश कुमार की मौत हो गई जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए.

अचला कहती हैं, "अगर मुझे पता होता कि मेरे माता-पिता से मिलने पर ऐसा बखेड़ा खड़ा हो जाएगा तो मैं कभी मिलने नहीं जाती. मैं ठीक से मिल भी कहाँ पाई! पुलिस लाठियाँ बरसाने लगी. हम लोगों को किसी तरह जान बचाकर भागना पड़ा."

भारत-नेपाल तनाव: सीमा पर रहने वालों को अपनों से मिलना हुआ मुश्किल

अचला एक छोटे बच्चे की माँ हैं. वो कहती हैं, "मेरे बेटे को देखने के लिए ही उसके नाना-नानी ने सीमा पर बुलाया था. सीमा पर मुलाक़ात तय थी. पुलिस ने परमिशन भी दी थी लेकिन थोड़ी ही देर में पुलिस हमें वहाँ से हटाने लगी. गाँववालों ने सवाल किया तो पुलिस उनके साथ उलझ गई."

अचला के सुसर लगन राय को नेपाली पुलिस ने कथित रूप से अपने कब्जे में ले लिया था और 24 घंटे बाद रिहा किया.

लगन राय बताते हैं, "मुझे घसीट कर उस पार ले जाया गया. लाठी, डंडे, बेल्ट से मारा गया, धमकाया गया और यह स्वीकार करने का दबाव बनाया गया कि भारत की तरफ से सैकड़ों लोगों का हुजूम नेपाल में लूट-पाट करने आ रहा था और मैं भी उसी में शामिल था."

राय आगे कहते हैं, "मैं हर बार मना करता गया लेकिन वे लोग मारते रहे. आख़िर में एक पुलिस अफ़सर आए. उन्होंने भी मुझसे चार-पांच बार पूछा, लेकिन मेरे मना करने के बाद उन्होंने अपने जवानों से मुझे वापस बॉर्डर पर छोड़ देने के लिए कहा. इतनी मार पड़ी कि शरीर का दर्द अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है."

इस घटना के बाद से लोगों में डर बना हुआ और वो अपने रिश्तेदारों से मिलने में हिचकिचा रहे हैं.

दोनों तरफ़ की पुलिस का क्या कहना है

झड़प और गोलीबारी की घटना के बाद से गाँव में तनाव तो है, लेकिन सशस्त्र सीमा बल और सीतामढ़ी की पुलिस की चौकसी के कारण दोबारा हिंसा की घटना नहीं हुई.

भारत-नेपाल तनाव: सीमा पर रहने वालों को अपनों से मिलना हुआ मुश्किल

सीतामढ़ी के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बीबीसी से कहते हैं, "मामला लॉकडाउन के उल्लंघन का था. लेकिन यहाँ के लोगों ने मॉब बनाकर नेपाली एपीएफ़ के साथ लड़ाई कर ली. झड़प जिस जगह पर हुआ, वह नेपाल का इलाक़ा पड़ता है. इसका मतलब है हमारे यहाँ के लोगों ने नो मेन्स लैंड पार कर लिया था."

नेपाली पुलिस पर लगन राय से मारपीट करने के आरोपों पर सीतामढ़ी के एसपी कहते हैं, "लगन राय के वापस आने के बाद हमने उनकी मेडिकल चेकअप कराया था. कोई गंभीर बात नहीं थी, इसलिए उन्हें घर जाने दे दिया गया."

एसपीअनिल कुमार ने बताया, "तनाव तो है लेकिन शांति है. हम स्थानीय लोगों को उधर जाने से रोक रहे हैं. पुलिस सीमावर्ती गाँवों में लगातार गश्त कर रही है."

नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ गोलीबारी की घटना और लगन राय को लेकर दोनों संबंधित ज़िलों के स्थानीय प्रशासन के बीच बातचीत हुई थी.

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में नेपाली आर्म्ड पुलिस फ़ोर्स के इंस्पेक्टर जनरल नारायण बाबु थापा ने कहा था, "भारत की तरफ़ के ग्रामीणों ने मॉब बनाकर पुलिस पर हमला किया था. यहाँ तक कि उन्होंने हमारे जवानों से हथियार भी छीने. हमने पहले दस राउंड हवाई फायरिंग की उसके बाद हमें आत्मरक्षा में ओपेन फायरिंग करनी पड़ी."

'पहली बार लग रहा दो देश हैं'

भारत-नेपाल तनाव: सीमा पर रहने वालों को अपनों से मिलना हुआ मुश्किल

इलाक़े में रहने वाले शंभू कहते हैं, "उस घटना के बाद से दोनों तरफ़ के लोगों में आक्रोश है. जब लॉकडाउन चल रहा था, तब भी हमलोग नेपाल के साइड में चले जाते थे क्योंकि उधर अपने खेत हैं, अपने लोग रहते हैं. लेकिन पिछले 15-16 दिनों से कोई आ-जा नहीं पा रहा है. पहली बार लग रहा है कि उस तरफ के लोग दूसरे देश के हैं, वरना पहले इसका अहसास भी नहीं था."

शंभू की माँ और चाची नेपाल में रहती हैं वो बताते हैं, "मेरा ही नहीं, यहाँ के हर परिवार का संबंध नेपाल से है. आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था कि हम अपने रिश्तेदारों से नहीं मिल पाए."

एफ़एम चैनलों पर भारत के ख़िलाफ़ गीत का आरोप

सीमावर्ती इलाक़ों में रहने वाले लोगों का आरोप है कि नेपाली एफएम चैनलों पर भारत विरोधी गाने बज रहे हैं.

सीतामढ़ी के शंभू कुमार कहते हैं, "यह भारत से जुड़े नेपाल के लोगों के मन में भारत के प्रति नफ़रत पैदा करने की साज़िश है. हमारे रिश्तेदारों से जब फ़ोन पर बात होती है तो वो आरोप लगाते हैं कि भारत ने नेपाल की ज़मीन पर कब्ज़ा किया है, लोगों के मन में आक्रोश है और हम उन्हें समझा नहीं पा रहे. हमें इस बात का बहुत दुख है."

हालाँकि बॉर्डर के पास ही हमें नेपाल के दो छोटे बच्चे मिले. हमें देखते ही उन्होंने कहा," हमारी बुआ यहाँ रहती हैं. उन्होंने ही बुलाया था. झोले में केवल आलू और दाल है जो उनका ही दिया है. हमें जाने दीजिए, खेतों के रास्ते चले जाएँगे."

BBC Hindi
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English summary
Indo-Nepal tension: people living on the border find it difficult to meet their loved ones
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