ब्रिटेन से आई वॉरशिप INS Viraat और बन गई इंडियन नेवी की पहचान
वर्ष 2013 में एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य इडियन नेवी में कमीशन हुआ। आईएनएस विराट, विक्रमादित्य से पहले इंडियन नेवी की पहचान और हिंद महासागर पर भारत का बादशाह था।
मुंबई। इंडियन नेवी का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट छह मार्च को इंडियन नेवी से रिटायर हो जाएगा। आईएनएस विराट कोई मामूली वॉरशिप नहीं है बल्कि एक ऐसी वॉरशिप है जो इंडियन नेवी की पहचान बन गई थी।29 वर्षों तक भारतीय नेवी की सेवा में रहने वाले दुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट अब नेवी को सेवाएं नहीं देगा।
रॉयल नेवी का हिस्सा रही आईएनएस विराट
12 मई 1987 को इंडियन नेवी में कमीशन होने से पहले आईएनएस विराट रॉयल नेवी यानी ब्रिटेन की नेवी फोर्स का हिस्सा थी यानी यह पहली ऐसी वॉरशिप है जो ब्रिटेन में निर्मित है। वर्ष 2013 में एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य इडियन नेवी में कमीशन हुआ। आईएनएस विराट, विक्रमादित्य से पहले इंडियन नेवी की पहचान और हिंद महासागर पर भारत का बादशाह था। इस वॉरशिप को रिटायरमेंट के बाद म्यूजियम बनाने की बात हुई थी। फिलहाल इसबारे में कुछ नहीं कहा गया है लेकिन इंडियन नेवी का इतिहास खुद में समेटे आईएनएस विराट अलविदा कहने को तैयार है। वर्ष 1999 में जब कारगिल की जंग हुई तो इस वॉरशिप को स्टैंडबाई मोड पर रखा गया था।
इंडियन नेवी का पहला एयरक्राफट कैरियर
आईएनएस विराट नवंबर 1959 में बतौर एचएमएस हेरम्स के नाम के साथ ब्रिटिश नेवी का हिस्सा बनी थी। यह दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसके नाम पर सर्वाधिक नेवल ऑपरेशंस में शामिल होने का रिकॉर्ड है।
आईएनएस विक्रमादित्य से पहले समंदर का सरताज
वर्ष 2013 में एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य इडियन नेवी में कमीशन हुआ। आईएनएस विराट विक्रमादित्य से पहले इंडियन नेवी की पहचान और हिंद महासागर पर भारत का बादशाह था।
56 वर्षों का सफर
12 मई 1987 को इंडियन नेवी में कमीशन होने के साथ ही इस वॉरशिप का नाम बदलकर आईएनएस विराट हो गया। इस वॉरशिप का निर्माण जून 1944 में शुरू हुआ था और 18 नवंबर 191959 में इसे रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था। रॉयल नेवी से वर्ष 1985 में डी-कमीशंड होने के वाली यह वॉरशिप 56 वर्षों का सफर तय कर चुकी है। आईएनएस विराट दुनिया का सबसे पुराना वॉरशिप और इसलिए यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल है।
तय किया मीलों का सफर
वर्ष 2012 तक आईएनएस विराट ने 40,000 घंटे से ज्यादा का समय पानी पर बिता लिया था और इसने करीब दुनिया के सात समंदरों पर 5,00,000 नॉटिकल माइल्स की दूरी तय कर ली थी। इसके अलावा इस एयरक्राफ्ट के डेक से 20,000 घंटे की फ्लाइंग का भी रिकॉर्ड दर्ज है।
पांच नेवी चीफ ने किया कमांड
वर्तमान नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा आईएनएस विराट पर एग्जिक्यूटिव ऑफिसर थे। इसके अलावा पूर्व नेवी चीफ रिटायर्ड एडमिरल माधवेंद्र सिंह, रिटायर्ड एडमिरल अरुण प्रकाश, रिटायर्ड एडमिरल निर्मल कुमार वर्मा और रिटायर्ड एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी आईएनएस विराट पर बतौर कमांडिंग ऑफिसर तैनात रहे हैं।
कौन-कौन सी स्क्वाड्रन
आईएनएस विराट की एयर स्क्वाड्रन में इंसास 300 सी फ्लाइंग हैरियर्स यानी ‘व्हाइट टाइगर्स', इंसास 552 द ‘ब्रेव्स' फ्लाइंग सी हैरियर्स, इंसास 321 ‘एंजल्स' चेतक और इंसास 330 ‘हारपून' फ्लाइंग सी किंग्स शामिल थे। इमरजेंसी के समय आईएनएस विराट से 30 हैरियर्स को एक साथ ऑपरेट किया जा सकता था।
कोचिन शिपयार्ड की देखभाल
वर्ष 1987 में जब से आईएनएस विराट इंडियन नेवी में कमीशन हुआ तब से ही वह कोचिन शिपयार्ड की देखरेख में था। यह कोचिन शिपयार्ड के स्टाफ का आईएनएस विराट के लिए समर्पण भाव ही था कि इसने तय समय से ज्यादा समय तक इंडियन नेवी को अपनी सर्विसेज दी थीं।
फरवरी 2015 में शुरू हुई विदाई की तैयारियां
फरवरी 2015 में इंडियन नेवी ने वर्ष 2016 में इस वॉरशिप को डि-कमीशन करने की योजना का ऐलान कर दिया था। इसके बाद से रक्षा मंत्रालय से इसकी मंजूरी हासिल करने की तैयारियां शुरू हो गईं।
यादगार ऑपरेशन
आईएनएस विराट इंडियन नेवी के सबसे बड़े ऑपरेशन, ऑपरेशन ज्यूपिटर में अहम भूमिका अदा की थी। जुलाई 1989 में लॉन्च हुआ ऑपरेशन ज्यूपिटर भारत-श्रीलंका के बीच हुए एक समझौते के तहत शुरू हुआ था। इस ऑपरेशन के समय श्रीलंका में सिविल वॉर चल रहा था। इस वॉरशिप के जरिए कोच्चि से 76 सॉर्टीज को अंजाम दिया गया और 350 जवानों को पहुंचाया गया।
एटीएम से लेकर वीडियो स्टूडियो तक
23,900 टन वाली आईएनएस विराट 226.5 मीटर लंबी और 48.78 मीटर चौड़ी है। इस वॉरशिप पर 150 ऑफिसर्स और 1500 सेलर्स का क्रू की क्षमता है। यह वॉरशिप एक मिनी-सिटी की तरह है। इसमें लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो से लेकर एक हॉस्पिटल और डेंटल सेंटर तक है।
प्रिंस चार्ल्स के नाम पर एक कमरा
आईएनएस विराट जब रॉयल नेवी का हिस्सा थी तो उस समय वर्ष 1975 में प्रिंस चार्ल्स ने इसे 845 नेवल एयर स्क्वाड्रन के पायलट के तौर पर ज्वॉइन किया। प्रिंस चार्ल्स उसी समय हेलीकॉप्टर पायलट बने थे। आज भी आईएनएस विराट में प्रिंस चार्ल्स के नाम पर एक कमरा है और प्रिंस चार्ल्स इसी कमरे में रहते थे।