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Indian Railways:40 रूटों पर कुछ और स्पेशल ट्रेनें चलाएगा रेलवे

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नई दिल्ली- कोरोना वायरस की वजह से ट्रेनों से सफर करने वाले यात्रियों का एक अजीब ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अभी जितनी भी रूटों पर रेलवे ट्रेनें चला रहा है, उनमें से लगभग दो-तिहाई रूटों पर उसकी सीटें भी नहीं भर पा रही हैं। लेकिन, करीब एक-तिहाई रूट ऐसे हैं, जिनपर रेलवे को और ट्रेनें चलाने के लिए सोचना पड़ रहा है। क्योंकि, इन रूटों पर ट्रेन फुल कैपिसिटी के साथ चल रही हैं। ऐसे में रेलवे सोच रहा है कि भले ही कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच ट्रेनों का परिचालन सामान्य करना मुश्किल है, लेकिन कुछ रूटों पर तो ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता जरूर है।

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कुछ रूटों पर ट्रेनों में सीटें मिलना मुश्किल

कुछ रूटों पर ट्रेनों में सीटें मिलना मुश्किल

अगर आप ये सोच रहे हैं कि रेलवे की सेवा उसी तरह से शुरू होने जा रही है, जैसे कि मार्च में जनता कर्फ्यू वाले दिन से पहले थी तो निकट भविष्य में इसकी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। हकीकत ये है कि इस समय कुछ रूटों को छोड़कर ज्यादातर रूटों पर चल रहीं स्पेशल ट्रेनों में सीटें खाली ही चल रही हैं। अलबत्ता कुछ रूट ऐसे जरूर हैं, जिनमें स्पेशल ट्रेनों में सीटें उपलब्ध ही नहीं रहतीं। अब रेल मंत्रालय उन्हीं चुनिंदा रूटों पर कुछ और स्पेशल ट्रेनों के संचालन का मन बना रहा है। ये जानकारी खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दी है। उनके मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के चलते अभी भी लोग सार्वजनिक परिवहनों से यात्रा करने से बच रहे हैं, इसलिए ज्यादातर रूटों पर ट्रेनें खाली चल रही हैं और कुछ तो पूरी तरह से खाली जल रही हैं।

40 रूटों पर कुछ और स्पेशल ट्रेन चलाएगा रेलवे

40 रूटों पर कुछ और स्पेशल ट्रेन चलाएगा रेलवे

अलबत्ता रेल मंत्री ने भरोसा दिया है कि जिन रूटों पर ट्रेनों में सीटें भर जा रही हैं, उसपर रेलवे कुछ और ट्रेनों को चलाने के बारे में विचार कर रहा है। पीयूष गोयल ने कहा, 'हम लगातार पूरे हालात की समीक्षा कर रहे हैं। ....एक रिव्यू मीटिंग में मैंने पाया कि हमारी ट्रेनों में 70-75 फीसदी सीटें ही भरी हुई चल रही हैं। सिर्फ करीब 40 ट्रेनें ही पूरी तरह से भरी हुई चल रही हैं। इसलिए, मैं सोच रहा हूं कि जिन लगभग 40 रूटों पर ट्रेनें भरकर चल रही हैं, क्या उनपर कुछ और ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। पूरी सेवा को शुरू कर देने से कोई फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि कोई पैसेंजर यात्रा ही नहीं करता चाहता है। ऐसी भी ट्रेनें हैं, जिसमें सिर्फ 10-15 फीसदी ही सीटें भर रही हैं। हमें इसको लेकर व्यावहारिक रहना होगा।'

अभी 125 रूटों पर 125 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं

अभी 125 रूटों पर 125 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं

रेल मंत्री ने बताया कि सच्चाई ये है कि लोग अभी भी सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करने से बचना चाहते हैं। उनके मुताबिक, 'हमनें स्पेशल (ट्रेनों) के रूप में देशभर में 125 जोड़ी ट्रेनें चलानी शुरू की हैं, लेकिन हम अभी तक अपने पैसेंजर ट्रैफिक की पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाए हैं। ऐवरेज ऑक्युपेंसी करीब 70 फीसदी है। बहुत कम ट्रेनें ही भरकर चल रही हैं और यात्री अभी भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा करने के लिए तैयार नहीं हैं।' बता दें कि मार्च में लॉकडाउन के साथ ही पैसेंजर ट्रेनों का चलना पूरी तरह से बंद हो गया था और 1 मई से पहले श्रमिक स्पेशल ट्रेनों चलाई गईं और आगे चलकर राजधानी स्पेशल और बाकी स्पेशल ट्रेनों का परिचालन शुरू हो गया। लेकिन, यात्री ट्रेनों के सामान्य संचाल की अभी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

