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मिलिए सर्जिकल स्‍ट्राइक्‍स के मास्‍टरमाइंड 'जेम्‍स बॉन्‍ड' अजित डोवाल से

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नई दिल्‍ली। बुधवार देर रात एलओसी पार पीओके में शुरू इंडियन आर्मी के स्‍पेशल कमांडोज की सर्जिकल स्‍ट्राइक को भारत की नीति में एक बड़ा बदलाव करार दिया जा रहा है।

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कमांडोज जब अपने मिशन को अंजाम दे रहे थे तो आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग के अलावा एक और शख्‍स था जो इस ऑपरेशन पर बारीकी से नजर रखे था।

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71 वर्षीय डोवाल को इंटेलीजेंस और कोवर्ट ऑपरेशंस की दुनिया में लीजेंड करार दिया जाता है। जिस तरह से अपने इंटेलीजेंस ऑपरेशंस को अंजाम देते थे, उसकी वजह से उन्‍हें कुछ लोगों ने भारत का जेम्‍स बांड तक करार देना शुरू कर दिया था।

देश के पांचवे एनएसए

देश के पांचवे एनएसए

यह शख्‍स कोई और नहीं था बल्कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजित डोवाल थे। डोवाल जिन्‍हें भारत का जेम्‍स बांड कहा जाता है वह वर्ष 2014 में नौ वर्ष के बाद अपनी ड्यूटी पर वापस लौटे थे। विशेषज्ञ मानते हैं कि डोवाल इंटेलीजेंस और कोवर्ट ऑपरेशंस के लीजेंड हैं। डोवाल भारत के पांचवें एनएसएस हैं।

बीएसएफ को दिए कड़े आदेश

बीएसएफ को दिए कड़े आदेश

वर्ष 2014 में डोवाल ने आते ही अपने कड़े रणनीतिक रुख की झलक बीएसएफ को दिखाई। उस वर्ष केंद्र में मोदी सरकार ने जिम्‍मेदारी संभाली थी और पाकिस्‍तान की ओर से क्रॉस बॉर्डर फायरिंग की सारी सीमाएं पार हो चुकी थीं। डोवाल ने सात अक्‍टूबर 2014 को बीएसएफ के डायरेक्‍टर जनरल को बुलाया। बीएसएफ के डीजी को डोवाल ने साफ कर दिया कि वह पाक की ओर से हो रही फायरिंग का पुरजोर जवाब दे।

म्‍यांमार में सर्जिकल स्‍ट्राइक के मास्‍टरमाइंड

म्‍यांमार में सर्जिकल स्‍ट्राइक के मास्‍टरमाइंड

फिर जून 2015 में एक बार फिर जब म्‍यांमार में सर्जिकल स्‍ट्राइक हुई तो डोवाल का नाम सुर्खियों में आया। वर्ष 1999 में जब पहली बार बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार ने केंद्र में जिम्‍मेदारी संभाली तो उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बतौर एनएसए डोवाल पर अपना भरोसा जताया। डोवाल वाजपेयी के काफी भरोसेमंद माने जाते थे, अब प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी काफी खास हो गए हैं।

यूपीए ने दिया रिटायरमेंट

यूपीए ने दिया रिटायरमेंट

डोवाल वर्ष 2005 में इंटलीजेंस ब्‍यूरों के चीफ थे। लेकिन यूपीए ने उन्‍हें बतौर इंटेलीजेंस ब्‍यूरों के निदेशक पद से रिटायर कर दिया गया। इसके बाद उन्‍होंने दिल्‍ली स्थित विवेकानंद इंटरनेशल फाउंडेशन यानी वीआईएफ के प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्‍मेदारी संभाली।

इराक से नर्सों की रिहाई

इराक से नर्सों की रिहाई

जून 2014 में आईएसआईएस के कब्‍जे वाले इराक स्थित तिकरित में 46 भारतीय नर्सों को किडनैप कर लिया गया थ। उस समय डोवाल ने उन नर्सों की सुरक्षित रिहाई में एक अहम रोल अदा किया था। डोवाल हमेशा से ही अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाऊद इब्राहीम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन करते आए हैं।

 क्‍या किया था मिजोरम में डोवाल ने

क्‍या किया था मिजोरम में डोवाल ने

डोवाल ने वर्ष 1968 में नॉर्थ ईस्‍ट में मौजूद आतंकी ताकतों को हराने के लिए छह लालदेंगा अलगाववादी संगठनों को तैयार किया था। 80 के दशक में जिस समय देश के नॉर्थ-ईस्‍ट में स्थित खूबसूरत राज्‍य मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट केंद्र सरकार की नीतियों से खफा होकर देश के खिलाफ कई तरह की गतिविधियों में शामिल हो गया। इसके कई सदस्‍य अंडरग्राउंड होकर राज्‍य में अशांति फैलाने लगे।

