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सियाचिन में तैनात सैनिकों को जल्‍द मिलेंगे भारत में तैयार खास कपड़े

दुनिया के हाइएस्‍ट वॉर जोन के तौर पर मशहूर सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के सैनिकों को जल्‍द ही स्पेशल क्‍लोदिंग किट दी जाएगी। यह किट पूरी तरह से देश में बनी होगी और इसमें जवानों के कपड़े, सोने की किट और खास उपकरणों होंगे जिनका उत्पादन देश में ही किया जाएगा।

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नई दिल्‍ली। दुनिया के हाइएस्‍ट वॉर जोन के तौर पर मशहूर सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के सैनिकों को जल्‍द ही स्पेशल क्‍लोदिंग किट दी जाएगी। यह किट पूरी तरह से देश में बनी होगी और इसमें जवानों के कपड़े, सोने की किट और खास उपकरणों होंगे जिनका उत्पादन देश में ही किया जाएगा। कहा जा रहा है कि इसके जरिए सेना का लक्ष्य करीब 300 करोड़ रुपए की बचत करने का है। काराकोरम रेंज में आने वाला सियाचिन ग्‍लेशियर, जम्‍मू कश्‍मीर के तहत आता है और यह 16,000 फीट से 20,000 फीट की ऊंचाई पर है। सियाचिन ग्लेशियर पर लगातार निगरानी रखने के लिए जवानों का कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

अटके प्रोजेक्‍ट्स होंगे पूरे

अटके प्रोजेक्‍ट्स होंगे पूरे

सेना पिछले कई वर्षों से अटके पड़े प्रोजेक्‍ट्स को अंतिम रूप दे रही है। भारत वर्तमान समय में जवानों की एक्स्ट्रीम कोल्ड वेदर क्लोदिंग सिस्टम (ईसीडब्ल्यूसीएस) अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और स्विटजरलैंड से आयात करता है और इस पर हर वर्ष 800 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। सेना के सूत्रों की मानें तो इस कदम के जरिए सेना का मकसद हर वर्ष तीन बिलियन रुपए की रकम बचाना है। एक ऑफिसर की ओर से बताया गया है कि प्रोजेक्‍ट के तहत सियाचिन पर तैनात हर सैनिक के लिए जरूरी सभी उपकरण को भारत में प्राइवेट सेक्‍टर की मदद से तैयार किया जाएगा।

10 वर्षों में 164 सैनिक शहीद

10 वर्षों में 164 सैनिक शहीद

भारत में जो उपकरण तैयार होंगे उनमें थर्मल इंसोल्‍स, स्‍नो गॉगल्‍स, बर्फ में प्रयोग होने वाली खास तरह की कुल्‍हाड़ी, जूते, हिमस्‍खलन का पता लगाने वाले उपकरण, पर्वतारोहण की किट और स्‍लीपिंग बैग्‍स इन सबका निर्माण भारत में ही होगा। क्‍लोदिंग गियर का कुछ हिस्‍सा सियाचिन के अलावा डोकलाम में तैनात सैनिकों का भी दिया जाएगा। सियाचिन में तापमान सर्दियों में -60 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। इसके अलावा यहां पर हर पर हिमस्‍खलन का खतरा भी बना रहता है। आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो यहां पर पिछले 10 वर्षों में 163 सैनिक शहीद हो चुके हैं।

साल 1984 से तैनात सेना

साल 1984 से तैनात सेना


वर्ष 1984 में भारत और पाकिस्‍तान ने यहां पर अपनी सेना को तैनात किया था और तब से लेकर अभी तक यहां पर सेना मुस्‍तैद है।भारतीय सरकार की ओर से संसद में पेश की गई रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो हर माह सियाचिन में एक सैनिक को शहादत हासिल होती है। वर्ष 1984 से लेकर दिसंबर 2015 तक यहां पर पिछले वर्षों में 869 सैनिक शहीद हुए हैं। सियाचिन की ऊंचाई 22,000 फीट है आपको बता दें कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29,000 फीट है। सियाचिन का तापमान न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सिस से कम तापमान है।यहां ऑक्सीजन कम है, जिस वजह से सैनिकों की याद्दाश्त कमजोर होने की संभावना है। बोलने में दिक्कत, फेफड़ों में संक्रमण और अत्यधिक तनाव से भी जूझना पड़ सकता है। यहां बर्फ में लंबी दरारों की समस्या से भी जवानों को जूझना पड़ता है।

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English summary
Indian Army Soldiers deployed at Siachen the highest war zone of world to get special clothing equipments made in India.
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