दोगुनी रप्तार से चलने लगी हैं मालगाड़ियां

दोगुनी रप्तार से चलने लगी हैं मालगाड़ियां

पीयूष गोयल ने एक बड़ी जानकारी ये दी कि इस समय देश में मालगाड़ियां औसतन 44 से 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जा रही हैं। उन्होंने बताया, 'हमनें मालगाड़ियों की स्पीड बढ़ा दी है। पहले मालगाड़ियों की औसत रफ्तार 23 किलोमीटर के आसपास होती थी, इस समय हम 44-45 किलोमीटर की गति से चल रहे हैं। हमारी योजना है कि कोरोना के बाद की दुनिया में ये ट्रेनें भी टाइम टेबल के हिसाब से चलें, ताकि ये भी पैसेंजर ट्रेनों की तरह तेज रफ्तार से चल सकें।........इसके चलते देश के विभिन्न भागों में मालगाड़ियां काफी तेज रफ्तार, ज्यादा कुशतला के साथ चल रही हैं.......लॉजिस्टिक का खर्चा घट गया है। यह अलग तरह का फायदा है। हमनें कोरोना काल में रेलवे को बेहतर किया है। रेलवे में माल ढुलाई 90 फीसदी के स्तर पर है।'

2023 तक रेलवे का 100 फीसदी विद्युतीकरण

2023 तक रेलवे का 100 फीसदी विद्युतीकरण

इनके अलावा भी रेल मंत्री ने रेलवे की कई कामयाबियां बताई हैं, जिसमें सबसे बड़ी बात ये है कि बीते वित्त वर्ष में रेलवे के किसी भी यात्री की मौत ट्रेन दुर्घटना के चलते नहीं हुई है। उन्होंने कहा, 'अप्रैल 2019 से मार्च 2020 167 वर्षों के इतिहास में पहला साल था, जब ट्रेन दुर्घटना की वजह से एक भी यात्री की जान नहीं गई।' उन्होंने यह भी दावा किया कि अगले तीन साल में यानि 2023 के अंत तक भारतीय रेलवे का पूरी तरह से विद्युतीकरण हो जाएगा। इस समय तक रेलवे के करीब 60 फीसदी हिस्से का विद्युतीकरण हो चुका है। 2023 में भारतीय रेलवे दुनिया का पहला ऐसा रेल नेटवर्ग होगा, जिसमें ट्रेनें पूरी तरह से बिजली पर ही चलेंगी।

भूटान में सेवा विस्तार पर विचार

भूटान में सेवा विस्तार पर विचार

यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय रेलवे भूटान में भी ट्रेनें चलाने की सोच रहा है तो उन्होंने कहा कि कोरोना से पहले उनकी भूटान यात्रा के दौरान भूटान ने यह आग्रह किया था। इसके बाद रेलवे ने 24 घंटे में ही अपने दो बड़े अधिकारियों को भूटान भेज दिया। मैंने उन्हें निर्देश दिया कि वो भूटान में रेलवे के विस्तार की संभावनाओं की तलाश करें। उन्होंने यह भी बताया कि नेपाल और बांग्लादेश से हमारा रेल लिंक पहले से ही है। अब रेलवे यह देख रहा है कि क्या बांग्लादेश के जरिए अपने रेल नेटवर्क का और विस्तार किया जा सकता है, जिससे कि उत्तर-पूर्वी भारत में यात्रा के लिए लगने वाला समय 12 घंटे तक कम हो सकता है। इससे माल भी जल्दी से भेजा सकता है और वह भी बहुत कम खर्च में।

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English summary
Indian Railways: Railways will run some more special trains on 40 routes
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