सेना की नई रणनीति: लद्दाख में चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब, पाकिस्तान के खिलाफ भी एक्शन प्लान तैयार
नई दिल्ली, 25 मई। चीन के साथ सैन्य गतिरोध के बीच भारत ने लद्दाख सेक्टर और अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को उनके निवास स्थलों में रखने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित कर लिया है। इसके साथ ही भारत ने क्षेत्र में सैनिकों की संख्या में भी बढ़ोतरी कर चीन की गतिविधियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयारी की है। अपने प्रमुख सैन्य प्रतिद्वंदियों को जवाब देने के लिए सेना ने कई बदलाव किए हैं जिनमें ऑर्डर ऑफ बैटल (आरबैट) भी शामिल है।
पाकिस्तान और चीन के खिलाफ नई रणनीति
द प्रिंट की खबर के मुताबिक भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ दंडात्मक निवारण और चीन के खिलाफ विश्वसनीय निवारण नीति लागू करने का फैसला किया है।
इस रणनीति के तहत अब सेना कोर स्तर पर प्रितिक्रिया देने की जगह एकीकृत प्रणाली का इस्तेमाल करेगी। इसमें पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा और चीन से लगी पूर्वी सीमा के बीच संतुलन का भी ध्यान रखा गया है।
पाकिस्तान से लगी सीमा भारत के पश्चिमी थियेटर कमांड का हिस्सा है जो कि सेना के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। पश्चिमी थियेटर कमांड में भारत की रणनीति दंडात्मक निवारण की होगी। सैन्य दृष्टिकोण से दंडात्मक रणनीति उसे कहा जाता है जहां पर जवाबी कार्रवाई की जाती है। भारत की सैन्य शक्ति पाकिस्तान के मुकाबले काफी अधिक है ऐसे में यहां पर दंडात्मक निवारण नीति को लागू किया गया है।
वहीं सैन्य शक्ति के मामले में चीन अपनी तैयारी अमेरिका से मुकाबले के लिए कर रहा है। लेकिन पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध के दौरान उसे समझ आ गया है कि भारत उसके सामने आंख में आंख डालकर क्षमता हासिल कर चुका है। भारत की इस रणनीति के चीन की सैन्य दादागिरी वाली छवि को वैश्विक नुकसान पहुंचाया है। इसे ही विश्वसनीय निवारण नीति कहा जाता है।
दोगुने सैनिकों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार
चीन से मुकाबले के लिए भारत ने लद्दाख क्षेत्र में सैनिकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उनके रहने के लिए बुनियादी ढांचा निर्माण के काम को युद्धस्तर पर अंजाम दिया दिया है। सेना ने 5 साल में होने वाले काम को 1 साल में ही पूरा कर लिया है।
लद्दाख में बेहद प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थिति के चलते सैनिकों को रखने में काफी समस्या आती है। क्षेत्र में तापमान 45 प्रतिशत से नीचे तक चला जाता है ऐसे में इन विशेष ठिकानों के निर्माण के बाद सैनिकों को यहां रहने और काम करने में आसानी होगी।
5
साल
का
काम
एक
साल
में
पूरा
सरकारी
सूत्रों
ने
बताया
कि
"चीन
से
सैन्य
तनाव
के
बीच
भारतीय
सेना
ने
अगले
5
साल
के
लिए
नियोजित
काम
को
12
महीने
के
अंदर
ही
पूरा
कर
लिया
है।
इस
नए
बने
आवासों
में
केवल
लद्दाख
सेक्टर
में
तैनात
सैनिकों
की
संख्या
वर्तमान
में
इस
क्षेत्र
में
तैनात
सैनिकों
की
संख्या
के
दोगुनी
से
भी
अधिक
होगी।"
अनुमान के मुताबिक भारत और चीन दोनों ने इस साल की शुरुआत में पैंगोंग झील सेक्टर में डिसएंगेजमेंट के बावजूद पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एक-दूसरे के सामने 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया हुआ है।
एलएसी पर तैयार होगी सुरंग
सूत्रों ने बताया कि कोर ऑफ इंजीनियर्स अभी भी एलएसी पर काम में लगे हुए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर सैनिकों के संचालन और अतिरिक्त बलों को यहां पर रखने के लिए संरचना खड़ी की जा सकें।
सैनिकों के आवास के साथ ही भारत एलएसी के साथ सभी क्षेत्रों में सड़क के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए भी काम कर रहा है। भारत निमू-पदम-दारचा अक्ष सड़क को लेकर काम तेज कर दिया है। इस सड़क का निर्माण होने के बाद देश के अन्य हिस्सों से सैनिकों को लद्दाख पहुंचाने में आसानी होगी।
इस सड़क पर कनेक्टिविटी के लिए जल्द ही रक्षा मंत्रालय बीआरओ को 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की अनुमति देने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए तैयारी कर रहा है।
साल
2020
से
जारी
है
तनाव
भारत
और
चीन
के
बीच
पिछले
साल
अप्रैल-मई
के
महीने
में
उस
समय
तनाव
शुरु
हुआ
गया
था
बाद
जब
चीन
ने
पूर्वी
लद्दाख
क्षेत्रों
में
ग्रीष्मकालीन
सैन्य
अभ्यास
का
इस्तेमाल
किया
था।
यही
नहीं
चीन
की
पीपल्स
लिबरेशन
आर्मी
ने
पूर्वोत्तर
के
अन्य
हिस्सों
में
दबाव
बनाने
के
लिए
सैन्य
ढांचे
का
निर्माण
भी
किया
था।
तनातनी
उस
समय
चरम
पर
पहुंच
गई
थी
जब
गलवन
घाटी
में
दोनों
देशों
के
सैनिक
एक
दूसरे
से
भिड़
गए
थे
जिसमें
दोनों
पक्षों
के
सैनिक
हताहत
हुए
थे।
इस
साल
फरवरी
में
दोनों
देशों
के
बीच
पैंगोंग
झील
क्षेत्र
में
डिसएंगेजमेंट
होने
के
बाद
संबंधों
में
तनाव
में
थोड़ी
नरमी
आई
थी
लेकिन
उसके
बाद
से
कोई
सुधार
नहीं
हुआ
है।