पाकिस्तान से दिल्ली पहुंचे हामिद अंसारी, बोले घर वापस आना काफी इमोशनल पल
Recommended Video
नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक हामिद नेहाल अंसारी, दिल्ली पहुंच गए हैं। हामिद को मंगलवार के जेल से रिहा किया गया था। हामिद, मुंबई के रहने वाले हैं और अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने पाकिस्तान गए थे। दिल्ली पहुंचने पर हामिद ने कहा, 'मुझे घर वापस लौट कर काफी अच्छा लग रहा है और मैं इस समय काफी भावुक हूं।' हामिद, पाकिस्तान की पेशावर सेंट्रल जेल में बंद थे। मंगलवार को वह वाघा बॉर्डर के रास्ते देश पहुंचे हैं। उन्हें नवंबर 2012 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि पाकिस्तान उन पर लगाए गए जासूसी के आरोपों को साबित नहीं कर पाया था। उन्हें 15 दिसंबर 2015 को तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी जो कि शनिवार को पूरी हो गई।
अंसारी के पास मिला था जाली पहचान पत्र
वाघा बॉर्डर पर हामिद की मां फौजिया और पिता नेहाल अंसारी बेटे को लेने पहुंचवे थे। हामिद के माता-पिता तीन वर्ष बाद बेटे के जेल से आने की खबर पर काफी खुश हैं। उन्होंने कहा है कि उनके बेटे के इरादे गलत नहीं थे और वह नेक इरादों के साथ पाकिस्तान गए थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे को सही वीजा लेकर पाकिस्तान जाना चाहिए था। सोमवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया था। इस बयान में जानकारी दी गई थी कि विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग को इत्तिला दे दी गई है कि हामिद अंसारी को वाघा बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को सौंपा जाएगा। भारत की ओर से बार-बार पाकिस्तान से इस बात का अनुरोध किया गया था कि अंसारी को भारतीय राजनयिक से मिलने दिया जाए। अंसारी को नवंबर 2012 में अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में दाखिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हामिद के पास जाली पहचान पत्र मिला था। इसके बाद उन्हें दिसंबर 2015 को तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी। पेशावर की सेंट्रल जेल में हामिद ने अपनी सजा पूरी की थी।
27 वर्ष की उम्र में पहुंचे पाकिस्तान
पाकिस्तान के अधिकारी पहले हामिद अंसारी को मिलिट्री कोर्ट के तहत सजा देना चाहते थे। अधिकारी हामिद अंसारी को जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में सजा देने की कोशिश में थे। लेकिन वह इस बात को साबित नहीं कर पाए। अधिकारियों के पास जो भी सुबूत थे उनसे वह सिर्फ एक ऐसे आशिक के तौर पर ही साबित हो पाए जो एक लड़की की तलाश में पाकिस्तान तक आ गए थे। अंसारी की मां फौजिया और उनके पिता नेहाल अंसारी ने छह वर्षों में एक भी दिन ऐसा नहीं था जब अपने बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई न लड़ी हो। अंसारी की उम्र 27 वर्ष थी जब वह पाकिस्तान पहुंचे थे।