कुल 2 लाख के खर्चे में महज 25 हजार की हज सब्सिडी देती थी केंद्र सरकार
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने मंगलवार को बड़ा ऐलान करते हुए हज यात्रा पर मिलने वाली हज सब्सिडी को खत्म कर दिया। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सालाना हज सब्सिडी के रूप में 700 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा था। लेकिन आखिर हज यात्रा के दौरान सरकार सब्सिडी को कहां खर्च करती थी और एक आम मुसलमान को हज जाने पर कितना खर्चा उठाने पड़ता था, आइए जानते हैं।
सभी मुसलमानों को नहीं मिलती थी सब्सिडी
भारत के मुसलमान दो तरीके से हज यात्रा करना सऊदी अरब जाते हैं। पहला तरीका मुंबई स्थित हज कमेटी के जरिए जाने का है जबकि दूसरा तरीका प्राइवेट टूर सर्विस के तौर पर जाने का है। बता दें कि भारत सरकार सिर्फ उन्हीं मुसलमानों को सब्सिडी देती थी जो हज कमेटी के जरिए हज यात्रा पर जाते हैं। प्राईवेट टूर सर्विस पर जाने वालों को भारत सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी नहीं मिलती थी।
यहां खर्च होता था हज कमेटी को मिलने वाली सब्सिडी
हज कमेटी की तरफ से सऊदी अरब जाने वाले यात्री एयर इंडिया के विमान से जाते थे। भारत सरकार से हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी का एक बड़ा हिस्सा इसी एयर इंडिया को जाता था। यानी की हज सब्सिडी का पैसा हज यात्रियों को सीधे न दे ने की बजाय एयर इंडिया को देती थी। जिसकी राशि करीब 650 करोड़ बताई जाती रही है। इसी वजह से कई मुसलमानों का यह मानना रहा है कि सरकार सब्सिडी उन्हें नहीं बल्कि एयर इंडिया को देती थी।
25 हजार की सब्सिडी
एक अनुमान के मुताबिक अभी तक हज यात्रा जाने पर एक यात्री को 2,11,320 रुपये का खर्च उठाना पड़ता था। इसमें मक्का और मदीने में रुकने का खर्च 90,000, विमान का टिकट 45 हजार औऱ अन्य खर्च करीब 76,320 रुपये के आसपास आता था। यहीं पर सब्सिडी सामने आती थी क्योंकि बिना सब्सिडी वाले यात्री को हज जाने पर 70,000 रुपये का टिकट खरीदना पड़ता था। जबकि हज सब्सिडी पर जाने वाले को सिर्फ 45 हजार रुपये टिकट के रुप में देने होते थे। यानी कि केंद्र सरकार एक हज यात्री को अभी तक कुल 2 लाख 11 हजार के खर्च में से 25 हजार का हवाई टिकट पर सब्सिडी देती थी जिसे अब बंद कर दिया गया है।