अशोक चक्र से सम्मानित जवान ने कहा, 'दिल्ली से प्याज ले जाकर लेह में 200 रुपए किलो पर बेचूंगा'
नई दिल्ली। देश भर में प्याज से जुड़ी चिंताएं सिर्फ आम जनता की हों, ऐसा नहीं है। देश की सुरक्षा में लगे हमारे सैनिकों को भी प्याज किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। उनकी योजना अब न सिर्फ अपने परिवार के लिए बल्कि अपने पूरे शहर के लिए प्याज लेकर जाने की है। गणतंत्र दिवस की परेड के लिए लेह से दिल्ली आए शेरिंग मुटुप ऐसे ही एक सैनिक हैं। इंडियन आर्मी के हीरो शेरिंग, परेड में हिस्सा लेकर लद्दाख वापस लौट जाएंगे। उनकी योजना है कि जब वह वापस जाएं तो पूरे लेह के लिए प्याज लेकर जाएं। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की तरफ से एक खास रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है।
दिल्ली में सस्ता मिलेगा प्याज
मुटूप का मानना है कि दिल्ली में प्याज उन्हें सस्ता मिलेगा और यहां से लेकर जाना काफी आसान है। शेरिंग ने बताया, 'दिल्ली में प्याज 60 रुपए किलो बिक रहा है और लेह में यह 200 रुपए किलो तक बिक सकता है। मैं भी सोच रहा हूं कि 31 जनवरी को जब मैं लौंटू तो यहां से सात से आठ किलोग्राम प्याज अपने साथ लेता जाउंगा।' मुटूप के दो बेटे और तीन पोते सेना में ही हैं। वह उन छह हीरो में शामिल हैं, जो अशोक चक्र से सम्मानित हैं और गणतंत्र दिवस परेड में मार्च करते हुए नजर आएंगे।
220 रुपए किलो बिका है प्याज
शेरिंग लेह में 200 रुपए किलो की कीमत तक प्याज बेचने की सोच रहे हैं। लेह मे कुछ दिनों पहले प्याज 220 रुपए किलो तक बिका है। 75 साल के मुटूप की मानें तो एक बार सप्लाई ठीक हो गई तो फिर प्याज के दाम भी कम हो जाएंगे। उनकी मानें तो सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती है।
साल 1985 में मिला अशोक चक्र सम्मान
लद्दाख स्काउट्स के सैनिक मुटूप को साल 1985 में अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। 26 जनवरी की परेड में अशोक चक्र विजेताओं के अलावा परमवीर चक्र विजेता भी मार्च करते हुए नजर आएंगे। परमवीर चक्र, युद्धकाल में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान है। अशोक चक्र यह शांति काल में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। मुटूप सेना में हवलदार की रैंक पर थे।
क्यों हुए थे पुरस्कार से सम्मानित
मुटूप ने जम्मू कश्मीर के ऊंचाई पर स्थित फॉरवर्ड लोकेशन पर बेहद मुश्किल स्थितियों के बीच एक कार्य को पूरा किया था। बर्फीले तूफान में भी शेरिंग मुटूप जरा भी नहीं घबराए और मिशन को पूरा करके लौटे। इस मिशन की सफलता की वजह से ही उन्हें सरकार की तरफ से अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।