दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनी के भ्रष्टाचार को सामने लाने वाला भारतीय इंजीनियर अब 'बेरोजगार'
बेंगलुरु। साल 2013 और अब 2019, छह वर्षों में इंजीनियर हेमंत काप्पान्ना की दुनिया ही बदल गई है। हेमंत छह साल पहले उस समय चर्चा में आए थे जब दो और लोगों के साथ उनका भी सेलेक्शन वर्जिनिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए हुआ था। आज इतने साल बाद हेमंत वापस अपने देश आ गए हैं और बेंगलुरु में हैं। उनके पास नौकरी नहीं है और वजह है जनरल मोटर्स। पिछले दिनों जनरल मोटर्स की फॉक्सवैगन को डीजलगेट स्कैम से गुजरना पड़ा है। दुनिया भर में कंपनी की कारों पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है। इसकी वजह से कंपनी ने उन्हें फरवरी में नौकरी से निकाल दिया था। आज तीन माह बाद भी उनके पास जॉब नहीं है। हेमंत 17 साल तक अमेरिका में रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की ओर से बताया गया है कि हेमंत उस टीम का हिस्सा थे जिसने जर्मन कंपनी की ओर से हो रहे भ्रष्टाचार को सबके सामने लाकर रख दिया था।
कंपनी के झूठ की खोली पोल
41 वर्ष के हेमंत ने यह पता लगाया था कि कैसे जनरल मोटर्स की कारों में इस बात को छिपाया जा रहा है कि उनसे डीजल इमीशन न के बराबर होता है या होता ही नहीं। इस स्कैम के सामने आने के बाद फॉक्सवैगन को अब तक 33 बिलियन डॉलर का जुर्माना अदा करना पड़ गया है। अकेले अमेरिका में कंपनी ने 32 बिलियन डॉलर का जुर्माना दिया है। पिछले ही माह कंपनी की पोर्श कार में खामी सामने आई और कंपनी को 599 मिलियन डॉलर का जुर्माना अदा करना पड़ा है। यह घोटाला ऑटोमोबाइल वर्ल्ड का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। साल 2014 में अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद हेमंत ने जनरल मोटर्स को ज्वॉइन किया था। हेमंत को जो आखिरी जिम्मेदारी दी गई थी उसमें उन्हें पर्यावरण की सुरक्षा करने वाली एजेंसी के साथ संपर्क करना था। कप्पान्ना ने एजेंसी से संपर्क किया और उन्होंने जनरल मोटर्स की इमीशन टेक्नोलॉजी के बारे में बात की। इसके बाद ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। पिछले हफ्ते मिशीगन से हेमंत के पास एक फोन आया और इसमें उन्हें कहा गया कि कंपनी उन्हें निकाल रही है। फोन करने वाले ने उन्हें यह भी बताया था कि इस फैसले के पीछे किसी तरह का कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है। जनरल मोटर्स इस समय बड़े पैमाने पर छंठनी का रही है।
बेस्ट यूनिवर्सिटी से पीएचडी
अब तक करीब 4,000 लोगों को नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया गया है। हेमंत को कई तरह के पैकेज दिए गए जिनमें दो माह की सैलरी और भारत वापस आने का टिकट भी शामिल था। वह 60 दिनों के ग्रेस पीरियड में नौकरी हासिल करने में असफल रहे और अब अपने होमटाउन बेंगलुरु में हैं। साल 2013 में जब हेमंत की टीम ने स्कैम का पर्दाफाश किया था हेमंत ग्रेजुएशन कर रहे थे। वेस्ट वर्जिनिया यूनिवर्सिटी को ऑटोमोबाइल इमीशन में रिसर्च के लिए जाना जाता है। हेमंत के डायरेक्टर ने उनसे क्लीन ट्रांसपोर्टेशन पर बनी इंटरनेशनल काउंसिल की तरफ से आई ग्रांट एप्लीकेशन को पूरा करने के लिए कहा। यह एक एनजीओ है और जर्मनी में बेची जाने वाली कार से होने वाले उत्सर्जन पर रिसर्च रिपोर्ट तैयार कर रहा था। इस प्रपोजल की वजह से हेमंत को 70,000 डॉलर मिले थे। फिलहाल फॉक्सवोगन के दो पूर्व एग्जिक्यूटिव्स अमेरिका में जेल की सजा काट रहे हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी पर पर्दा डाला था। हेमंत को इस बात पर गर्व है कि उन्होंने कंपनी की ओर से हो रहे गलत कामों को दुनिया के सामने लाकर रखा है।
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