सेना का एतिहासिक कदम, 70% महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने एक एतिहासिक कदम उठाते हुए 70 प्रतिशत उन लेडी ऑफिसर्स को स्थायी कमीशन दे दिया है जिनके नाम पर पिछले काफी समय से विचार चल रहा था। अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड की तरफ से शुक्रवार को उन महिला अधिकारियों को चयन कर लिया गया है जो सेना में फुल टर्म पूरा करेंगी। 615 लेडी ऑफिसर्स को परमानेंट कमीशन देने पर विचार किया गया और इसमें से 422 को बोर्ड ने फिट पाया है। गुरुवार को बोर्ड के नतीजों को जारी किया गया।
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सेना की 10 शाखाओं में कमीशन
इस वर्ष जुलाई में सरकार की तरफ से एक औपचारिक आदेश जारी होने के बाद सेलेक्शन बोर्ड को संचालित किया गया। सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लेडी ऑफिसर्स को स्थायी कमीशन देने का फैसला किया गया थ। 23 जुलाई को सरकार के आदेश में कहा गया था कि सेना की 10 शाखाओं-आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ईएमई), आर्मी सर्विस कोर (एएससी), आर्मी ऑर्डिनेंस कोर (एओसी) और इंटेलीजेंस कोर के साथ ही जज एंड एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशनल कोर (एईसी) में लेडी ऑफिसर्स को स्थायी कमीशन दिया जाएगा। सेना ने शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के तहत 31 अगस्त की समय सीमा तय की थी जिसमें लेडी ऑफिसर्स को परमानेंट कमीशन के लिए अपनी एप्लीकेशंस देनी थी।
कई सालों से जारी थी लड़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष फरवरी में अपने आदेश में कहा था कि महिलाओं को कमांड रोल देने के बारे में विचार किया जाना चाहिए और सभी लेडी ऑफिसर्स परमानेंट कमीशन की हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सेना ने कहा था कि वह तीन माह के अंदर सभी लेडी ऑफिसर्स को स्थायी कमीशन प्रदान करे। केंद्र सरकार को 7 जुलाई को एक माह का समय दिया गया था जिससे वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कर सके। केंद्र सरकार की तरफ से कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के चलते सुप्रीम कोर्ट से फैसले को लागू करने के लिए समय मांगा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि लेडी ऑफिसर्स जो शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में शामिल होती हैं, वो 14 साल की सर्विस के बाद भी स्थायी कमीशन के योग्य हैं। अपने इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से साल 2010 में दिए फैसले पर रोक लगा दी थी।