भ्रष्टाचार में घिरे ले.जनरल को सेना ने रिटायरमेंट वाले दिन सुनाई सजा, सरकारी फंड के दुरुपयोग का था मामला
नई दिल्ली। सेना ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे एक लेफ्टिनेंट जनरल को सजा दी है। दिलचस्प बात है कि ऑफिसर को सजा का ऐलान उस दिन किया गया जब उनका रिटायरमेंट था यानी सर्विस में उनका आखिर दिन। इस लेफ्टिनेंट जनरल पर सरकार फंड के गलत प्रयोग का आरोप लगा है। सूत्रों की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। इस पूरे मामले पर खुद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत नजर रखे हुए थे। सूत्रों की ओर से बताया गया, 'लेफ्टिनेंट जनरल को कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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10 लाख रुपए खुद कर डाले खर्च
जांच में पाया गया कि ले. जनरल से करीब 10 लाख रुपए के सरकारी फंड जिसे उपकरणों की खरीद के लिए रखा गया था, उसे अपने व्यक्तिगत खर्च के लिए प्रयोग कर लिया।' पिछले माह इस लेफ्टिनेंट जनरल का जब रिटायरमेंट था तभी उन्हें सजा सुनाई गई। केस की शुरुआत उस समय हुई जब आर्मी हेडक्वाट्र्स की तरफ से एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल की अगुवाई में कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दिए गए। आरोपी जनरल के खिलाफ कई शिकायतें आई थीं जिसमें कहा गया था कि उन्होंने 10 लाख रुपए वाले सरकारी फंड का प्रयोग अपने खर्च के लिए कर लिया है। जब सेना मुख्यालय पर शिकायत पहुंची तो आरोपी जनरल के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दिए गए।
आर्मी चीफ के पीएसओ कर रहे थे जांच
शिकायतें मिलने के बाद मुख्यालय की तरफ से सेना प्रमुख जनरल रावत के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर यानी पीएसओ की तरफ से हाई लेवल इन्क्वॉयरी की शुरुआत हुई। पीएसओ, सेना में सर्वोच्च स्तर के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक वाले अधिकारी होते हैं। इन पर सेना प्रमुख को रोजमर्रा के कामों के लिए मदद करने का जिम्मा होता है। रक्षा सूत्रों की ओर से बताया गया है कि जब से जनरल रावत ने जिम्मा संभाला है तब से उन्होंने ऑफिसर्स को स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सेना ने पिछले कुछ माह में भ्रष्टाचार के आरोपों में कई ऑफिसर्स को सजा दी है। इन ऑफिसर्स को या तो सर्विस से हटा दिया गया है या फिर बिना पेंशन के रिटायर किया गया है।