खत्‍म हुआ 20 वर्ष का आतंक

खत्‍म हुआ 20 वर्ष का आतंक

डोवाल ने उस समय इस संगठन के आधे से ज्‍यादा टॉप कमांडरों को इससे अलग कर दिया। टॉप कमांडरों के अलग होने के बाद इस संगठन की कमर ही टूट गई है। संगठन के नेता लालदेंगा ने शांति की अपील की और जुलाई 1986 में मिजो संगठन ने सुलह कर ली। इसके साथ ही करीब 20 वर्षों से राज्‍य में जो अशांति का माहौल जारी था वह डोवाल की एक पहल पर खत्‍म हो सका।

 पाक एजेंट बनकर दाखिल हुए स्‍वर्ण मंदिर में

पाक एजेंट बनकर दाखिल हुए स्‍वर्ण मंदिर में

लेकिन डोवाल के कई मिशन अभी तक बाकी थे। 80 के आखिरी दशकों में पंजाब में आतंकवाद चरम पर था और किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर किया क्‍या जाए। उसी समय अजित डोवाल ने एक ऐसी चाल चली जिसका अंदाजा किसी ने नहीं लगाया था।

 रिक्‍शे वाले के भेष में थे डोवाल

रिक्‍शे वाले के भेष में थे डोवाल

डोवाल अमृतसर के स्‍वर्ण मंदिर में दाखिल हुए। इस दौरान उन्‍होंने खुद को एक पाक जासूस के तौर पर खालिस्‍तानी आतंकियों के सामने खुद को पेश किया। वर्ष 1986 में जब ऑपरेशन ब्‍लैक थंडर को अंजाम दिया गया तो उसमें करीब 300 सिख आतंकियों को मंदिर के परिसर से गिरफ्तार किया गया था। लेकिन इससे पहले ही डोवाल ने कई अहम जानकारियां पाकिस्‍तानी एजेंट बनकर जुटा ली थीं। डोवाल उस समय के रिक्‍शा चलाने वाले के भेष में थे।

पाक में रह चुके हैं डोवाल

पाक में रह चुके हैं डोवाल

डोवाल ने छह वर्ष पाकिस्‍तान की राजधानी इस्‍लामाबाद में स्थित भारतीय दूतावास में बिताए हैं। डोवाल बतौर अंडरकवर एजेंट पाक में रहे हैं और वह पाक की भौगोलिक स्थिति से पूरी तरह से वाकिफ हैं। इस वजह से भी पाक अक्‍सर डोवाल के इंटेलीजेंस और उनकी ताकत से खौफ खाता है।

 कश्‍मीर में खतरनाक आतंकियों को मारा

कश्‍मीर में खतरनाक आतंकियों को मारा

वर्ष 1990 में डोवाल कश्‍मीर गए थे और यहां पर उन्‍होंने कई खतरनाक आतंकियों के खिलाफ अभियान छेड़ा। उन्‍होंने अपने इस ऑपरेशन में भारत विरोधी आतंकियों को टारगेट करना शुरू कर दिया। इसके तहत ही उन्‍होंने खतरनाक आतंकी कूका पैरे का भी सफाया किया। उनके प्रयासों की वजह से ही वर्ष 1996 में जम्‍मू कश्‍मीर में विधानसभा चुनाव हो पाए थे।

कंधार हाइजैक समस्‍या सुलझाने में अहम रोल

कंधार हाइजैक समस्‍या सुलझाने में अहम रोल

1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अफसर डोवाल ने काफी खतरनाक हालातों में पाकिस्‍तान का दौरा किया था। यह किसी भी इंटलीजेंस अफसर के करियर के लिए सबसे प्रतिष्ठित प्रोजेक्‍ट्स में से एक माना जाता है। डोवाल को उनके स्‍वर्ण मंदिर वाले ऑपरेशन के लिए सर्वोच्‍च गैलेंट्री अवॉर्ड कीर्ति चक्र से सम्‍मानित किया जा चुका है। उनके 37 वर्ष के कार्यकाल के दौराल उन्‍होंने दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलांइस की फ्लाइट आईसी 814 को आतंकियों के चंगुल से छुड़ाने में एक अहम रोल अदा किया था।

 इकोनॉमिक्‍स की डिग्री वाले डोवाल

इकोनॉमिक्‍स की डिग्री वाले डोवाल

डोवाल सर्वश्रेष्‍ठ सेवा के लिए पुलिस मेडल हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के पुलिस ऑफिसर भी हैं। आपको बता दें कि मिलिट्री बैंकग्राउंड से आने वाले डोवाल गढ़वाल के रहने वाले हैं और उनके पास इकोनॉमिक्‍स की डिग्री है।

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English summary
National Security advisor Ajit Doval who is known as Indian James Bond came back to his duty after 9 years in 2014. Experts feel he is a legend in the world of intelligence and covert operations.
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