ब्रिगेडियर की रैंक खत्म करने पर विचार कर रही है इंडियन आर्मी, जानिए क्यों
नई दिल्ली। सेना अपने ढांचे का पुर्नगठन करना चाहती है और इसके तहत ही वह ब्रिगेडियर रैंक को खत्म करने पर विचार कर रही है। सेना का मकसद ऐसा करके सिविल सर्विसेज के बराबर सेना को लाना है। सेना की योजना है कि रैंक्स की संख्या को नौ से छह या सात पर लेकर आया जाए ताकि उनके कैडर्स के सामने बेहतर भावी संभावनाएं सुनिश्चित करना है। पिछले माह सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक हाई लेवल कमेटी मीटिंग बुलाई थी और इस मीटिंग में ऑफिसर कैडर को नया स्वरूप देने की कई संभावनाओं पर चर्चा की गई।
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पिछले माह हुई है एक मीटिंग
इस कमेटी जिसकी अध्यक्षता एक मिलिट्री सेक्रेटरी और एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के ऑफिसर कर रहे थे, अपनी रिपोर्ट इस वर्ष नवंबर के अंत तक दाखिल करेगी। कैडर रिव्यू के लिए जो अंतरिम ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें ब्रिगेडियर की रैंक को खत्म करने की बात है। इसका मतलब यह है कि कर्नल जिनका प्रमोशन बचा है, वह सीधे मेजर जनरल बन जाएंगे। इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। इस ड्राफ्ट में यह सलाह भी दी गई है कि लेफ्टिनेंट की रैंक, उत्तराखंड के देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी में जेंटलमेन कैडेट्स को मिल जानी चाहिए। इसके बाद जब कैडेट्स सेना में कमीशंड हों तो सीधे कैप्टन की रैंक पर उन्हें कमीशन मिले न कि लेफ्टिनेंट की। इससे किसी ब्रिगेड या फिर कोर को कमांड करने वाले ऑफिसर की रैंक पर भी असर पड़ेगा।
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सिविल सर्विसेज के बराबर लाना मकसद
सेना के पुर्नगठन का मकसद रैंक्स को सिविल सर्विसेज की रैंक्स जैसे आईपीएसी के समकक्ष लाना है। एक ऑफिसर की ओर से टाइम्स ऑफ इंडिया को यह जानकारी दी गई है। इस ऑफिसर ने बताया है कि यह ब्रिगेड कमांडर की स्थिति को बहाल करने में भी मदद करेगा जो पुलिस के आईजी से भी एक रैंक आगे होता है। लेकिन पुलिस में आईजी की सैलरी ज्वॉइन्ट सेक्रेटरीज के बराबर है और सेना के ब्रिगेडियर से काफी ज्यादा होता है। सेना का ध्यान इस तरफ भी गया है कि सिविल सर्विसेज में कोई भी ऑफिसर 18 वर्ष की नौकरी के बाद ज्वॉइन्ट सेक्रेटरी के पद पर पहुंच जाता है।
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अभी नहीं हुआ है कोई अंतिम फैसला
सेना में इस पद के बराबर आने में उसे 32 से 33 वर्ष का समय लग जाता है। इतने वर्षों में ऑफिसर को मेजर जनरल की रैंक मिलती है। एक ऑफिसर के मुताबिक जहां 100 में से 80 आईएएस ऑफिसर ज्वॉइन्ट सेक्रेटरीज बन जाते हैं तो वहीं 100 में से सिर्फ पांच या फिर छह ऑफिसर ही मेजर जनरल की रैंक तक पहुंच पाते हैं। सेना के प्रवक्ता का कहना है कि यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव है और अंतिम फैसला लेने से पहले काफी विस्तार से इसका अध्ययन किया जाएगा, इसके बाद ही कोई निष्कर्ष निकल पाएगा।