फास्ट ट्रैक पर है संभावित COVID19 स्वदेशी वैक्सीन की प्रक्रिया, तो क्या दुनिया की पहला वैक्सीन होगा Covaxin?
नई दिल्ली। बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड और ICMR द्वारा संभावित COVID19 वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया फास्ट ट्रैक पर है, जो कि पूरी तरह से वैश्विक स्वीकृत मानदंडों के अनुसार है, जिसमें मानव और पशु दोनों पर परीक्षण समानांतर रूप से ट्रायल जारी रह सकते हैं। आईसीएमआर ने आगे कहा कि बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य हित के लिए स्वदेशी वैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षणों में तेजी लाना महत्वपूर्ण है।
ICMR’s process is exactly in accordance with globally accepted norms to fast-track the vaccine development for diseases of pandemic potential wherein human and animal trials can continue in parallel: ICMR on #COVID19 vaccine candidate developed by Bharat Biotech International Ltd pic.twitter.com/WDShqRJ9CK
— ANI (@ANI) July 4, 2020
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हालांकि COVID19 महामारी की अभूतपूर्व प्रकृति को देखते हुए दुनिया भर में अन्य सभी वैक्सीन कैंडीडेट को विकसित करने की प्रक्रिया को समान रूप से फास्ट ट्रैक कर दिया गया है। माना जा रहा है कि अगर अगर सब कुछ ठीक रहा तो लाल किले से 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन को लॉन्च करने की घोषणा कर सकते हैं। यदि 15 अगस्त को यह वैक्सीन लॉन्च हुई तो यह दुनिया में कोरोना की पहली वैक्सीन होगी।
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दरअसल, आइसीएमआर और भारत बायोटेक की साझेदारी से तैयार किए जाए रहे कोवाक्सीन नामक एंटी कोरोनावायरस वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा है और इसके ह्यूमन ट्रायल (मानव परीक्षण) की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आइसीएमआर ने ट्रायल के लिए चुने सभी संस्थाओं को तय समय सीमा के भीतर इसके अनुपालन का सख्त निर्देश दिया है।
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वैसे तो पूरी दुनिया में कोरोना की 140 वैक्सीन पर काम हो रहा है जो ट्रायल के विभिन्न फेज में है, इनमें ब्रिटेन के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और अमेरिकी कंपनी मोडेरना की वैक्सीन को दौ़ड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। दोनों ही वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के तीसरे चरण में हैं। वहीं पूर्णतया स्वदेशी तकनीक से तैयार आइसीएमआर-भारत बायोटेक की वैक्सीन को पहले और दूसरे फेज के ह्यूमन ट्रायल की अनुमति सोमवार को दी गई है, जबकि इस भारतीय वैक्सीन को दौ़ड़ में पीछे माना जा रहा था।
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उल्लेखनीय है इस वैक्सीन को बनाने के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) ने कोरोना के वायरस को अलग से विकसित किया और फिर उनमें से लाइव वायरस को भारत बायोटेक की प्रयोगशाला में भेजा। जहां उस वायरस को कल्चर कर बहुत सारे वायरस तैयार किए गए और फिर लाइव वायरस के आरएनए को रसायन का प्रयोग कर खत्म किया गया। एक बार आरएनए खत्म होने के बाद वायरस तो लाइव रहता है, लेकिन आदमी के शरीर में जाने के बाद उसकी संख्या ब़़ढाने की क्षमता खत्म हो जाती है।
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लाइव वायरस से वैक्सीन प्रोडक्शन की क्षमता किसी के पास नहीं
भारत बायोटेक के प्रमुख डॉक्टर के अनुसार लाइव वायरस की वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता सिर्फ उनके पास है। ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि लाइव वायरस से प्रयोग के लिए बायो सेफ्टी लेबल- 3 (बीएसएल--3) मानक की लैबोरेटरी भारत समेत दुनिया में बहुत हैं, लेकिन लाइव वायरस से वैक्सीन प्रोडक्शन की क्षमता किसी के पास नहीं है।
जानवरों पर परीक्षण में 100 फीसदी कारगर है स्वदेशी कोवोक्सीन
उनके अनुसार ह्यूमन ट्रायल में जाने के पहले इस वैक्सीन का तीन महीने तक जानवरों के तीन मॉडल पर परीक्षण किया गया, जिनमें चूहा और खरगोश शामिल हैं। एनिमल टेस्ट में इसे कोरोना को रोकने में 100 फीसदी कारगर और सुरक्षित पाया गया।
एनआइवी पुणे में वैक्सीन के पूरी तरह काम करने की पुष्टि हुई है
भारत बायोटेक के नतीजों को दोबारा जांचने के लिए वैक्सीन दिए गए जानवरों के खून के नमूनों को एनआइवी, पुणे भेजा गया। वहां भी वैक्सीन के पूरी तरह काम करने की पुष्टि हुई। इसके अलावा एनआइवी पुणे ने बंदरों पर इसका ट्रायल अलग से किया है, जिसके नतीजे अगले 10 दिन में आ जाएंगे।
वैश्विक मानदंडों पर फास्ट ट्रैक हो रही स्वदेशी कोवोक्सीन का ट्रायल
आइसीएमआर के कहा कि वैक्सीन का विकास बहुत कम समय में भले ही करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इस दौरान उसके मानदंडों में कोई ढील नहीं दी गई है। वैक्सीन पर सारे परीक्षण किए जा रहे हैं और पूरी तरह सटीक पाए जाने के बाद ही उसे लांच किया जाएगा।
संभावित स्वदेशी वैक्सीन को 15 अगस्त को लांच करने की समय सीमा तय
उनके अनुसार अभी तक के नतीजे काफी उत्साहवर्द्धक रहे हैं और जानवरों पर परीक्षण में वैक्सीन को 100 फीसदी कारगर पाया गया है। इसीलिए ह्यूमन ट्रायल को तेजी से पूरा कर इसे 15 अगस्त को लांच करने की समय सीमा तय की गई है।