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Indian Railways: मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों से Sleeper class खत्म करने की क्यों है तैयारी, जानिए

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नई दिल्ली- आने वाले कुछ वर्षों में सभी लंबी दूरी की मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में स्लीपर कोच हटा दिए जाएंगे। उन सबको एसी कोच से बदल दिया जाएगा। भारतीय रेलवे ने इस मिशन पर काम शुरू कर दिया है और स्लीपर कोच की जगह नए एसी कोच लगाने के लिए निर्माण पर काम शुरू कर दिया गया है। हालांकि, साधारण पैसेंजर ट्रेनों और लोकल ट्रेनों के डिब्बों को अभी इस तरह एसी कोच से बदलने का कोई विचार नहीं है। लेकिन, मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में स्लीपर क्लास हटाकर सिर्फ एसी कोच लगाने के चलते ट्रेन का किराया जरूर बढ़ना तय। हालांकि, इससे यात्रियों की जेब पर ज्यादा बोझ ना पड़े, रेलवे इसी के मुताबिक अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है। यह जानकारी खुद रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ विनोद कुमार यादव नहीं दी है।

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Indian Railway का बड़ा फैसला Express Train से हटाए जाएंगे सभी Sleeper Coaches | वनइंडिया हिंदी
स्लीपर बन जाएंगे इतिहास

स्लीपर बन जाएंगे इतिहास

आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय ट्रेनों में लोकप्रिय शययान श्रेणी या स्लीपर क्लास के डिब्बे इतिहास बन जाएंगे। अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ विनोद कुमार यादव ने ये बताया है। रेलवे ने इस योजना के लिए जो नया ब्लूप्रिंट तैयार किया है, उसमें मौजूदा 72 बर्थ वाले स्लीपर कोच को 83 बर्थ वाले कॉम्पैक्ट एसी कोच से बदलना है। 83 बर्थ वाले नए एसी कोच का नमूना तैयार हो चुका है। रेलवे की कपूरथला फैक्ट्री में इन नए एसी कोच की ट्रायल अभी चल रही है और अगले वित्त वर्ष से इसका उत्पादन शुरू करने की योजना है। लेकिन, स्लीपर में सफर करने वाले पैसेंजरों को यह खबर झटका दे सकती है, क्योंकि इतना तो तय है कि 83 बर्थ वाले नए एसी कोच का किराया स्लीपर क्लास से ज्यादा होना तय है।

किराया स्लीपर से थोड़ा ज्यादा होगा

किराया स्लीपर से थोड़ा ज्यादा होगा

इसके बारे में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा है कि 11 बर्थ ज्यादा होने की वजह से एसी होने के बावजूद इसका किराया मौजूदा 3-श्रेणी के एसी कोच से थोड़ा कम होगा। उन्होंने कहा, 'इसलिए हम मौजूदा एसी और स्लीपर क्लास के बीच का किराया फिक्स करेंगे। ट्रेनों में एसी-1, 2-श्रेणी और 3-श्रेणी के ही तरह कोच रहेंगे। इनके किराया में कोई बदलाव नहीं होगा।' अभी के लिए पैसेंजर और लोकल ट्रेन के कोच नॉन-एसी ही बने रहेंगे, लेकिन इन्हें भी धीरे-धीरे ज्यादा आधुनिक MEMU ट्रेनों से बदला जाएगा।

बढ़ती स्पीड से स्लीपर कोच नहीं खाते मेल

बढ़ती स्पीड से स्लीपर कोच नहीं खाते मेल

दरअसल, भारतीय रेलवे आधुनिकीकरण की दौर से गुजर रहा है। इसके तहत सबसे पहले ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के मिशन पर काम हो रहा है। अगले दो वर्षों में स्वर्ण चतुर्भुज खंड में सभी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे की जानी है और उसके बाद 2025 तक इसे और बढ़ाकर 160 किलोमीटर की रफ्तार तक ले जाना है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के मुताबिक जब ट्रेनें 130 किलोमीटर की रफ्तार से चलने लगेंगी तो हवा और धूल की वजह से नॉन-एसी कोच तकनीकी और दूसरी समस्याएं पैदा करेंगी। इसलिए, रेलवे धीरे-धीरे सभी 1,900 मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों से नॉन-एसी कोच हटा देगा। लेकिन, इतना बड़ा काम एक बार में नहीं हो सकता, इसलिए इसे चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

7 और हाई-स्पीड कॉरिडोर पर विचार

7 और हाई-स्पीड कॉरिडोर पर विचार

रेलवे अभी मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर पर काम कर रहा है। लेकिन, रेलवे के मुताबिक इसके अलावा भी 7 और हाई-स्पीड कॉरिडोर बनेंगे। ये हैं- दिल्ली-वाराणसी, मुंबई-नागपुर, अहमदाबाद-दिल्ली,चेन्नई-मैसुरु, दिल्ली-अमृतसर, मुंबई-हैदराबाद और वाराणसी-कोलकाता। ये कॉरिडोर या तो हाई-स्पीड होंगे। मतलब कि 300 किलोमीटर से भी ज्यादा रफ्तार वाले या फिर सेमी-हाई-स्पीड कॉरिडोर यानि 160 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा।

कोविड से हुए नुकसान से उबरने की कोशिश

कोविड से हुए नुकसान से उबरने की कोशिश

सबसे बड़ी बात ये है कि कोविड-19 की वजह से किराये से होने वाली आमदनी में रेलवे को चालू वित्त वर्ष में भारी नुकसान हो रहा है। लेकिन,रेलवे को फिर भी उम्मीद है कि बीते वित्त वर्ष में 1.74 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी तो मौजूदा वित्त वर्ष में भी सभी बाधाओं के बावजूद 1.6 लाख करोड़ रुपये कमाने का टारगेट तय किया गया है। इसकी वजह ये है कि माल भाड़े से रेलवे को मोटी कमाई हो रही है। इसके साथ ही खर्च कम रखकर भी रेलवे इस वर्ष घाटे को कम रखने के प्रयास में है।

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English summary
Indian Railways is preparing to replace the sleeper class with long-distance mail-express trains and replace them with AC coaches in the coming days
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