Indian Railways:6 इंजनों वाली 3.5 Km लंबी Super Vasuki ट्रेन चलाकर तोड़े सारे रिकॉर्ड, देखिए Video
नई दिल्ली, 16 अगस्त: भारतीय रेलवे ने 15 अगस्त को एक ऐसी ट्रेन चलाई, जो 3.5 किलोमीटर लंबी थी। इतनी बड़ी ट्रेन को खींचने के लिए कुल 6 इंजन लगाए गए थे। यह एक माल गाड़ी थी, जिसे सुपर वासुकी का नाम दिया गया है। भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस तेज रफ्तार माल गाड़ी का वीडियो खुद शेयर किया है और पूरी डिटेल दी है कि इतनी लंबी ट्रेन कैसे तैयार की गई है। इस ट्रेन को चलाने का मकसद आजादी का अमृत महोत्सव पर एक विशेष उपलब्धि हासिल करना था और उसमें रेलवे को बड़ी सफलता मिल गई है।
5 लोडेड ट्रेनों से मिलकर बनी 'सुपर वासुकी'
15 अगस्त को जब देश आजादी का 75वां वर्ष मना रहा था, भारतीय रेलवे के साउथ सेंट्रल रेलवे जोन ने देश की सबसे लंबी और भारी माल गाड़ी चलाकर अबतक के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। 15 अगस्त को यह ट्रेन चलाने का मकसद ही था, 'आजादी का अमृत महोत्सव' में भारतीय रेलवे की ओर से एक नया कीर्तिमान स्थापित करना। साउथ सेंट्रल रेलवे की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'अमृत काल की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए साउथ सेंट्रल रेलवे ने आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के एक भाग के रूप में 15 अगस्त, 2022 को लंबी दूरी के लिए 5 लोडेड ट्रेन सुपर वासुकी चलाया।'
सुपर वासुकी क्या है ?
सुपर वासुकी की कुल लंबाई 3.5 किलोमीटर है। इसमें 295 भरे हुए रेलवे वैगन जोड़े गए थे और इतनी विशाल माल गाड़ी की गति को शक्ति देने के लिए इसके साथ 6 इंजन लगाए गए थे। जब यह विशाल माल गाड़ी कोथारी रोड स्टेशन से गुजर रही थी तो इसकी रफ्तार किसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन से कम नहीं लग रही थी। सुपर वासुकी में करीब 26,000 टन कोयला लदा हुआ था। इतना कोयला भारतीय रेलवे के किसी भी एक ट्रेन में एकसाथ सबसे ज्यादा ढुलाई वाला ईंधन है।
छत्तीसगढ़ से नागपुर पहुंची सुपर वासुकी
रिपोर्ट के मुताबिक सुपर वासुकी से एक बार में जितना कोयला ढोया गया है, वह 3,000 मेगा वाट के एक पावर प्लांट के लिए एक पूरे दिन की जरूरत के लायक ईंधन के लिए काफी है। यही नहीं एक फेरे में एक माल गाड़ी से आमतौर पर 9,000 टन कोयले की ढुलाई होती है। उस हिसाब से सुपर वासुकी में तीन माल गाड़ियों में ढोए जाने लायक कोयले की ढुलाई एक बार में की गई है। सोमवार को यह ट्रेन छत्तीसगढ़ के कोरबा से नागपुर के लिए दिन में 1.50 पर रवाना हुई और कुल 11.20 मिनट में 267 किलोमीटर की दूरी तय की।
बिजली संकट के दौरान आ सकता है बड़ा काम
आमतौर पर कोयले की ढुलाई के लिए जो माल गाड़ी चलाई जाती है, उसमें 90 वैगन होते हैं और हर में 100 टन के बराबर कोयला लोड किया जाता है। पिछले एक साल में कम से कम दो बार ऐसी स्थिति पैदा हुई है, जब देश के कई बिजली घरों में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट पैदा होने लगी है। लेकिन, सुपर वासुकी जैसी ट्रेनों के चलने के बाद इस तरह का संकट दूर करना आसान साबित हो सकता है।
सुपर वासुकी से पहले भी कई ट्रेनें जोड़कर चली हैं
दरअसल, कोरोना लॉकडाउन के बाद से रेलवे ने माल गाड़ियों को लेकर कई सारे प्रयोग और बदलाव किए हैं, जिसका उसे काफी फायदा भी मिला है। सुपर वासुकी से पहले कई और भी लंबी माल गाड़ियां चलाई जा चुकी हैं, जो पहले कभी नहीं चलती थीं। इन सबको एक विशेष नाम दिया गया है। इनमें से एक एनाकोंडा थी, जिसमें पहले तो तीन ट्रेनें जोड़ी गई थी और फिर बाद में चार ट्रेनों को जोड़कर चलाया गया। इसी तरह से रेलवे सुपर वासुकी पर काम करने से पहले वासुकी ट्रेन भी चला चुका है। लंबी माल गाड़ियों के चलाने का फायदा यह बताया जाता है कि इसमें कम समय में ज्यादा माल ढुलाई होती है और इसकी वजह से लागत में भी कमी आ जाती है।
इसे भी पढ़ें- भारतीय रेलवे का 'मिशन रफ्तार' क्या है ? रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया
|
'25,962 टन वजन के साथ चली'
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद सुपर वासुकी ट्रेन का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है। उन्होंने इसके कैप्शन में लिखा है, 'भारत की सबसे लंबी (3.5 किलो मीटर ) लोडेड ट्रेन 6 इंजनों, 295 वैगनों और कुल 25,962 टन वजन के साथ चली।' 15 अगस्त के दिन भारतीय रेलवे को मिली यह सफलता सही मायने में यादगार बन गई है। (पहले तस्वीर के अलावा बाकी तस्वीर-सांकेतिक)