एलपीजी सब्सिडी के बाद अब 9.39 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने छोड़ी रेलवे टिकट की सब्सिडी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार लोगों से सब्सिडी छोड़ने की अपील करते हैं, धीरे-धीरे उसका असर दिखना शुरू हो गया है। पीएम की अपील के बाद लोगों ने एलपीजी गैस की सब्सिडी बड़ी संख्या में छोड़ दी, लेकिन अब रेलवे के टिकट की सब्सिडी को भी लोगों ने नई स्कीम के तहत छोड़ दिया, जिसके चलते भारतीय रेलवे को काफी बड़ा लाभ हुआ है। पिछले कुछ समय में नौ लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों ने सब्सिडी को छोड़ दिया, जिसके चलते रेलवे को 40 करोड़ रुपए की बचत हुई।
गत वर्ष शुरू की गई योजना
पिछले वर्ष इस स्कीम को शुरू किया गया था, जिसमे वरिष्ठ नागरिकों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया, इसमे लोगों के पास विकल्प था कि वह रेलवे की ओर से मुहैया कराई जा रही सब्सिडी को स्वीकार करें या फिर पूरी राशि देकर टिकट को बुक कराएं। लेकिन इस वर्ष नई स्कीम शुरू की गई जिसमे लोगों को विकल्प दिया गया कि वह 50 फीसदी की सब्सिडी को छोड़ सकते हैं, जिसे लोगों ने हाथो हाथ लिया और आगे बढ़कर आधी सब्सिडी को छोड़ दिया।
हर साल 1300 करोड़ का बोझ
भारतीय रेल ने यह योजना इसलिए शुरू की थी ताकि उसपर पड़ने वाले 1300 करोड़ रुपए के अतिरिक्त भार को कम किया जा सके। भारतीय रेलवे को वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली सब्सिडी की वजह से हर वर्ष तकरीबन 1300 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है। 22 जुलाई से 22 अक्टूबर के बीच 2.16 लाख महिलाओं ने अपनी पूरी सब्सिडी को छोड़ दिया, जबकि 2.51 लाख पुरुषों ने अपनी सब्सिडी को छोड़ दिया। वहीं 2.05 लाख महिलाओं ने 50 फीसदी सब्सिडी छोड़ी। ऐसे 60 वर्ष से अधिक उम्र के कुल 9.39 लाख नागरिकों ने पिछले तीन महीनों में सब्सिडी छोड़ने का फैसला लिया।
दो गुना लाभ हुआ
इसी अवधि में पिछले वर्ष तकरीबन 4.68 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी सब्सिडी को छोड़ दिया था, जिसमे 2.35 लाख पुरुष और 2.33 लाख महिलाएं शामिल थीं। रेलवे मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आंकड़ो में आप देख सकते हैं कि सब्सिडी छोड़ने वालों की संख्या में दोगुने की बढ़ोतरी हुई है। रेलवे के लिए यह बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि हम सब्सिडी के बोझ को लगातार कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
43 फीसदी नुकसान का वहन
अभी तक रेलवे रेलवे 43 फीसदी रेल किराए का भार खुद वहन कर रहा है, जिसकी वजह से उसे 30000 करोड़ रुपए का हर वर्ष नुकसान उठाना पड़ा रहा है, यह राशि बतौर सब्सिडी यात्रियों पर खर्च होती है, जिसमे से 1600 करोड़ रुपए लोगों को सस्ते टिकट देने में खर्च हो जाते हैं। रेलवे सिर्फ 57 फीसदी खर्च यात्रियों से सभी श्रेणियों में टिकट बुकिंग के जरिए बटोर पाता है।