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स्वदेशी COVAXIN वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू, जानिए भारत को इतिहास रचने में लगेगा और कितना वक्त?

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नई दिल्ली। देश में कोरोना का कहर जारी है, लेकिन बड़ी खबर यह है कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित एक प्रायोगिक नोवल कोरोनावायरस वैक्सीन ' कोवाक्सिन' का ह्यूमन ट्रायल राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शुरू हो चुका है। एम्स भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा चुनी गई 12 साइटों में से एक हैं, जो कोविद-19 वैक्सीन कोवाक्सीन के मानव परीक्षणों के संचालन के लिए वैक्सीन परियोजना की एक सहयोगी है।

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एम्स-नई दिल्ली में ह्यूमन ट्रायल वोलेंटियर्स की स्क्रीनिंग के साथ शुरू होगा

एम्स-नई दिल्ली में ह्यूमन ट्रायल वोलेंटियर्स की स्क्रीनिंग के साथ शुरू होगा

एम्स-नई दिल्ली उन वोलेंटियर्स की स्क्रीनिंग के साथ शुरू होगा, जो कोवाक्सिन कोविद -19 वैक्सीन के पहले चरण में ह्यूमन ट्राल में भाग लेंगे। परीक्षण में भाग लेने के लिए चुने गए लोगों को इस सप्ताह के अंत में प्रायोगिक वैक्सीन की एक खुराक दी जाएगी। कोवाक्सिन वैक्सीन का परीक्षण करने के लिए चुने गए अन्य पैन-इंडिया साइटों पर इसी तरह की प्रक्रियाएं संचालित की जाएंगी।

लगातार बढ़ते कोरोना के नए मामले भारत में खराब हो रहे हालात

लगातार बढ़ते कोरोना के नए मामले भारत में खराब हो रहे हालात

लगातार बढ़ते कोरोना के नए मामले भारत में खराब हो रहे हालात को बयां करने के लिए काफी है। इसलिए कोवाक्सीन वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल शुरू होने के बाद आगामी दिनों और हफ्तों में क्या होगा, यह सभी जानना चाहते हैं। अब तक भारत में कोरोना से 11 लाख से अधिक संक्रमित और 27 हजार से अधिक की मौत हो चुकी है।

कोवाक्सिन क्या है?

कोवाक्सिन क्या है?

कोवाक्सिन एक नोवल कोरोनावायरस वैक्सीन है, जिसे हैदराबाद स्थित बायोटेक फर्म भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से विकसित किया गया है। कोवाक्सिन एक 'निष्क्रिय टीका है,' यानी यह नोवल कोरोनवायरस वायरस पर्टिकल से बना है जिसे प्रयोगशाला में उसके संक्रमण पैदा करने की क्षमता खत्म करके तैयार किया गया है।

यह टीका मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली को पहचानना और लड़ना सीखेगी

यह टीका मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली को पहचानना और लड़ना सीखेगी

वैक्सीन के पीछे विचार यह है कि एक बार टीका सिस्टम में प्रवेश होने के बाद मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को वास्तविक संक्रमण के जोखिम के बिना नोवल कोरोनावायरस को पहचानना और लड़ना सीखेगी है, यह टीकाकरण एक पारंपरिक तरीका है।

कोवाक्सिन के साथ अब तक क्या हुआ है?

कोवाक्सिन के साथ अब तक क्या हुआ है?

कोवाक्सिन पर काम इसी साल मई में शुरू हुआ जब ICMR ने नोवल कोरोनावायरस का एक स्ट्रेन अलग कर दिया और इसे भारत बायोटेक में स्थानांतरित कर दिया। भारत बायोटेक ने इसके बाद संभावित टीके के लिए स्ट्रेन को 'कमजोर' या 'निष्क्रिय' करने पर काम शुरू कर दिया। यह काम हैदराबाद के जीनोम वैली में बीएसएल -3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) सुविधा में किया गया था।

जून में कंपनी ने घोषणा कर दिया था कि जानवरों पर स्टडी पूरा कर लिया है

जून में कंपनी ने घोषणा कर दिया था कि जानवरों पर स्टडी पूरा कर लिया है

जून के अंत में भारत बायोटेक ने घोषणा कर दिया था कि उसने पूर्व-क्लीनिकल ​​स्टडी यानी एक प्रयोगशाला में जानवरों पर अध्ययन पूरा कर लिया है और सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का प्रदर्शन करने में कामयाब रहा है। इसके बाद भारत बायोटेक को सरकार द्वारा मानव वोलेंटियर्स पर कोवाक्सिन का परीक्षण करने के लिए मंजूरी दी गई।

तकनीकी रूप से भारत बायोटेक पहले ही परीक्षण शुरू कर चुका है

तकनीकी रूप से भारत बायोटेक पहले ही परीक्षण शुरू कर चुका है

तकनीकी रूप से भारत बायोटेक पहले ही परीक्षण शुरू कर चुके हैं, लेकिन इसी सप्ताहांत एम्स-नई दिल्ली की इथिक्स समिति ने अस्पताल को कोवाक्सिन के मानव परीक्षण शुरू करने के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया (अस्पताल से इतर एथिक्स समिति व्यक्तिगत मानव परीक्षण के ऑन-ग्राउंड निरीक्षण के लिए जिम्मेदार होतीहै।)

एम्स नई दिल्ली ने मानव परीक्षणों के लिए प्रतिभागियों की स्क्रीनिंग शुरू की

एम्स नई दिल्ली ने मानव परीक्षणों के लिए प्रतिभागियों की स्क्रीनिंग शुरू की

इसके बाद एम्स-नई दिल्ली ने मानव परीक्षणों के लिए प्रतिभागियों की स्क्रीनिंग शुरू की। एम्स-नई दिल्ली में कोवाक्सिन परीक्षण का लक्ष्य प्रतिभागियों को इस सप्ताह के अंत में खुराक देना शुरू करना है। इसी तरह की प्रक्रिया देश भर के 11 अन्य अस्पतालों में भी शुरू होगी, जब उनकी संबंधित एथिक्स समितियां उन्हें आगे बढ़न के लिए मंजूरी देगी।

कोवाक्सिन के मानव परीक्षणों में क्या होगा?

