संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारतीय प्रवासी संकट का उल्लेख, इन देशों की सूची में शामिल हुआ भारत
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान भारत के प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है। जिनेवा मुख्यालय वाले संयुक्त राष्ट्र के 45वें सत्र में पेश की गई रिपोर्ट में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भारत के प्रवासी संकट का संदर्भ शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 100 मिलियन यानी 10 करोड़ से अधिक लोगों ने आर्थिक रूप से मदद न मिलने पर आंतरिक प्रवास किया। उन्हें कर्ज और पुलिस की क्रूरता भी झेलनी पड़ी।
काउंसिल के समक्ष पेश की गई 'कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव' शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना वायरस ने भारत में 10 करोड़ से अधिक श्रमिकों को आंतरिक प्रवास के लिए मजबूर किया। आर्थिक समस्या और कर्ज के बोझ का सामना कर रहे मजदूरों को कथित रूप से पुलिस की डंडे का शिकार होना पड़ा साथ ही इन्हें कोरोना वाहक भी कहा गया। जानकारी के मुताबिक यह आंकलन अल्पसंख्यक समूहों, स्वदेशी और जाति-आधारित भेदभाव से प्रभावित लोगों के तहत किया गया है।
यह भी पढ़ें: जानिए, क्या है IPL का बायो-बबल, जो कोरोना से रखेगा खिलाड़ियों को सेफ, नियम तोड़ने पर मिलेगी ये सजा
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ देशों में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा में वृद्धि देखी है, जैसे यूरोप में रोमा समुदाय और नेपाल में दलितों को भेदभाव का सामना करना पड़ा। बता दें कि जिनेवा में 14 सितंबर से शुरू हुई यूएनएचआरसी का 45 वां सत्र 6 अक्टूबर को समाप्त होगा। काउंसिल के समक्ष रखी गई रिपोर्ट में भारत का नाम उन देशों के बीच भी शामिल है, जहां मजदूरों के हित की रक्षा करने वाले श्रम कानूनों में ढील दी गई थी। 20-पेज की रिपोर्ट में कोरोना वायरस के प्रभाव और गुलामी जैसी प्रथाओं के समकालीन रूपों पर प्रभाव का विश्लेषण किया गया था।