भारतीय रेलवे ने बांग्लादेश रेलवे को दिया ये शानदार तोहफा, रेल मंत्री और विदेश मंत्री ने दिखाई हरी झंडी
नई दिल्ली- विदेश मंत्री एस जयशंकर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आज 10 डीजल इंजनों को हरी झंडी दिखाकर बांग्लादेश रवाना किया है। गौरतलब है कि कल ही भारत से पहली कंटेनर ट्रेन भी बांग्लादेश पहुंची थी। इससे पहले इसी महीने पहली बार भारत से एक पार्सल ट्रेन भी बांग्लादेश जा चुकी है। आज जो 10 डीजल इंजन दिए गए हैं, उनका उपयोग बांग्लादेश रेलवे करेगा। गौरतलब है कि आने वाले समय में भारत, बांग्लादेश होकर उत्तर-पूर्व के लिए रेल सेवाएं शुरू करने पर भी मंथन कर रहा है। ऐसे में रेलवे के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच रिश्तों की इस गर्माहट से दोनों देशों के कारोबारियों को काफी फायदा मिलता नजर आ रहा है।
Recommended Video
10 डीजल इंजन बांग्लादेश रेलवे को सौंपा गया
लॉकडाउन के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच रेलवे के क्षेत्र में कई नए काम हुए हैं। उसी कड़ी में अब भारतीय रेलवे ने बांग्लादेश रेलवे को 10 डीजल इंजन दिए हैं। इन डीजल इंजनों को रेल मंत्री पीयूष गोयल और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्रालय से हर झंडी दिखाकर पूर्वी रेलवे के स्टेशनों से बांग्लादेश के लिए रवाना किया है। इन डीजल इंजनों का इस्तेमाल अब बांग्लादेश रेलवे करेगा। यह कार्यक्रम वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संपन्न किया गया है। दरअसल, पिछले कुछ हफ्तों में भारत और बांग्लादेश के बीच रेल सेवा के क्षेत्र में कई नए आयाम खुले हैं, जिसमें आंध्र प्रदेश से सामान लेकर पहली बार मालगाड़ी सीधे बांग्लादेश तक तो पहुंची ही है, पहला कंटेनर ट्रेन भी भारत से बांग्लादेश भेजा गया है।
रविवार से कंटेनर ट्रेनों की हुई शुरुआत
बता दें कि रविवार को ही भारत और बांग्लादेश के बीच पहली बार कंटेनर ट्रेन की शुरुआत हुई है। एफएमसीजी गूड्स और कार्गो लेकर यह 50 कंटेनरों वाली ट्रेन रविवार को कोलकाता से पेट्रारापोल-बेनापोल होते हुए बांग्लादेश पहुंची। दोनों देशों को उम्मीद है कि मालगाड़ी और पार्सल ट्रेनों के अलावा यह स्थायी कंटेनर चलने से दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। कंटेनर ट्रेनों की शुरुआत से सामानों का आवाजाही में समय की भी बचत होगी और खर्च भी कम होगा। इस ट्रेन को कोलकाता से जशोर के बेनापोल पहुंचने में महज साढ़े तीन घंटे लगे। इन कंटेनर ट्रेनों के जरिए फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गूड्स और कपड़ों की ढुलाई में आसानी रहेगी। जानकारी के मुताबिक शुरुआत में यह ट्रेन हफ्ते में एक बार चलेगी और मांग बढ़ने पर इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
12-12 घंटे तक ट्रकों को करना पड़ता था इंतजार
आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल बांग्लादेश ने भारत से 1,000 करोड़ डॉलर का सामान आयात किया था, जबकि भारत को वह 100 करोड़ डॉलर से भी कम का सामान निर्यात कर पाया था। इनमें से ज्यादातर व्यापार पेट्रापोल-बेनापोल सीमा के जरिए ही होता था, जिससे यहां आवाजाही पर काफी दबाव रहता है। एक अनुमान के मुताबिक ट्रकों को यहां दोनों सीमाओं पर अक्सर 12-12 घंटे इंतजार करना पड़ जाता था, जिससे ढुलाई का खर्च 50 फीसदी तक बढ़ जाता था।
पहली बार पार्सल ट्रेन पहुंची थी बांग्लादेश
गौरतलब है कि इसी महीने 13 जुलाई को पहली बार आंध्र प्रदेश के गुंटूर से पार्सल ट्रेन मिर्च लेकर बांग्लादेश पहुंची थी। लॉकडाउन की वजह से ट्रकों की आवाजाही रुकने के चलते कारोबारियों का काफी नुकसान हो रहा था, जिसके बाद यह पार्सल ट्रेन चलाने का फैसला हुआ। इससे यात्रा में लगने वाले समय के साथ-साथ माल ढुलाई का खर्चा भी कम हुआ है। बांग्लादेश रेल वैगन के जरिए अब भारत से प्याज, फ्लाई ऐश, मिर्च अदरख और हल्दी का आयात कर रहा है।