कोवाक्सिन के मानव परीक्षणों में क्या होगा?

भारत बायोटेक को पहले चरण के साथ-साथ दूसरे चरण के मानव परीक्षण के लिए सरकार की मंजूरी मिल गई है। वर्तमान में पहले चरण के तहत मानव परीक्षण चल रहे हैं। पहले चरण के परीक्षणों में शोधकर्ताओं का लक्ष्य मुख्य रूप से यह जांचने के लिए होगा कि क्या टीके पर्याप्त सुरक्षित है, ताकि उसे लोगों के बड़े समूह पर परीक्षण किया जा सके, जबकि दूसरा यह देखना होगा कि क्या टीका किसी भी स्तर का प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पादन करता है।

भारत बायोटेक को पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण के लिए मंजूरी

भारत बायोटेक को पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण के लिए मंजूरी

एक बार टीका दूसरे चरण के परीक्षणों में चला जाता है तो शोधकर्ता नोवल कोरोनोवायरस के खिलाफ आवश्यक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करने के लिए कोवाक्सिन की क्षमता के परीक्षण पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। तीसरे चरण के परीक्षणों में के लिए अभी तक किसी समयावधि की घोषणा नहीं की गई है। शोधकर्ताओं का लक्ष्य टीके के हर पहलू का परीक्षण करना होगा, जिसमें सुरक्षा और प्रतिरक्षा को प्रेरित करने की क्षमता शामिल है। तीसरे चरण के परीक्षणों के बाद ही वैक्सीन वास्तविक दुनिया के उपयोग के लिए तैयार होगा।

 कोवाक्सिन के परीक्षणों में कितने लोग हिस्सा लेंगे?

कोवाक्सिन के परीक्षणों में कितने लोग हिस्सा लेंगे?

रिपोर्ट के मुताबिक गत 18 जून को बताया कि कोवाक्सिन के पहले चरण के परीक्षणों में देश भर के 350 लोगों की भागीदारी देखी जाएगी। इनमें से अधिकतम 100 वोलेंटियर्स एम्स-दिल्ली में आयोजित किए जा रहे ट्रायल में भाग लेंगे। कोवाक्सिन के लिए दूसरे चरण के परीक्षण में देश भर में 750 लोग भाग लेंगे। दोनों चरणों में प्रतिभागियों को चार समूहों में विभाजित किया जाएगा। इनमें से तीन समूह तीन कोवाक्सिन फार्मूलेशन के एक खुराक को प्राप्त करेंगे।

नियंत्रण समूह शोधकर्ताओं के मानव शरीर में होने के प्रभाव?

नियंत्रण समूह शोधकर्ताओं के मानव शरीर में होने के प्रभाव?

अंतिम समूह, जो कि एक नियंत्रण' समूह है, उसके जापानी एन्सेफलाइटिस वैक्सीन दिया जाएगा, जिसका निर्माण और सफलतापूर्वक परीक्षण पहले भारत बायोटेक द्वारा किया गया था। नियंत्रण समूह शोधकर्ताओं के मानव शरीर में होने के प्रभाव को कोवाक्सिन की तुलना और बेहतर तरीके से समझने में मदद करने के लिए है। किसी भी प्रतिभागी को पता नहीं चलेगा कि उसे प्रायोगिक टीका मिल रहा है अथवा 'कॉम्पेरॉटर' एजेंट।

 कोवाक्सिन के मानव परीक्षणों में कितना समय लगेगा?

कोवाक्सिन के मानव परीक्षणों में कितना समय लगेगा?

वास्तव में, यह कहना मुश्किल है। दुनिया भर के वैज्ञानिक नोवल कोरोनावायरस के लिए एक सुरक्षित टीका विकसित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। सबसे तेजी से विकसित वैक्सीन के लिए मौजूदा रिकॉर्ड मम्प्स शॉट के लिए तकरीबन चार साल का है।

मानव परीक्षण का पहला चरण पूरा होने में लगभग दो से तीन महीने लगेंगे

मानव परीक्षण का पहला चरण पूरा होने में लगभग दो से तीन महीने लगेंगे

कोवाक्सिन के मामले में भारत बायोटेक ने अपने परीक्षण पंजीकरण में कहा है कि संयुक्त पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों के पूरा होने में एक वर्ष और तीन महीने लगने का अनुमान है। एम्स के प्रमुख डा. रणदीप गुलेरिया ने सोमवार, 20 जुलाई को मीडिया को बताया कि मानव परीक्षण का पहला चरण पूरा होने में लगभग दो से तीन महीने लगेंगे।

(Disclaimer: उपरोक्त सभी जानकारी भारत बायोटेक और कोवाक्सिन के मानव परीक्षणों के पंजीकरण दस्तावेज से प्राप्त की गई है)

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English summary
Corona continues to wreak havoc in the country, but the big news is that the human trial of 'Kovaxin', an experimental novel coronavirus vaccine developed by Hyderabad-based Bharat Biotech, has started at the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) in the capital. AIIMS-New Delhi is one of the 12 sites selected by the Indian Council of Medical Research, a partner in the Kovacin Novel Coronavirus Vaccine Project, to conduct human trials of the Kovid-19 vaccine.
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