चीन से टकराव खत्म होने के आसार नहीं, लद्दाख में भी तैनात जवानों को भी मिलेगा सियाचिन का साजो-सामान
नई दिल्ली। चीन की सेना लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से पीछे हटने को तैयार नहीं है। लद्दाख सेक्टर में 1597 किलोमीटर लंबी एलएसी पर टकराव कई दिनों तक चलने वाला है और इस आशंका से सेना ने खुद को सर्दियों के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की तरफ से बताया गया है कि लद्दाख में तैनात सेना के जवानों को अब उसी प्रकार के सुरक्षा उपकरण मिलने वाले हैं जो सियाचिन में तैनात ट्रूप्स के पास हैं।
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दूतावास को दिए गए आदेश
टॉप
सरकारी
अधिकारियों
ने
इस
बात
की
पुष्टि
की
है
कि
सेना
की
तरफ
से
अमेरिका,
रूस
और
यूरोप
में
दूतावासों
पर
तैनात
डिफेंस
अटैशे
से
कहा
है
कि
वो
गर्मी
कपड़ों
और
स्नो
टेंट
बनाने
वालों
की
पहचान
करें
ताकि
अगर
इमरजेंसी
की
स्थिति
हो
तो
उन्हें
खरीदा
जा
सके।
सन्
1984
में
सियाचिन
में
ऑपरेशन
मेघदूत
के
बाद
सेना
को
उसकी
जरूरतों
के
मुताबिक
स्थानीय
उत्पादकों
की
तरफ
से
तैयार
इग्लूस,
स्नो
गॉगल्स,
बूट्स
और
ग्लव्स
के
साथ
बाकी
जरूरी
उपकरण
दिए
गए
थे।
सेना
ने
लद्दाख
सेक्टर
में
चीनी
जवानों
की
संख्या
के
बराबर
जवान
तैनात
कर
दिए
हैं।
इस
समय
35,000
या
इससे
ज्यादा
जवान
तैनात
हैं।
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पेट्रोलिंग प्वाइंट्स ढंक जाते हैं बर्फ से
मिलिट्री कमांडर्स का कहना है कि उन्हें उन लोकेशंस पर मुस्तैद रहना होगा जहां पर अगले वर्ष पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के आक्रामक होने की आशंका है। सेना सूत्रों के मुताबिक पीएलए की आक्रामकता के बाद अब चीन का भरोसा नहीं है। इस बात की आशंका है कि अगले वर्ष 2021 में पैंगोंग के उत्तरी इलाके में फिर से दाखिल हो सकते हैं। पीएलए के जवान पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 गलवान, पीपी 15-16 हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हट गए हैं। लेकिन पीपी 17A गोगरा पोस्ट और फिंगर इलाके में जमे हुए हैं। लद्दाख में सर्दियों के समय पीपी 15,16 और 17 पर बहुत ज्यादा बर्फबारी होती है।
जवानों को मिलेंगे खास उपकरण
वहीं 17,000 फीट पर छांग ला पास पूरी तरह से बर्फ से ढंक जाता है और यह रास्ता पैंगोंग त्सो की तरफ जाता है। सेना सूत्रों का कहना है कि सर्दियों में सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए जवानों को खास उपकरण देने का फैसला किया गया है। जो जवान सालतोरो रिज और सियाचिन ग्लेशियर में तैनात हैं उन्हें सर्दियों के खास कपड़े दिए जाएंगे। अगर स्थितियां बुरी होती हैं तो फिर परतापुर और थ्यॉइस में तैनात जवानों को अनुरोध किया जाएगा कि वो अपनी जैकेट, ट्राउजर्स, ग्लव्स, बूट्स और गॉगल्स अपने साथी जवानों को दे दें।
सेना किसी भी विपरीत स्थिति के लिए रेडी
लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने भी एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि जब तक अप्रैल 2020 वाली यथास्थिति बहाल नहीं हो जाती है तब तक सेना पीछे नहीं हटेगी। सीनियर ऑफिसर के मुताबिक इस समय लद्दाख में करीब 35,000 अतिरिक्त जवान तैनात हैं। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक सेना की तैयारी और गतिविधियां किसी भी विपरीत स्थिति के लिए हैं। जब तक चीनी जवान अपनी क्षमता के साथ मौजूद हैं इंडियन आर्मी को भी तैयार रहना होगा। भारत ने साफ कर दिया है कि पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 17A और पैंगोंग त्सो पर अभी तक डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। भारत और चीन के बीच पांच मई से टकराव जारी है।