मत भूलिये विजय दिवस और पाक पर मिली विजय को
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। एक समय था जब पाकिस्तान पर मिली विजय के दिन यानी 16 दिसंबर को देश भर में प्रभातफेरियां निकाली जाती थीं, जश्न का माहौल रहता था, लेकिन आज ऐसा महसूस हो रहा है कि देश विजय दिवस नहीं मना रहा। कहीं कोई विजय दिवस को लेकर उत्साह नहीं है। राजधानी के किसी भी नामचीन अखबार में विजय दिवस को लेकर कोई परिशिष्ट या खबर नहीं छपी। पहले कई बड़े स्तर पर राजधानी में इस मौके पर कार्यक्रम होते थे। कुल मिलाकर विजय दिवस को लेकर इस तरह का ठंडापन डराता है।
वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 16 दिसंबर को भारत ने विजय हासिल की थी और उसी दिन से यह दिन हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना पराजित हुई और 16 दिसंबर 1971 को ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध के 12 दिनों में करीब अनेक भारतीय जवान शहीद हुए और हजारों घायल हो गए।
निर्भया रेप केस ने पीछे छोड़ा
रक्षा मामलों के जानकार अरुण कुमार ने कहा कि लगता दिल्ली में निर्भया रेप केस की दूसरी बरसी केकारण कम से कम दिल्ली वाले तो इतने अहम दिन को भूल गए। यानी वे रणभूमि के योद्दाओं का स्मरण करना ही भूल गए।
छिटपुट कार्यक्रम
बहरहाल, विजय दिवस पर कुछ शहरों में छिटपुट स्तर पर तो कार्यक्रम हो रहे हैं। उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश के शहर धर्मशाला में आज विजय दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन होगा। कार्यक्रम में मेजर जनरल राजीव तिवारी जीओसी नौवीं कोर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे। राज्य शहीद स्मारक समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त कर्नल जय गणेश ने बताया कि इस कार्यक्रम को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
उधर, बाडमेर में शहीदों की याद में शहर के शहीद स्मारक पर विजय दिवस मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में आर्मी, बीएसएफ, एयरफोर्स, जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि शहीद परिवार सहित शहर के प्रबुद्धजन नागरिक शिरकत करेंगे। बहरहाल, इतना संतोष किया जा सकता है कि कम से कम कुछ छोटे शहरों में तो लोग विजय दिवस की अहमियत नहीं भूले हैं।