जल्द ही इन व्यस्त रूटों पर 150 नई प्राइवेट ट्रेन चलाने की तैयारी, पहली बार यात्रियों को मिलेंगी ये सुविधाएं
नई दिल्ली- लगता है कि भारतीय रेलवे के निजीकरण की रफ्तार को जल्द ही गति मिलने वाली है। रेल मंत्रालय जिस योजना पर काम कर रहा है उससे अगले कुछ महीनों में कई अहम रूटों पर 150 नई लेकिन, निजी ट्रेन चलने वाली हैं। गौरतलब है कि हाल ही में देश की पहले प्राइवेट ट्रेन दिल्ली-लखनऊ के बीच चलाई गई है, जिसमें देर से पहुंचने पर यात्रियों को मुआवजे का भी इंतजाम है। सबसे खास बात ये है कि निजी कंपनियों के जरिए सिर्फ ट्रेनों के संचालन की ही तैयारी नहीं है, इसके माध्यम से यात्रियों को पहली बार कुछ विशेष सुविधाएं भी मिलने वाली हैं, जिनके बारे में अभी तक नहीं सोचा जाता था। लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि इन सुविधाओं और समय की पाबंदी की वजह से यात्रियों को अपनी जेबें भी ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती हैं।
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जल्द ही दौड़ेगी 150 नई प्राइवेट ट्रेन
पिछले 8-9 दिसंबर को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के अधिकारियों से कहा है कि वह कुछ व्यस्त रूटों पर नई ट्रेनें चलाने की योजना तैयार करें। रेल मंत्रालय के आइडिया की मुताबिक ये ट्रेनें दुरंतो, तेजस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी टॉप की ट्रेनें होंगी, लेकिन इनका संचालन प्राइवेट ऑपरेटरों के हाथों में होगा। फिलहाल रेलवे ऐसी 150 निजी ट्रेनों को विभिन्न व्यस्त मार्गों पर चलाने की तैयारी में है, जिनमें से 30 नई ट्रेनें मुंबई सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के रूटों पर दौड़ाने की चर्चा है। गौरतलब है कि राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें अभी देश की प्रीमियम सेवाओं में शामिल हैं, जिनका संचालन सीधे रेलवे के हाथों में है और आमतौर पर इसकी पहचान वीआईपी ट्रेन की बनी हुई है।
तेजस एक्सप्रेस की तर्ज पर चलेगी निजी ट्रेन
बता दें कि अभी देश में सिर्फ तेजस एक्सप्रेस ही है, जिसका संचालन निजी ऑपरेटरों के हाथों में है और रेलवे उसी तर्ज पर बाकी व्यस्त रूटों पर भी 150 निजी ट्रेनों को चलाने की तैयारी में है। फिलहाल पिछले अक्टूबर महीने से दिल्ली-लखनऊ रूट पर तेजस एक्सप्रेस का संचालन हो रहा है, जिसे सीधे भारतीय रेलवे नहीं, बल्कि उसी से जुड़े इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) चला रहा है। जनवरी से मुंबई-अहमबाद रूट पर भी आईआरसीटीसी ही तेजस एक्सप्रेस का संचालन शुरू करने वाला है।
घर से सामान लाने-ले जाने की सुविधा मिलेगी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलमंत्री के साथ हुई बैठक में उन नए मार्गों पर भी चर्चा हुई जिनपर इन प्राइवेट ट्रेनों को चलाया जाना है और जिसका खुलासा जल्द होने की उम्मीद है। इन ट्रेनों का किराया और इसमें यात्रियों को परोसे जाने वाले खाने की कीमत भी वही कंपनियां तय करेंगी, जिनके हाथों में इसका संचालन रहेगा। सबसे बड़ी बात ये है कि पहली बार राजधानी और दुरंतो के रेल यात्रियों को भी घर से सामान लाने-ले जाने जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी, जैसा फिलहाल तेजस के यात्रियों के लिए शुरू किया गया है। जाहिर है कि इन निजी ट्रेनों को समय पर चलाने को प्राथमिकता दी जाएगी और देर होने की सूरत में यात्रियों को उसका मुआवजा देने का भी प्रावधान होने की भी गुंजाइश रहेगी।
अगले महीने से बोली लगाने की प्रक्रिया
अपनी ओर से रेलवे इन ट्रेनों को जल्द से जल्द पटरी पर उतारने की तैयारी में है, लेकिन माना जा रहा है कि इसे अमलीजामा पहनाने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लग सकता है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव के मुताबिक 'इन 150 ट्रेनों के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया हम अगले महीने तक शुरू कर देंगे।' हालांकि उन्होंने कहा कि, 'क्योंकि पहली बार देश में ऐसा हो रहा है इसलिए बोली लगाने की प्रक्रिया में समय लगेगा। यह सिस्टम पूरी दुनिया में है। पूरी प्रक्रिया दो हिस्सों में पूरी होगी, पहली क्वालिफिकेशन के लिए आवेदन, जिसमें बोली लगाने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए निजी कंपनियीं क्वालिफाई करेंगी। दूसरे हिस्से में हम प्रस्तावों को देखेंगे। पूरी प्रक्रिया में 6 महीने लगेंगे। राजस्व की प्राप्ति और रूटों पर फैसला आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) के दौरान तय किया जाएगा।'
रूट तय करने में कंपनियों का भी रोल रहेगा
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक मुंबई से चलने वाली ट्रेनें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई सेंट्रल, कुर्ला लोकमान्य तिलक टर्मिनस और बांद्रा टर्मिनस से चलेंगी। रूटों पर फैसला प्राइवेट ऑपरेटर अपनी कमाई की संभावनाओं और यात्रियों की संभावित संख्या को देखकर करेंगे। एक अधिकारी ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या उन राज्यों में होगी जहां यात्रियों की तादाद उतनी ज्यादा नहीं है। क्योंकि, ऐसी जगहों से निजी ट्रेन चलाने में कंपनियां दिलचस्पी नहीं लेंगी।
पुरानी नहीं, सारी नई ट्रेनें चलेंगी
सबसे बड़ी बात ये है कि 150 नई निजी ट्रेनों के संचालन से मौजूदा ट्रेनों पर असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि, भारतीय रेलवे निजी ऑपरेटरों को बिल्कुल नई ट्रेनें तैयार कर मुहैया करवाएगा। इसकी एवज में रेलवे को सालाना मोटी रकम भी मिलेगी।
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