J&K:पाकिस्तान को अब Made in India हथियारों से ही निपटाना चाहती है सेना
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर में अशांति पैदा करने के लिए पाकिस्तान ने इस साल भारत के साथ प्रॉक्सी वॉर को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। लेकिन, अब भारतीय सेना पाकिस्तानी के रोज-रोज के उकसावे का जवाब देने के लिए आयातित हथियारों पर ज्यादा दिन तक निर्भर नहीं रहना चाहती। बल्कि, अब पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना स्वदेशी वेपन सिस्टम और सर्विलांस डिवाइसेज के ही इस्तेमाल पर जोर देना चाहती है। गौरतलब है कि रविवार को ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया है कि इस साल अब तक पाकिस्तान ने 2,050 से ज्यादा बार बिना उकसावे के सीजफायर उल्लंघन की घटनाओं को अंजाम दिया है, जिसमें 21 भारतीय मारे गए है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अब पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए सेना स्वदेशी हथियारों का ही इस्तेमाल करना चाहती है। दरअसल, सरकार ने हाल के वक्त में सेना को अपनी जरूरतों के मुताबिक हथियारों की खरीद में जो छूट दी है, उससे सैन्य बलों का हौसला बढ़ा है और वे चाहते हैं कि पाकिस्तान को आए दिन जवाब देने के लिए आयात की जगह भारत में ही जरूरी निर्माण पर ध्यान देना चाहिए।
पाकिस्तान से निपटने के लिए स्वदेशी हथियार
भारत ने पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर का जवाब देने के लिए अपने स्पेशल काउंटर-टेररिस्ट फोर्स इनफेंट्री और राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) यूनिट के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि सेना की इन टुकड़ियों को ही सबसे पहले बेहतर हथियार, सर्विलांस और रात में देखने वाले उपकरण और हेलमेट एवं बुलेटप्रूफ जैकेट जैसे रक्षात्मक सामान मुहैया कराए जाएंगे। एक अफसर ने बताया कि, "हम चाह रहे हैं कि प्रॉक्सी वॉर से निपटने के लिए सारे उपकरण स्वदेशी हों। हम अपने नाइट विजन डिवाइस, सर्विलांस और भारत में ही बनी विशेष यूएवी, जैसे क्वाडकॉप्टर्स चाहते हैं। "
समय पर मुमकिन होगी डिलिवरी
सेना इस बात की भी पड़ताल में जुटी है कि क्या टैंकों और इनफेंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के इंजन भारत में बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्रों की ओर से बनाए जाने वाले आठ से नौ तरह के गोला-बारूद पर भी ध्यान दिया जा रहा है। 2017 के दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने भारत की निजी कंपनियों में ही कई तरह के गोला-बारूद निर्माण करने की मंजूरी दी थी। इनमें इनफेंट्री की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले 30एमएम से लेकर 120एमएम तक विस्तार वाले रेंज से लेकर 40एमएम के ग्रेनेड का उत्पादन भी शामिल है। सेना का प्रयास यह है कि आयात पर से निर्भरता कम हो जाए। हालांकि, सेना चाहती है कि इस तरह के सैन्य साजों-सामान के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र की क्षमता बढ़ाई जाए। सेना हथियारों, सैन्य उपकरणों और गोला-बारूद के स्वदेशीकरण पर इसलिए भी जोर दे रही है, ताकि इसे भारत की जरूरतों के मुताबिक तैयार करना आसान रहे। इससे भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता बढ़ेगी और वह आत्मनिर्भर तो बनेगा ही साथ ही जरूरतों के मुताबिक की समय पर डिलिवरी भी मुमकिन होगी। क्योंकि, कई बार आयात में समय लगता है और उससे चुनौतियों बढ़ जाती हैं।
रक्षा खरीद का अधिकार मिलने से तैयारी पुख्ता
पाकिस्तान इस वक्त एलओसी के आसपास जिस तरह से लगातार सीजफायर तोड़ रहा है, उसे टालने के लिए भारतीय सेना बहुत ही ज्यादा संयम बरतने की कोशिश कर रही है। हालांकि, ये भी तथ्य है कि मौजूदा वक्त में पाकिस्तान की हर हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना पहले से कहीं ज्यादा तैयार है। इसके कारणों के बारे में एक अधिकारी ने बताया कि, 'रेवेन्यू और कैपिटल रूट के जरिए तीनों सेनाओं के वाइस चीफ को सरकार की ओर से खरीद का अधिकार देना बहुत ही सकारात्मक कदम है। हम बेहद अहम गोला-बारूद और कल-पुर्जे प्राप्त करने में सक्षम हो गए हैं, क्योंकि प्राथमिकता तय करने और खरीदने का अधिकार हमारे पास है। इसके कारण हमारी तैयारी में बहुत फर्क पड़ा है, खासकर स्नाइपर राइफल्स जैसे हथियार, सर्विलांस के उपकरणों, खास तरह के गोला-बारूद और कल-पुर्जों के मामले में।'
सीजफायर तोड़ने में रिकॉर्ड तोड़ रहा है पाकिस्तान
गौरतलब है कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर उकसावे वाली कार्रवाई में भारी इजाफा देखा जा रहा है। यही कारण है कि एलओसी पर 2017 में जहां सीजफायर तोड़ने के लिए केवल 860 केस दर्ज किए गए थे और 2018 में उनकी संख्या 1,629 थी, इस साल अबतक 2,050 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इन घटनाओं में 21 भारतीयों की जान गई है। हाल के दिनों में पाकिस्तान घुसपैठ की कोशिशों को अंजाम देने के लिए छोटे तोपखानों का भी जमकर इस्तेमाल कर रहा है, जिसका भारतीय सुरक्षा बलों की ओर से तत्काल ही मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है।