चीन की अब खैर नहीं, सेना ने LAC पर तैनात किए T-90 और T-72 टैंक, -40 डिग्री में भी उगलते हैं आग
लद्दाख। भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव और सर्दी के आहत के बीच सेना ने बेहद सूझबूझ भरा कदम उठाया है। इंडियन आर्मी ने एलएसी पर लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में टैंक और पैदल सेना के वाहनों को तैनात किया है। सेना ने बीएमपी-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ T-90 और T-72 टैंकों की तैनाती की है। इन टैंकों की खासियत है कि इन्हें माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में संचालित किया जा सकता है।
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फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स भारतीय सेना का एकमात्र फॉरमेशन
सेना की इस तैनाती को लेकर 14 कोर्प्स के चीफ ऑफ स्टाफ के मेजर जनरल अरविंद कपूर ने कहा, ''फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स भारतीय सेना का एकमात्र फॉरमेशन है और दुनिया में भी ऐसे कठोर इलाकों में यंत्रीकृत बलों को तैनात किया गया है। टैंक, पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों और भारी बंदूकों का इस इलाके में रखरखाव करना एक चुनौती है।'
T-72 टैंक है 'अजेय'
T-72 को भारत में 'अजेय' कहा जाता है। भारत में ऐसे करीब 1700 टैंक हैं। यह बेहद हल्का टैंक है जो 780 हॉर्सपावर जेनेरेट करता है। यह न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए भी बलाया गया है। यह 1970 के दशक में भारतीय सेना का हिस्सा बना था। 'अजेय' में 125 एमएम की गन लगी है। साथ ही इसमें फुल एक्सप्लोसिव रिऐक्टिव आर्मर भी दिया गया है।
इन टैंकों को लद्दाख तक पहुंचाना है मुश्किल भरा काम
भारत ने लद्दाख में जिन T-90 टैंकों की तैनाती की हैं, वे मूल रूस से रूस में बने हैं। भारत टैंकों का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। उसके बेड़े में करीब साढ़े 4 हजार टैंक (T-90 और उसके वैरियंट्स, T-72 और अर्जुन) हैं। भारत में इन टैंकों को 'भीष्म' नाम दिया गया है। इनमें 125mm की गन लगती होती है। 46 टन वजनी इस टैंक को लद्दाख जैसे इलाके में पहुंचा पाना आसान काम नहीं था। यह अपने बैरल से ऐंटी-टैंक मिसाइल भी छोड़ सकता है। हमने इसमें इजरायली, फ्रेंच और स्वीडिश सब सिस्टम लगाकर इसे और बेहतर किया है। (वीडियो साभार- इंडिया टुडे)
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