Indian Navy: INS विक्रमादित्य पर हुई दुर्घटना में शहीद ले. कमांडर चौहान की एक माह पहले ही हुई थी शादी
नई दिल्ली। शुक्रवार को कर्नाटक के कारवार से एक दुखद खबर आई। यहां पर एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य जिस समय बंदरगाह में दाखिल हो रहा था, उसी समय इसमें आग लग गई। इस आग को बुझाने में लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान शहीद हो गए। सिर्फ 30 वर्ष के लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान एयरक्राफ्ट कैरियर पर सवार 1500 नौसैनिकों की जान बच गई। इंडियन नेवी ने बहादुर लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान के जज्बे को सलाम किया है और कहा है कि नौसेना हर पल उनके परिवार के साथ रहेगी।
घर में मां और बहन
लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान मध्य प्रदेश के रतलाम के रहने वाले थे। उनके घर में उनकी मां और बहन के अलावा उनकी पत्नी हैं। उनकी शादी को बस एक माह ही हुए थे और पिछले ही माह वह शादी के बंधन में बंध थे। नेवी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एक टीम जिसकी अगुवाई चौहान कर रहे थे, वह एयरक्राफ्ट कैरियर के एक कंपार्टमेंट में लगी आग को बुझाने के लिए आगे आई। आग बुझाते समय फेफड़ों में धुंआ और गैस भर जाने की वजह से वह बेहोश होकर गिर गए।
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धुंए की वजह से हो गए थे बेहोश
लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान को तुरंत निकाला गया और उन्हें कारवार स्थित नेवी हॉस्पिटल ले जाया गया। कई कोशिशों के बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी। आग पर कुछ मिनटों बाद क्रू ने काबू पा लिया और एयरक्राफ्ट की युद्धक क्षमता पर किसी तरह का कोई बुरा असर नहीं पड़ सका। नेवी के मुताबिक लेफ्टिनें कमांडर ने बहादुरी से आग को बुझाने का प्रयास किया और उनके प्रयासों की वजह से ही एयरक्राफ्ट कैरियर को ज्यादा नुकसान नहीं हो सका।
नेवी ने किया परिवार से हर मदद का वादा
इंडियन नेवी ने वादा किया है कि वह हर पल लेफ्टिनेंट कमांडर के परिवार के साथ खड़ी है। उनके बलिदान को यूं ही व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। नेवी ने ट्वीट किया और लिखा, 'हम उनके साहस और ड्यूटी दौरान उनके विवेक का अभिनंदन करती है। हम हर पल उनके परिवार के साथ हैं और हर मुश्किल घड़ी में उनके साथ रहने का वादा करती हैं।' आईएनएस विक्रमादित्य को इस वर्ष रि-फिट के लिए कोचिन शिपयार्ड जाना था। माना जा रहा है कि शुक्रवार की घटना के बाद इसे समय से पहले ही अपग्रेडेशन के लिए भेजा जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर को बराक-II मिसाइल सिस्टम से लैस किया जाना है।
साल 2014 में हुआ कमीशंड
40,000 टन वाले आईएनएस विक्रमादित्य को आईएनएस गोर्शकोव के नाम से भी जाना जाता है। भारत से पहले रूस ने सन 1987 में इसे बाकू के नाम से कमीशंड किया था। 2.35 बिलियन डॉलर की डील के साथ भारत ने इसे रूस से खरीदा है। आईएनएस विक्रमादित्य को भारत ने 20 जनवरी 2004 में करीब 2.3 बिलियन डॉलर की कीमत से खरीदा था। वॉरशिप ने जुलाई 2013 में अपने सभी ट्रायल्स को सफलतापूर्व पूरा कर लिया था। 16 नवंबर 2013 को सेवेरोडविंस्क, रूस में हुए एक समारोह में यह औपचारिक तौर पर इंडियन नेवी का हिस्सा बन गई। साल 2014 में यह आधिकारिक तौर पर इंडियन नेवी का हिस्सा बना था।