क्या नागालैंड में गलत पहचान के भ्रम में हुई फायरिंग की घटना? सेना करेगी इंटरनल इंक्वायरी
नई दिल्ली, दिसंबर 06। नागालैंड के दीमापुर में हुई हिंसा की घटना को लेकर सड़क से लेकर संसद तक में घमासान देखने को मिल रहा है। सोमवार को संसद में भी नागालैंड की घटना का मुद्दा विपक्ष ने उठाया, जिसका जवाब सरकार की तरफ से गृहमंत्री ने दिया। इस हंगामे के बीच इंडियन आर्मी की 3 कोर बटालियन ने इस पूरी घटना की इंटरनेट इंक्वायरी कराने का फैसला किया है। मेजर जनरल रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है, जो इस पूरे मामले की जांच करेगी। आपको बता दें कि शनिवार को दीमापुर में हुई फायरिंग की घटना में 15 लोगों की जान चली गई, जिसमें सेना का एक जवान भी शामिल है।
कोयला खदान श्रमिकों के आतंकी संगठनों से संबंध का शक
अधिकारियों की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, घटना के वक्त सुरक्षा अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने 8 कोयला खदान श्रमिकों का आतंकी संगठन से संबंध होना का शक था। आपको बता दें कि इन श्रमिकों में से सुरक्षाबलों का फायरिंग में 6 कोयला खदान मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 2 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। यह घटना नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच हुई। छह नागरिकों की मौत के बाद ग्रामीणों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके बाद सेना की कार्रवाई में अन्य नागरिकों की भी मौत हो गई। सोमवार सुबह तक कम से कम 14 नागरिकों और एक जवान के मारे जाने की खबर थी।
क्या गलतफहमी में मजदूरों की गई जान?
सैन्य अधिकारियों की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, म्यांमा की सीमा से लगने वाले मोन जिले में उग्रवादियों की संभावित गतिविधियों की विश्वसनीय खुफिया जानकारी सुरक्षाबलों के पास थी और इसी जानकारी के आधार पर अभियान चलाया गया था। कहा जा रहा है कि इसी अभियान के दौरान सैन्यकर्मियों ने कोयला खदान के मजदूरों के वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें छह मजदूरों की जान चली गई। इसके बाद इलाके में हिंसा भड़क उठी और इसमें 15 लोगों की जान चली गई।
आपको बता दें कि इस घटना में नागालैंड के सीएम नेफियो रियो ने भी जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है। इसके अलावा इलाके में अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। सुरक्षा के मद्देनजर रविवार को मोबाइल इंटरनेट की सुविधा को ठप कर दिया गया था, जिससे कि कोई भी फेक न्यूज़ नहीं फैले और तनाव ना बढ़े। पीएम मोदी और अमित शाह ने भी इस घटना पर दुख जताया है।
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