भारतीय सेना के मेजर ने विकसित की स्वदेशी तकनीक से लैस दुनिया की पहली यूनिवर्सल बुलेटप्रूफ जैकेट
नई दिल्ली। भारतीय सेना के मेजर अनूप मिश्रा ने स्वदेशी तकनीक से लैस दुनिया की पहली सार्वभौमिक बुलेटप्रूफ जैकेट 'शक्ति' विकसित की है, जिसका उपयोग पुरुष और महिला दोनों लड़ाकों द्वारा किया जा सकता है।
नई दिल्ली। भारतीय सेना के मेजर अनूप मिश्रा ने स्वदेशी तकनीक से लैस दुनिया की पहली सार्वभौमिक बुलेटप्रूफ जैकेट 'शक्ति' विकसित की है, जिसका उपयोग पुरुष और महिला दोनों लड़ाकों द्वारा किया जा सकता है। यह जैकेट दुनिया का पहला लचीला शरीर कवच भी है। लचीले डिजाइन से मतलब है कि यह राइफल गोला बारूद या विस्फोट के छर्रों को अवशोषित करने में सक्षम है।
फोटो में, मेजर अनूप मिश्रा को गर्व से अपने सहयोगी पर बैलिस्टिक जैकेट का प्रदर्शन करते देखा जा सकता है। शक्ति जैकेट यूनिसेक्स और सार्वभौमिक है, जिसका अर्थ यह है कि इसे सशस्त्र बलों की किसी भी रैंक में पुरुष और महिला दोनों लड़ाकों द्वारा पहना जा सकता है।
आपको बता दें कि भारत के लिए रक्षा-संबंधी स्वदेशी तकनीक के लिहाज से यह एक अच्छा वर्ष है। इस वर्ष रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI विकसित की है। आपको बता दें कि इससे पहले मेजर अनूम मिश्रा भारतीय सेना की सुरक्षा के लिए एक बुलेटप्रूफ हेलमेट का भी निर्माण कर चुके हैं जो 10 मीटर की दूरी से AK-47 से चलाई गई गोली को भी रोक सकता है।
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गौरतलब है कि अनूप मिश्रा भारतीय सेना के कॉलेज कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग के लिए काम करते हैं। जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान वह एक ऑपरेशन में एक गोली का शिकार हो गए थे।
उस दौरान बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने के कारण उनकी जान बच गई थी। इस घटना के तुरंत बाद अनूप ने एक स्वदेशी जैकेट का निर्माण किया, जो 10 मीटर की दूरी से स्नाइपर बुलेट का सामना कर सकती है। इसके लिए तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने उन्हें सम्मानित भी किया था।